सार
कोविड पर नजर रखने वाली कमेटी कोविड टास्क फोर्स ने एजेंसियों को इस बात को लेकर अब शोध करने को कहा है, जिससे यह पता चले कि मौत के आंकड़ों में गिरावट क्यों नहीं आ रही है। जबकि कोविड पॉजिटिव मामले पैंतीस हजार से लेकर पचास हजार के बीच पहुंच जाते हैं…
कोरोना वायरस
– फोटो : पीटीआई (फाइल)
बीते ढाई महीने में कोरोना के मामलों से लेकर उससे होने वाली मौतों में जिस तरीके से गिरावट दर्ज हुई थी उससे अनुमान लगाया जा रहा था कि हालात बहुत जल्द सामान्य हो जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। तकरीबन डेढ़ महीने से देश में कोविड से होने वाली मौतों का सिलसिला कम होने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के पास पहुंचे देशभर के आंकड़ों से एक बार फिर डरावनी तस्वीर ही सामने आई है। आंकड़े बताते हैं कि बीते 24 घंटों में तकरीबन पांच सौ लोगों की कोरोना से मौत हो गई। लगातार हो रही मौतों को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार सुबह बैठक कर महाराष्ट्र, केरल से एक बार फिर से उनकी योजनाओं की रिपोर्ट तलब की है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड से होने वाली मौतों की संख्या का कम न होना आने वाले वक्त में भयावह तस्वीर की ओर इशारा कर रही है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक बुधवार को पूरे देश में पिछले 24 घंटों में 497 लोगों की कोविड से मौत हो गई। मंत्रालय के विशेषज्ञों का कहना है देश में कोविड पॉजिटिव मामले तो कम हो जाते हैं लेकिन मौतों की संख्या उस तेजी से कम नहीं हो रही है। यह बेहद चिंता का विषय है। कोविड को लेकर आईसीएमआर के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक का कहना है कि अभी सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि देश में कोविड के मामले उस अनुपात में कम नहीं हो रहे हैं जैसा अंदाजा लगाया जा रहा था। हालात इसलिए भी ज्यादा गंभीर हैं क्योंकि मौतों का आंकड़ा कम नहीं हो पा रहा है। कोविड पर नजर रखने वाली कमेटी कोविड टास्क फोर्स ने एजेंसियों को इस बात को लेकर अब शोध करने को कहा है, जिससे यह पता चले कि मौत के आंकड़ों में गिरावट क्यों नहीं आ रही है। जबकि कोविड पॉजिटिव मामले पैंतीस हजार से लेकर पचास हजार के बीच पहुंच जाते हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक बुधवार को हुई बैठक के बाद महाराष्ट्र और केरल को ज्यादा अलर्ट और सजग रहने के लिए कहा है। क्योंकि पूरे देश में कोविड से होने वाली साठ फीसदी मौतें सिर्फ इन दो राज्यों में ही हो रही हैं। इन दो राज्यों में मरीजों में फैलने वाले संक्रमण की गंभीरता पर भी विशेषज्ञों ने शोध शुरू कर दिया है। नेशनल कोविड टास्क फोर्स की टीम के डॉक्टर एनके अरोड़ा कहते हैं कि अभी किसी को भी लापरवाही बरतने की जरूरत नहीं है। वह कहते हैं कि देश के ऐसे बहुत सारे राज्य हैं जहां पर कोविड के मामले कम होने के बाद दोबारा सक्रिय मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। डॉक्टर अरोड़ा का कहना है यह संकेत बहुत सकारात्मक तो नहीं है लेकिन सजगता से इसे न सिर्फ कंट्रोल किया जा सकता है बल्कि संक्रमण के फैलाव को भी रोका जा सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया के जिन देशों में जैसे-जैसे संक्रमण कम होता जा रहा है उसी तरीके से मौत का आंकड़ा भी कम होता जाता है। लेकिन भारत में ऐसी परिस्थितियां अभी नहीं आई हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन की ताजा रिपोर्ट में इस बात का जिक्र भी किया गया है कि भारत में होने वाली मौतों की संख्या का कम न होना चिंताजनक है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक बीते एक सप्ताह में कोविड के नए मामले और सक्रिय मामलों में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया। लेकिन इसका असर होने वाली मौतों पर बिल्कुल नहीं दिखा। विशेषज्ञों का कहना है कि अगले दो हफ्तों में स्थितियों का सही-सही आकलन भी कर लिया जाएगा, जिसके बाद तीसरी लहर का अंदाजा लग सकेगा।
विस्तार
बीते ढाई महीने में कोरोना के मामलों से लेकर उससे होने वाली मौतों में जिस तरीके से गिरावट दर्ज हुई थी उससे अनुमान लगाया जा रहा था कि हालात बहुत जल्द सामान्य हो जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। तकरीबन डेढ़ महीने से देश में कोविड से होने वाली मौतों का सिलसिला कम होने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के पास पहुंचे देशभर के आंकड़ों से एक बार फिर डरावनी तस्वीर ही सामने आई है। आंकड़े बताते हैं कि बीते 24 घंटों में तकरीबन पांच सौ लोगों की कोरोना से मौत हो गई। लगातार हो रही मौतों को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार सुबह बैठक कर महाराष्ट्र, केरल से एक बार फिर से उनकी योजनाओं की रिपोर्ट तलब की है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड से होने वाली मौतों की संख्या का कम न होना आने वाले वक्त में भयावह तस्वीर की ओर इशारा कर रही है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक बुधवार को पूरे देश में पिछले 24 घंटों में 497 लोगों की कोविड से मौत हो गई। मंत्रालय के विशेषज्ञों का कहना है देश में कोविड पॉजिटिव मामले तो कम हो जाते हैं लेकिन मौतों की संख्या उस तेजी से कम नहीं हो रही है। यह बेहद चिंता का विषय है। कोविड को लेकर आईसीएमआर के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक का कहना है कि अभी सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि देश में कोविड के मामले उस अनुपात में कम नहीं हो रहे हैं जैसा अंदाजा लगाया जा रहा था। हालात इसलिए भी ज्यादा गंभीर हैं क्योंकि मौतों का आंकड़ा कम नहीं हो पा रहा है। कोविड पर नजर रखने वाली कमेटी कोविड टास्क फोर्स ने एजेंसियों को इस बात को लेकर अब शोध करने को कहा है, जिससे यह पता चले कि मौत के आंकड़ों में गिरावट क्यों नहीं आ रही है। जबकि कोविड पॉजिटिव मामले पैंतीस हजार से लेकर पचास हजार के बीच पहुंच जाते हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक बुधवार को हुई बैठक के बाद महाराष्ट्र और केरल को ज्यादा अलर्ट और सजग रहने के लिए कहा है। क्योंकि पूरे देश में कोविड से होने वाली साठ फीसदी मौतें सिर्फ इन दो राज्यों में ही हो रही हैं। इन दो राज्यों में मरीजों में फैलने वाले संक्रमण की गंभीरता पर भी विशेषज्ञों ने शोध शुरू कर दिया है। नेशनल कोविड टास्क फोर्स की टीम के डॉक्टर एनके अरोड़ा कहते हैं कि अभी किसी को भी लापरवाही बरतने की जरूरत नहीं है। वह कहते हैं कि देश के ऐसे बहुत सारे राज्य हैं जहां पर कोविड के मामले कम होने के बाद दोबारा सक्रिय मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। डॉक्टर अरोड़ा का कहना है यह संकेत बहुत सकारात्मक तो नहीं है लेकिन सजगता से इसे न सिर्फ कंट्रोल किया जा सकता है बल्कि संक्रमण के फैलाव को भी रोका जा सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया के जिन देशों में जैसे-जैसे संक्रमण कम होता जा रहा है उसी तरीके से मौत का आंकड़ा भी कम होता जाता है। लेकिन भारत में ऐसी परिस्थितियां अभी नहीं आई हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन की ताजा रिपोर्ट में इस बात का जिक्र भी किया गया है कि भारत में होने वाली मौतों की संख्या का कम न होना चिंताजनक है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक बीते एक सप्ताह में कोविड के नए मामले और सक्रिय मामलों में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया। लेकिन इसका असर होने वाली मौतों पर बिल्कुल नहीं दिखा। विशेषज्ञों का कहना है कि अगले दो हफ्तों में स्थितियों का सही-सही आकलन भी कर लिया जाएगा, जिसके बाद तीसरी लहर का अंदाजा लग सकेगा।
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