सार
Russia Ukraine Impact on Markets: रूस-यूक्रेन संकट के कारण क्रूड की आपूर्ति में कोई कमी न हो, इसके लिए अमेरिका समेत अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के सभी 31 सदस्य देशों में अपने रणनीतिक भंडारों से 6 करोड़ बैरल तेल जारी करने पर सहमति बनी। इसके बावजूद बुधवार को अमेरिकी मानक कच्चे तेल का दाम 5.24 डॉलर प्रति बैरल बढ़कर 108.60 डॉलर पहुंच गया। ब्रेंट क्रूड 5.43 डॉलर बढ़कर 110.40 डॉलर पहुंच गया।
रूस-यूक्रेन संकट की वजह से कच्चे तेल की कीमतें पांच डॉलर प्रति बैरल बढ़कर 110 डॉलर पार पहुंच गईं। पिछले सप्ताह से कच्चे तेल के बढ़ रहे दाम का असर दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं से लेकर शेयर बाजारों और उद्योगों पर दिखने लगा है। पहले से ही महंगाई की मार से बेहाल आम आदमी की जेब आगे और ढीली होने वाली है। देश में अगले सप्ताह से पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से मुश्किलें और बढ़ जाएंगी।
रूस-यूक्रेन संकट के कारण क्रूड की आपूर्ति में कोई कमी न हो, इसके लिए अमेरिका समेत अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के सभी 31 सदस्य देशों में अपने रणनीतिक भंडारों से 6 करोड़ बैरल तेल जारी करने पर सहमति बनी। इसके बावजूद बुधवार को अमेरिकी मानक कच्चे तेल का दाम 5.24 डॉलर प्रति बैरल बढ़कर 108.60 डॉलर पहुंच गया। ब्रेंट क्रूड 5.43 डॉलर बढ़कर 110.40 डॉलर पहुंच गया, जबकि घरेलू बाजार में 118 दिनों से पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़े हैं। ब्रोकरेज कंपनी जेपी मॉर्गन ने कहा, पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के अगले सप्ताह खत्म होने के साथ ही पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने लगेंगे। सामान्य मार्जिन के लिए तेल कंपनियां 9 रुपये प्रति लीटर या 10% तक दाम बढ़ा सकती हैं।
तीन महीने में 29 डॉलर बढ़ गए हैं कच्चे तेल दाम
पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठने कहा कि भारत जो कच्चा तेल खरीदता है, उसके दाम 2 मार्च, 2022 को बढ़कर 110 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो गए। यह कीमत अगस्त, 2014 के बाद सबसे ज्यादा है। पिछले साल नवंबर की शुरुआत में कच्चे तेल की औसत कीमत 81.5 डॉलर प्रति बैरल थी। इस तरह, तीन महीने में दाम करीब 29 डॉलर बढ़ गए हैं।
- 09 रुपये प्रति लीटर तक दाम बढ़ा सकती हैं तेल कंपनियां
- 118 दिनों से देश में नहीं बढ़ी हैं पेट्रोल-डीजल की कीमतें, नवंबर में 85.1 डॉलर था क्रूड तेल
कंपनियों को एक लीटर पर 5.70 रुपये का घाटा
जेपी मॉर्गन ने कहा, कच्चे तेल में तेजी से सरकारी रिफाइनरी कंपनियों इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम को पेट्रोल-डीजल पर 5.70 रुपये प्रति लीटर घाटा हो रहा है। ऐसे में विधानसभा चुनावों के समाप्त होने के बाद तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतें दैनिक आधार पर बढ़ सकती हैं।
पाम तेल में तेजी से 20 फीसदी तक बढ़ सकते हैं खाद्य तेल के दाम
सूरजमुखी तेल के सबसे बड़े उत्पादक रूस और यूक्रेन से इसका निर्यात लगभग बंद होने के कारण पाम तेल की मांग जबरदस्त रूप से बढ़ी है। कमोडिटी विशेषज्ञ एवं केडिया एडवाइजरी के निदेशक अजय केडिया का कहना है कि रूस और यूक्रेन दुनिया को कुल सूरजमुखी तेल का करीब 70% निर्यात करते हैं। इसमें आई कमी को अब पाम तेल से पूरा किया जा रहा है। तेजी से बढ़ी मांग के कारण वैश्विक बाजार के दबाव में भारत में पाम तेल पहली बार अन्य खाद्य तेलों में सबसे महंगा हो गया है। इससे घरेलू बाजार में पाम तेल सहित सभी खाद्य तेल 15-20 फीसदी तक महंगे हो सकते हैं।
दो साल में तीन गुना से ज्यादा बढ़ गईं कीमतें
केडिया ने बताया कि पाम तेल के सबसे बड़े उत्पादक मलयेशिया में मई, 2020 में इसका भाव 1,937 रिंगित (मलेशियाई मुद्रा) था। यह अब बढ़कर 7,100 रिंगित पहुंच गया है, जो सबसे ज्यादा है। इस तरह, दो साल में पाम तेल के दाम तीन गुना से ज्यादा बढ़े हैं।
भारत को फिर बदलनी होगी अपनी रणनीति
भारत अभी यूक्रेन से 17 लाख टन और रूस के दो लाख टन सूरजमुखी तेल आयात करता है। दोनों देशों से निर्यात बाधित होने के कारण बढ़ी कीमतों के साथ मांग को पूरा करने के लिए भारत को फिर से अपनी रणनीति बदलनी होगी।
विस्तार
रूस-यूक्रेन संकट की वजह से कच्चे तेल की कीमतें पांच डॉलर प्रति बैरल बढ़कर 110 डॉलर पार पहुंच गईं। पिछले सप्ताह से कच्चे तेल के बढ़ रहे दाम का असर दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं से लेकर शेयर बाजारों और उद्योगों पर दिखने लगा है। पहले से ही महंगाई की मार से बेहाल आम आदमी की जेब आगे और ढीली होने वाली है। देश में अगले सप्ताह से पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से मुश्किलें और बढ़ जाएंगी।
रूस-यूक्रेन संकट के कारण क्रूड की आपूर्ति में कोई कमी न हो, इसके लिए अमेरिका समेत अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के सभी 31 सदस्य देशों में अपने रणनीतिक भंडारों से 6 करोड़ बैरल तेल जारी करने पर सहमति बनी। इसके बावजूद बुधवार को अमेरिकी मानक कच्चे तेल का दाम 5.24 डॉलर प्रति बैरल बढ़कर 108.60 डॉलर पहुंच गया। ब्रेंट क्रूड 5.43 डॉलर बढ़कर 110.40 डॉलर पहुंच गया, जबकि घरेलू बाजार में 118 दिनों से पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़े हैं। ब्रोकरेज कंपनी जेपी मॉर्गन ने कहा, पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के अगले सप्ताह खत्म होने के साथ ही पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने लगेंगे। सामान्य मार्जिन के लिए तेल कंपनियां 9 रुपये प्रति लीटर या 10% तक दाम बढ़ा सकती हैं।
तीन महीने में 29 डॉलर बढ़ गए हैं कच्चे तेल दाम
पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठने कहा कि भारत जो कच्चा तेल खरीदता है, उसके दाम 2 मार्च, 2022 को बढ़कर 110 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो गए। यह कीमत अगस्त, 2014 के बाद सबसे ज्यादा है। पिछले साल नवंबर की शुरुआत में कच्चे तेल की औसत कीमत 81.5 डॉलर प्रति बैरल थी। इस तरह, तीन महीने में दाम करीब 29 डॉलर बढ़ गए हैं।
- 09 रुपये प्रति लीटर तक दाम बढ़ा सकती हैं तेल कंपनियां
- 118 दिनों से देश में नहीं बढ़ी हैं पेट्रोल-डीजल की कीमतें, नवंबर में 85.1 डॉलर था क्रूड तेल
कंपनियों को एक लीटर पर 5.70 रुपये का घाटा
जेपी मॉर्गन ने कहा, कच्चे तेल में तेजी से सरकारी रिफाइनरी कंपनियों इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम को पेट्रोल-डीजल पर 5.70 रुपये प्रति लीटर घाटा हो रहा है। ऐसे में विधानसभा चुनावों के समाप्त होने के बाद तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतें दैनिक आधार पर बढ़ सकती हैं।
पाम तेल में तेजी से 20 फीसदी तक बढ़ सकते हैं खाद्य तेल के दाम
सूरजमुखी तेल के सबसे बड़े उत्पादक रूस और यूक्रेन से इसका निर्यात लगभग बंद होने के कारण पाम तेल की मांग जबरदस्त रूप से बढ़ी है। कमोडिटी विशेषज्ञ एवं केडिया एडवाइजरी के निदेशक अजय केडिया का कहना है कि रूस और यूक्रेन दुनिया को कुल सूरजमुखी तेल का करीब 70% निर्यात करते हैं। इसमें आई कमी को अब पाम तेल से पूरा किया जा रहा है। तेजी से बढ़ी मांग के कारण वैश्विक बाजार के दबाव में भारत में पाम तेल पहली बार अन्य खाद्य तेलों में सबसे महंगा हो गया है। इससे घरेलू बाजार में पाम तेल सहित सभी खाद्य तेल 15-20 फीसदी तक महंगे हो सकते हैं।
दो साल में तीन गुना से ज्यादा बढ़ गईं कीमतें
केडिया ने बताया कि पाम तेल के सबसे बड़े उत्पादक मलयेशिया में मई, 2020 में इसका भाव 1,937 रिंगित (मलेशियाई मुद्रा) था। यह अब बढ़कर 7,100 रिंगित पहुंच गया है, जो सबसे ज्यादा है। इस तरह, दो साल में पाम तेल के दाम तीन गुना से ज्यादा बढ़े हैं।
भारत को फिर बदलनी होगी अपनी रणनीति
भारत अभी यूक्रेन से 17 लाख टन और रूस के दो लाख टन सूरजमुखी तेल आयात करता है। दोनों देशों से निर्यात बाधित होने के कारण बढ़ी कीमतों के साथ मांग को पूरा करने के लिए भारत को फिर से अपनी रणनीति बदलनी होगी।
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