वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, हरारे
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Sun, 21 Nov 2021 10:57 AM IST
सार
WHO की रिपोर्ट के मुताबिक अफ्रीका में केवल छह फीसदी लोगों को कोरोना वैक्सीन लगी है फिर भी दुनिया में सबसे कम प्रभावित महादेश अफ्रीका ही है।
जब पिछले साल कोरोना महामारी पहली बार सामने आया, तो स्वास्थ्य अधिकारियों को डर था कि महामारी पूरे अफ्रीका में फैल जाएगी, जिससे लाखों लोग मारे जाएंगे। लेकिन यहां की वर्तमान स्थिति को देखकर लगता है कि यहां सबकुछ सामान्य है। WHO की रिपोर्ट के मुताबिक केवल छह फीसदी लोगों को वैक्सीन लगने के बावजूद अफ्रीका पर कोरोना महामारी का सबसे कम प्रभाव है। वैज्ञानिकों के लिए यह हैरानी की खबर है क्योंकि दुनिया के बड़े-बड़े देश जहां कोरोना से बुरी तरह प्रभावित हुए वहीं गरीबी से जूझ रहे अफ्रीका जिसके पास कोरोना से लड़ने के लिए टीके और संसाधन नहीं हैं, फिर भी वे बेहतर कर रहे हैं। अफ्रीका में कोरोना का प्रभाव वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी से सीधे उलट रहा। वैज्ञानिकों को तो आशंका थी कि दुनिया में सबसे अधिक प्रभावित कोई महादेश होगा तो वह अफ्रीका होगा।
वैज्ञानिक दे रहे अपने-अपने तर्क
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि अफ्रीका में अधिकतर युवा आबादी होने के कारण जानलेवा वायरस का असर कम रहा। वहीं कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि शहर में कम आबादी और बाहर अधिक से अधिक समय बिताने के कारण ऐसा रहा हो। कई अध्ययन में इस बात की जांच की जा रही है कि क्या आनुवंशिक कारणों या परजीवी रोगों की वजह से तो ऐसा नहीं हो रहा।
युगांडा के वैज्ञानिकों ने मलेरिया को बताई वजह
युगांडा में काम करने वाले शोधकर्ताओं ने कहा कि मलेरिया के संपर्क में आने वाले लोगों पर कोरोना का असर कम दिख रहा है। गौरतलब है कि मलेरिया और इबोला से सह-संक्रमित रोगी सबसे अधिक इसी महादेश में हैं। वैज्ञानिक का कहना है कि हम वास्तव में हैरान थे – कि मलेरिया का सुरक्षात्मक प्रभाव हो सकता है।
नाइजीरिया में भी अनुमान के मुताबिक कम मौतें
अफ्रीका के सबसे अधिक आबादी वाले देश नाइजीरिया में, सरकार ने अपनी 20 करोड़ आबादी के बीच अब तक लगभग 3,000 मौतें दर्ज की हैं। वहीं अमेरिका का रिकॉर्ड है कि हर दो या तीन दिनों में कई मौतें होती हैं। नाइजीरियाई निवासी ओपेमिपो अरे ने कहा कि हमें डराया गया था कि कोरोना के कारण सड़कों पर शव बिछे होंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
विस्तार
जब पिछले साल कोरोना महामारी पहली बार सामने आया, तो स्वास्थ्य अधिकारियों को डर था कि महामारी पूरे अफ्रीका में फैल जाएगी, जिससे लाखों लोग मारे जाएंगे। लेकिन यहां की वर्तमान स्थिति को देखकर लगता है कि यहां सबकुछ सामान्य है। WHO की रिपोर्ट के मुताबिक केवल छह फीसदी लोगों को वैक्सीन लगने के बावजूद अफ्रीका पर कोरोना महामारी का सबसे कम प्रभाव है। वैज्ञानिकों के लिए यह हैरानी की खबर है क्योंकि दुनिया के बड़े-बड़े देश जहां कोरोना से बुरी तरह प्रभावित हुए वहीं गरीबी से जूझ रहे अफ्रीका जिसके पास कोरोना से लड़ने के लिए टीके और संसाधन नहीं हैं, फिर भी वे बेहतर कर रहे हैं। अफ्रीका में कोरोना का प्रभाव वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी से सीधे उलट रहा। वैज्ञानिकों को तो आशंका थी कि दुनिया में सबसे अधिक प्रभावित कोई महादेश होगा तो वह अफ्रीका होगा।
वैज्ञानिक दे रहे अपने-अपने तर्क
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि अफ्रीका में अधिकतर युवा आबादी होने के कारण जानलेवा वायरस का असर कम रहा। वहीं कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि शहर में कम आबादी और बाहर अधिक से अधिक समय बिताने के कारण ऐसा रहा हो। कई अध्ययन में इस बात की जांच की जा रही है कि क्या आनुवंशिक कारणों या परजीवी रोगों की वजह से तो ऐसा नहीं हो रहा।
युगांडा के वैज्ञानिकों ने मलेरिया को बताई वजह
युगांडा में काम करने वाले शोधकर्ताओं ने कहा कि मलेरिया के संपर्क में आने वाले लोगों पर कोरोना का असर कम दिख रहा है। गौरतलब है कि मलेरिया और इबोला से सह-संक्रमित रोगी सबसे अधिक इसी महादेश में हैं। वैज्ञानिक का कहना है कि हम वास्तव में हैरान थे – कि मलेरिया का सुरक्षात्मक प्रभाव हो सकता है।
नाइजीरिया में भी अनुमान के मुताबिक कम मौतें
अफ्रीका के सबसे अधिक आबादी वाले देश नाइजीरिया में, सरकार ने अपनी 20 करोड़ आबादी के बीच अब तक लगभग 3,000 मौतें दर्ज की हैं। वहीं अमेरिका का रिकॉर्ड है कि हर दो या तीन दिनों में कई मौतें होती हैं। नाइजीरियाई निवासी ओपेमिपो अरे ने कहा कि हमें डराया गया था कि कोरोना के कारण सड़कों पर शव बिछे होंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
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