एजेंसी, नई दिल्ली
Published by: Kuldeep Singh
Updated Sat, 27 Nov 2021 05:40 AM IST
सार
डब्ल्यूटीओ कॉन्फ्रेंस में भारत कोविड-19 वैक्सीन के निर्माण और इसकी आपूर्ति को बौद्धिक संपदा अधिकार से छूट देने की मांग का नेतृत्व करेगा। इससे पहले भारत ने दक्षिण अफ्रीका के साथ मिलकर कोरोना से संबंधित दवाओं, इलाज के तरीकों को बौद्धिक संपदा अधिकार से अस्थायी छूट देने की मांग उठाई थी।
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विस्तार
जिनेवा में 30 नवंबर से होगी विश्व व्यापार संगठन की मंत्री स्तरीय कॉन्फ्रेंस
वाणिज्य मंत्रालय की वरिष्ठ अधिकारी श्यामली मिश्रा ने कहा कि 30 नवंबर से जिनेवा में होने वाली डब्ल्यूटीओ की कॉन्फ्रेंस के लिए देश विकासशील देशों के साथ रणनीति बना रहा है। हमें उम्मीद है कि इसमें विकासशील देशों के हितों से समझौता नहीं किया जाएगा। भारत आरोप लगाता रहा है कि यूरोपीय यूनियन, स्विट्जरलैंट और ब्रिटेन के नेतृत्व में विकसित देश निर्धन देशों तक वैक्सीन पहुंचने में अड़ंगा लगाते हैं। इसकी वजह से लोगों को जान गंवानी पड़ रही है।
डब्ल्यूटीओ में स्विट्जरलैंड के प्रतिनिधि डिडियर चैंबोवे ने कहा कि उनका देश इस पर समझौते के लिए तैयार है, लेकिन पूरी छूट का विरोधी है। बौद्धिक संपदा पर एक हफ्ते पहले हुई डब्ल्यूटीओ की बैठक में इस मुद्दे पर आगे विचार-विमर्श पर सहमति बनी थी। वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल से जुड़े एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि भारत का जोर साफ और बराबरी के समझौते पर होगा। विकसित देशों को समझना होगा कि कुछ दवा कंपनियों के फायदे के लिए वे विकासशील देशों के लोगों की जिंदगी को दाव पर नहीं लगा सकते।
भविष्य की महामारी पर समझौते के लिए विशेष बैठक 29 से
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की भविष्य में आने वाली महामारी से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय समझौते पर सहमति बनाने के लिए सभी 194 सदस्य देशों की तीन दिवसीय विशेष बैठक सोमवार से शुरू होगी। हालांकि पश्चिमी राजनयिकों का कहना है कि अमेरिका इस संबंध में किसी भी कानूनी बाध्यता के खिलाफ है।
कोविड-19 से निपटने में नाकामी के बाद हो रही आलोचना के बाद डब्ल्यूएचओ महामारी से निपटने की क्षमता बढ़ाने पर काम कर रहा है। वह इस पर अंतरराष्ट्रीय समझौता चाहता है। राजनयिकों का कहना है कि अमेरिका ने कानूनी बाध्यता पर लाल रेखा खींच दी है, लेकिन भारत और ब्राजील समर्थित समझौते पर उसका रुख सकारात्मक है। यूरोपियन यूनियन इस संबंध में संधि पर बल दे रहा है और उसे 70 देशों का समर्थन प्राप्त है। एक यूरोपीय राजनयिक ने कहा कि इस संबंध में चल रही बातचीत में चीन भी शामिल है। उसने ऐसी संधि का विरोध नहीं किया है।
सीरम इंस्टीट्यूट ने शुरू किया कोविशील्ड टीके का निर्यात
टीके बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने निम्न और मध्यम आय वाले देशों में कोविशील्ड टीके का निर्यात फिर से शुरू कर दिया है। कंपनी ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि उसने पुणे के संयंत्र से पहली खेप भेजी है। कंपनी ने अब तक कोविशील्ड की 1.25 अरब खुराकों का निर्यात किया है। कंपनी ने कहा कि कोविशील्ड की पहली खेप को पुणे में एसआईआई के संयंत्र से कोवैक्स व्यवस्था के तहत निम्न और मध्यम आय वाले देशों में भेजा गया है। उन्होंने आगे कहा कि कोवैक्स के तहत अगले वर्ष की पहली तिमाही में आपूर्ति बढ़ने की उम्मीद है।