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संयुक्त राष्ट्र : महासभा ने नस्लवाद से निपटने के लिए गठित किया स्थायी निकाय

एजेंसी, संयुक्त राष्ट्र
Published by: Kuldeep Singh
Updated Wed, 04 Aug 2021 12:28 AM IST

संयुक्त राष्ट्र महासभा
– फोटो : UN Hindi

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संयुक्त राष्ट्र महासभा ने नस्लवाद, नस्ली भेदभाव, विदेशियों से नफरत और असहिष्णुता जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए अफ्रीकी मूल के लोगों के एक स्थायी मंच की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

193 सदस्यीय महासभा ने सर्वसम्मति से दी मंजूरी
प्रस्ताव को 193 सदस्यीय विश्व निकाय ने सर्वसम्मति से मंजूरी दी है। इस प्रस्ताव में एक ऐसे मंच की मांग की गई है जो अफ्रीकी मूल के लोगों की सुरक्षा और उनके जीवन की गुणवत्ता तथा आजीविका में सुधार के लिए काम करे और जिस समाज में वे रहते हैं उसमें उनका पूर्ण समावेश सुनिश्चित करे।

महासभा ने कहा, सभी मनुष्य स्वतंत्र हैं, उनके अधिकार तथा गरिमा समान है और उनमें समाज के विकास तथा कल्याण में रचनात्मक योगदान देने की क्षमता है। नस्ली श्रेष्ठता का कोई भी सिद्धांत वैज्ञानिक रूप से गलत, नैतिक रूप से निंदनीय, सामाजिक रूप से अन्यायपूर्ण तथा खतरनाक है और इन्हें खारिज किया जाना चाहिए। महासभा द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव में कहा गया है कि नस्लवाद, नस्ली भेदभाव, विदेशियों से नफरत और असहिष्णुता से निपटने की कोशिशों के बाद भी ये व्यापक रूप से जारी हैं और इसकी निंदा की जानी चाहिए।

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संयुक्त राष्ट्र महासभा ने नस्लवाद, नस्ली भेदभाव, विदेशियों से नफरत और असहिष्णुता जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए अफ्रीकी मूल के लोगों के एक स्थायी मंच की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

193 सदस्यीय महासभा ने सर्वसम्मति से दी मंजूरी

प्रस्ताव को 193 सदस्यीय विश्व निकाय ने सर्वसम्मति से मंजूरी दी है। इस प्रस्ताव में एक ऐसे मंच की मांग की गई है जो अफ्रीकी मूल के लोगों की सुरक्षा और उनके जीवन की गुणवत्ता तथा आजीविका में सुधार के लिए काम करे और जिस समाज में वे रहते हैं उसमें उनका पूर्ण समावेश सुनिश्चित करे।

महासभा ने कहा, सभी मनुष्य स्वतंत्र हैं, उनके अधिकार तथा गरिमा समान है और उनमें समाज के विकास तथा कल्याण में रचनात्मक योगदान देने की क्षमता है। नस्ली श्रेष्ठता का कोई भी सिद्धांत वैज्ञानिक रूप से गलत, नैतिक रूप से निंदनीय, सामाजिक रूप से अन्यायपूर्ण तथा खतरनाक है और इन्हें खारिज किया जाना चाहिए। महासभा द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव में कहा गया है कि नस्लवाद, नस्ली भेदभाव, विदेशियों से नफरत और असहिष्णुता से निपटने की कोशिशों के बाद भी ये व्यापक रूप से जारी हैं और इसकी निंदा की जानी चाहिए।

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