सार
रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिका का अधिक दंडात्मक रवैया अफगानिस्तान में पहले से गंभीर बने मानवीय हालात और गहरा कर सकता है।
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विस्तार
‘द्विपक्षीय कांग्रेशनल शोध सेवा (सीआरएस) की एक रिपोर्ट में कहा गया कि यदि पाकिस्तान, रूस और चीन जैसे अन्य देश और कतर जैसे अमेरिका के साझेदार तालिबान को और मान्यता देने की दिशा में बढ़ेंगे तो इससे अमेरिका अलग-थलग पड़ सकता है। वहीं, अमेरिकी दबाव का विरोध करने तथा उससे बच निकलने के लिए तालिबान को और अवसर मिलेंगे।
सीआरएस रिपोर्ट, सांसदों को विभिन्न मुद्दों पर जानकारी देने के लिए तैयार की जाती है ताकि उसके आधार पर वे निर्णय ले सकें। इसे अमेरिकी कांग्रेस की आधिकारिक सोच या रिपोर्ट नहीं माना जाता है।
भारत का प्रभाव सीमित करने को बल मिला
सीआरएस रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की अफगानिस्तान में निभाई जाने वाली विध्वंसकारी भूमिका में तालिबान को समर्थन संबंधी प्रस्ताव शामिल है।
इसमें कहा गया है कि कई पर्यवेक्षक अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे को पाक की जीत के रूप में देखते हैं। इससे अफगानिस्तान में उसका प्रभाव बढ़ा है और वहां भारत के प्रभाव को सीमित करने के उसके दशकों से चले आ रहे प्रयासों को भी बढ़ावा मिला है। बता दें कि अफगानिस्तान में भारत हमेशा से विकासात्मक भूमिका निभाता रहा है।
पाक का अफगानिस्तान में तालिबान से संबंध मजबूत करने का संकल्प
पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में तालिबान शासन को आश्वासन दिया है कि वह काबुल के साथ द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करेगा। अनादोलु एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी के साथ अपनी बैठक के दौरान, पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि उनका देश अफगानिस्तान को मानवीय संकट से निपटने में मदद करने के प्रयास जारी रखेगा।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता के लिए अपने देश की प्रतिबद्धता पर बोलते हुए कुरैशी ने सभी क्षेत्रों में पड़ोसी से द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के संकल्प की पुष्टि की।
टीएलपी के 54 सदस्य आतंकी सूची से हटाए
पाकिस्तान के पंजाब राज्य के गृह विभाग ने तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के 54 सदस्यों के नाम रावलपिंडी संभाग में आतंकवाद विरोधी अधिनियम 1997 की चौथी अनुसूची से हटा दिए हैं। इससे पहले बुधवार को टीएलपी प्रमुख हाफिज मोहम्मद साद रिजवी को आतंकी सूची से हटा दिया गया था।
डॉन ने सूत्रों के हवाले से बताया कि रिजवी के अलावा हटाए गए 54 सदस्यों में से 28 लोग रावलपिंडी जिले के, 14 चकवाल के, 11 अटॉक के और एक झेलम के हैं। निगरानी सूची में रखे गए लोग देश नहीं छोड़ सकते थे क्योंकि उसका नाम भी निकास नियंत्रण सूची (ईसीएल) में था।