सार
सरकार ने सोमवार को कहा कि व्यापारियों को दिसंबर 2022 तक बिना लाइसेंस के रिफाइंड पाम तेल के आयात की अनुमति दी जाएगी। इस कदम का मकसद घरेलू आपूर्ति को बढ़ाना और खाना पकाने में उपयोग होने वाले तेल की कीमतों में कमी लाना है।
पाम तेल (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : सोशल मीडिया
ख़बर सुनें
विस्तार
व्यापारी लाइसेंस के बगैर दिसंबर 2022 तक कर सकेंगे रिफाइंड पाम तेल का आयात
सरकार ने सोमवार को कहा कि व्यापारियों को दिसंबर 2022 तक बिना लाइसेंस के रिफाइंड पाम तेल के आयात की अनुमति दी जाएगी। इस कदम का मकसद घरेलू आपूर्ति को बढ़ाना और खाना पकाने में उपयोग होने वाले तेल की कीमतों में कमी लाना है।
वहीं बाजार नियामक ने कच्चे पाम तेल और कुछ अन्य कृषि वस्तुओं के नए डेरिवेटिव अनुबंधों के लॉन्च पर प्रतिबंध लगा दिया है। ये सभी उपाय ऐसे समय में किए गए हैं जब महंगाई चरम पर है। इससे पहले, सरकार ने खाद्य तेलों के दाम में तेजी को देखते हुए जून में 31 दिसंबर 2021 तक के लिए रिफाइंड पाम तेल के आयात पर से पाबंदी हटा ली थी।
आज से नई दर प्रभावी
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने एक अधिसूचना जारी की है, जिसमें कहा गया है कि 31 मार्च, 2022 तक रिफाइंड पाम तेल और उसके अंशों पर बीसीडी को 17.5 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया है। नई दर मंगलवार से प्रभावी हो गई है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता के अनुसार, शुल्क में कमी के साथ, रिफाइंड पाम तेल और पामोलिन दोनों पर प्रभावी कर 19.25 प्रतिशत से कम होकर 13.75 प्रतिशत हो जाएगी, जिसमें सामाजिक कल्याण उपकर भी शामिल हैं।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, सोमवार को मूंगफली तेल का औसत खुदरा भाव 181.48 रुपये प्रति किलो, सरसों का तेल 187.43 रुपये प्रति किलो, वनस्पति 138.5 रुपये प्रति किलो, सोयाबीन तेल 150.78 रुपये प्रति किलो, सूरजमुखी तेल 163.18 रुपये प्रति किलो और पाम तेल 129.94 रुपये प्रति किलोग्राम रहा।
शुल्क में कटौती पर मेहता ने कहा कि इससे रिफाइंड पाम तेल के आयात में वृद्धि होगी क्योंकि कच्चे पाम तेल (सीपीओ) के साथ शुल्क अंतर घटकर केवल 5.5 प्रतिशत रह गया है। सीपीओ पर वर्तमान प्रभावी शुल्क 8.25 प्रतिशत है। इससे पहले दिन में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में बताया, “हम खाद्य तेल की कीमत और कुछ आवश्यक खाद्य वस्तुओं की समस्या पर ध्यान देंगे।”
खाद्य तेल की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने इस साल कई बार रिफाइंड और कच्चे खाद्य तेल दोनों पर आयात शुल्क में कटौती की है। आयात शुल्क में आखिरी कटौती सरकार ने 14 अक्तूबर को की थी। मेहता ने यह भी कहा कि शुल्क में कटौती से घरेलू पाम तेल रिफाइनरियों को नुकसान होगा।