माना जा रहा है कि वे जल्दी ही आजमगढ़ और वाराणसी में भी चुनावी रैलियों को संबोधित कर सकते हैं। बड़ा सवाल यह है कि यूपी जैसे बेहद महत्वपूर्ण राज्य से राहुल गांधी अब तक गायब क्यों थे और अब अंतिम चरणों में यूपी के सियासी रण में कूदकर कितना असर डाल सकेंगे?
यूपी जैसे बेहद अहम राज्य में जहां भाजपा अपना चुनाव प्रचार आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ अपने सभी नेताओं का भरपूर उपयोग कर रही है, वहीं कांग्रेसी दिग्गज का इस चुनावी समर से दूर होना बड़े सवाल खड़े कर रहा था। इसको लेकर सवाल भी खड़े हुए, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। माना जा रहा है कि यूपी में राहुल और प्रियंका दोनों ही बड़े नेताओं को कांग्रेस पार्टी एक साथ खपाना नहीं चाहती थी। वह दोनों नेताओं के चुनाव प्रचार में किसी तुलना से भी बचने की कोशिश कर रही थी।
वैसे भी राहुल के जिम्मे पंजाब के साथ-साथ उत्तराखंड-गोवा और मणिपुर में चुनाव प्रचार करने की जिम्मेदारी थी। ऐसे में यूपी को प्रियंका गांधी के हवाले करना पार्टी के लिए ज्यादा उपयुक्त फैसला लगा। शुरुआती चरण में ज्यादा बड़ी रैलियों के आयोजन पर रोक ने भी कांग्रेस को बेहद सधी चाल चलने के लिए मजबूर किया होगा।
फिलहाल, राहुल गांधी अब यूपी के सियासी रण में कूद चुके हैं और वे शुक्रवार को अमेठी के जगदीशपुर विधानसभा क्षेत्र और विशेषरगंज में चुनावी जनसभाओं को संबोधित करेंगे। इसके बाद वे प्रयागराज के कोरांव में एक जनसभा को संबोधित करेंगे। लेकिन अंतिम चरण में वे कितना असर छोड़ पाएंगे।
राहुल की पूरे देश में मांग: कांग्रेस
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष और पार्टी के स्टार प्रचारक विश्वविजय सिंह ने अमर उजाला से कहा कि राहुल गांधी पूरे देश के बड़े नेता हैं। सभी पांच चुनावी राज्यों से लगातार उनकी रैलियों की मांग की जा रही थी। वे लगातार पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में जनसभाएं कर रहे थे। इन राज्यों में चुनाव प्रचार के दौरान भी वे कभी उत्तर प्रदेश से दूर नहीं रहे और ट्वीट के माध्यम से लगातार योगी सरकार और केंद्र सरकार पर हमलावर रहे।
चूंकि, चुनाव के पहले चरणों में कोरोना संक्रमण से बचने के लिए चुनाव आयोग ने डिजिटल माध्यम से ही चुनाव प्रचार करने की अनुमति दी थी, राहुल गांधी ने उस माध्यम को बखूबी उपयोग किया और हर मामले पर सरकार को घेरने और उस पर हमला करने की रणनीति अपनाई। अब वे अन्य राज्यों में चुनाव प्रचार से मुक्त हुए हैं और इसके तुरंत बाद वे यूपी में सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में राहुल गांधी कई अन्य बड़ी जनसभाओं को संबोधित कर सकते हैं। पार्टी उनकी क्षमता का बखूबी उपयोग करने पर विचार कर रही है।
कितना असर छोड़ पाएंगे
अमेठी में एक अध्यापक के रूप में काम कर रहे रत्नेश्वर शुक्ला ने अमर उजाला से कहा कि यहां की जमीन गांधी परिवार से जुड़ी रही है और यहां के निवासी अपने को गांधी परिवार से जोड़कर स्वयं को गौरवांवित महसूस करते रहे हैं। दुर्भाग्य से पिछले चुनाव में यहां से राहुल गांधी चुनाव हार गए थे, लेकिन यहां की जनता अब उनकी कमी महसूस कर रही है।
उन्होंने कहा कि इस विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को अमेठी में बेहतर जीत हासिल होगी। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के आने के कार्यक्रम तय होने के बाद से ही लोग उनकी प्रतीक्षा कर रहे हैं और वे यूपी में कांग्रेस को मजबूती देने में कामयाब रहेंगे।