न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Amit Mandal
Updated Wed, 22 Dec 2021 08:05 PM IST
सार
सितंबर 2019 में कैग (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि दसॉल्ट एविएशन और एमबीडीए ने अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं की।
रक्षा मंत्रालय ने राफेल लड़ाकू विमान में मिसाइल लगाने वाली यूरोपीय कंपनी एमबीडीए पर करीब 10 लाख यूरो (8.54 करोड़ रुपये) का जुर्माना लगाया है। कंपनी के द्वारा समझौते की शर्तों का पालन नहीं करने के कारण यह जुर्माना लगाया गया है। फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी दसॉल्ट एविएशन ने राफेल विमान बनाया है जबकि एमबीडीए ने इसमें लगने वाली मिसाइलों की आपूर्ति की है।
36 राफेल विमान खरीदने का समझौता
भारत सरकार ने सितंबर 2016 में फ्रांस की सरकार से 36 राफेल विमान खरीदने का समझौता किया था। 59 हजार करोड़ रुपये के इस समझौते में मिसाइलों और अन्य आधुनिक प्रणालियों से सज्जित विमान भारतीय वायुसेना को मिलना था। समझौते के अनुसार सौदे की 50 प्रतिशत धनराशि का भारत में दोबारा निवेश किया जाना है। यह कार्य सितंबर 2019 से सितंबर 2022 के बीच होना है, लेकिन सितंबर 2019 से सितंबर 2020 तक एमबीडीए ने दोबारा निवेश के कार्य में देरी की। इसी के कारण भारतीय रक्षा मंत्रालय ने उस पर जुर्माना लगाया है। बताया जा रहा है कि एमबीडीए ने यह जुर्माना रक्षा मंत्रालय के खाते में जमा करा दिया है, लेकिन कार्रवाई पर विरोध भी जताया है। हालांकि अपनी आपत्ति को सार्वजनिक नहीं किया है।
राफेल विमानों की पहली खेप जुलाई 2019 में भारत आई थी। सितंबर 2019 में कैग (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि दसॉल्ट एविएशन और एमबीडीए ने अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं की। राफेल विमान सौदे की शर्तों की मुताबिक उच्च तकनीक भारत को हस्तांतरित नहीं की। यह रिपोर्ट संसद में पेश हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दसॉल्ट एविएशन और एमबीडीए ने सितंबर 2015 में अपनी उच्च तकनीक भारतीय संस्था रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) को हस्तांतरित करने का वादा किया था, जो पूरा नहीं किया गया।
विस्तार
रक्षा मंत्रालय ने राफेल लड़ाकू विमान में मिसाइल लगाने वाली यूरोपीय कंपनी एमबीडीए पर करीब 10 लाख यूरो (8.54 करोड़ रुपये) का जुर्माना लगाया है। कंपनी के द्वारा समझौते की शर्तों का पालन नहीं करने के कारण यह जुर्माना लगाया गया है। फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी दसॉल्ट एविएशन ने राफेल विमान बनाया है जबकि एमबीडीए ने इसमें लगने वाली मिसाइलों की आपूर्ति की है।
36 राफेल विमान खरीदने का समझौता
भारत सरकार ने सितंबर 2016 में फ्रांस की सरकार से 36 राफेल विमान खरीदने का समझौता किया था। 59 हजार करोड़ रुपये के इस समझौते में मिसाइलों और अन्य आधुनिक प्रणालियों से सज्जित विमान भारतीय वायुसेना को मिलना था। समझौते के अनुसार सौदे की 50 प्रतिशत धनराशि का भारत में दोबारा निवेश किया जाना है। यह कार्य सितंबर 2019 से सितंबर 2022 के बीच होना है, लेकिन सितंबर 2019 से सितंबर 2020 तक एमबीडीए ने दोबारा निवेश के कार्य में देरी की। इसी के कारण भारतीय रक्षा मंत्रालय ने उस पर जुर्माना लगाया है। बताया जा रहा है कि एमबीडीए ने यह जुर्माना रक्षा मंत्रालय के खाते में जमा करा दिया है, लेकिन कार्रवाई पर विरोध भी जताया है। हालांकि अपनी आपत्ति को सार्वजनिक नहीं किया है।
राफेल विमानों की पहली खेप जुलाई 2019 में भारत आई थी। सितंबर 2019 में कैग (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि दसॉल्ट एविएशन और एमबीडीए ने अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं की। राफेल विमान सौदे की शर्तों की मुताबिक उच्च तकनीक भारत को हस्तांतरित नहीं की। यह रिपोर्ट संसद में पेश हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दसॉल्ट एविएशन और एमबीडीए ने सितंबर 2015 में अपनी उच्च तकनीक भारतीय संस्था रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) को हस्तांतरित करने का वादा किया था, जो पूरा नहीं किया गया।
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