सार
भारत को पहले उम्मीद थी कि यूक्रेन युद्ध में उसकी स्थिति अफगानिस्तान जैसी नहीं होगी। रूस और यूक्रेन में भारत विरोधी मानसिकता भी नहीं है। यही कारण है कि युद्ध की शुरुआत के बावजूद अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद उभरी चिंता के मुकाबले भारत थोड़ा निश्चिंत था। भारत को उम्मीद थी कि इस युद्ध में उसके नागरिक निशाना नहीं बनेंगे।
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विस्तार
भारत को पहले उम्मीद थी कि यूक्रेन युद्ध में उसकी स्थिति अफगानिस्तान जैसी नहीं होगी। रूस और यूक्रेन में भारत विरोधी मानसिकता भी नहीं है। यही कारण है कि युद्ध की शुरुआत के बावजूद अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद उभरी चिंता के मुकाबले भारत थोड़ा निश्चिंत था। भारत को उम्मीद थी कि इस युद्ध में उसके नागरिक निशाना नहीं बनेंगे। हालांकि मंगलवार को मेडिकल छात्र नवीन की मौत ने भारत की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, रूस को भरोसा था कि युद्घ के दूसरे-तीसरे दिन यूक्रेेन हथियार डाल देगा। ऐसा नहीं होने के कारण ही रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव सहित अन्य महत्वपूर्ण शहरों पर पूरी ताकत से हमला बोला। यूक्रेन को हथियार डालने के लिए मजबूर करने के लिए ही रूस हमला तेज करने के साथ परमाणु युद्ध का हौवा भी खड़ा कर रहा है।
क्या है भारत की परेशानी
भारत की परेशानी के कई कारण हैं। दरअसल बड़ी संख्या में नागरिक कीव सहित उन महत्वपूर्ण शहरों में फंसे हुए हैं, जहां से भारत के लिए अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालना आसान नहीं है। मुश्किल यह है कि कीव जैसे महत्वपूर्ण शहरों में रह रहे भारतीयों को पड़ोसी देश की सीमा तक पहुंचने का रास्ता ही नहीं मिल पा रहा है। युद्ध केंद्रित इन क्षेत्रों में यातायात सेवा ठप होने के कारण सभी नागरिक बुरी तरह घिर गए हैं।
क्यों नहीं निकल पाए भारतीय छात्र
सरकारी सूत्रों ने बताया कि भारत को स्थिति की भयावहता का अंदाजा था। इसी के कारण भारत सरकार ने कई एडवाइजरी जारी कर अपने नागरिकों से यूक्रेन छोड़ने के लिए कहा। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक वहां मेडिकल की पढ़ाई करने वाले अधिकतर छात्र मध्य और निम्न मध्य वर्ग के हैं। इन परिवारों ने सारी जमा-पूंजी लगाकर बच्चों को मेडिकल की पढ़ाई के लिए भेजा था। युद्ध की आहट के बावजूद यूक्रेन ने इन छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई और परीक्षा का आश्वासन नहीं दिया, इसलिए ये छात्र भविष्य और कॅरिअर के डर से यूक्रेन में जमे रहे। उक्त अधिकारी के मुताबिक यूक्रेन में 20 हजार भारतीय नागरिक थे। इनमें से 15 हजार मेडिकल के छात्र थे। दूतावास की चेतावनी के बाद छात्रों को छोड़ कर पांच हजार नागरिक युद्ध शुरू होने से पहले या युद्ध के पहले दिन भारत लौट आए। हालांकि मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्र वापस नहीं लौटे।
छात्रों की जानकारी विदेश मंत्रालय को दें सांसद : जयशंकर
नई दिल्ली। विदेशमंत्री एस जयशंकर ने सांसदों से कहा कि वे यूक्रेन में फंसे भारतीय विद्यार्थी व नागरिकों की जानकारी सीधे उनके कार्यालय को दें ताकि उनकी वतन वापसी सुनिश्चित कराई जा सके। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद वहां फंसे भारतीय नागरिकों के परिवारों की ओर से कई सांसदों को फोन कॉल मिल रहे हैं। विदेश मंत्री ने सोमवार को संसदों को ई-मेल आईडी और व्हाट्सएप नंबर साझा किया जिस पर वे ब्योरा भेज सकते हैं।
कीव की बदतर हालत ने बढ़ाई भारत की चिंता, राष्ट्रपति ने दौरा टाला
यूक्रेन की राजधानी कीव पर रूस के हमले से बदतर हो जा रहे हालात ने भारत की चिंता बढ़ा दी है। रूसी सेना के और बड़े हमले के अंदेश के बीच भारतीय दूतावास ने अपने नागरिकों को तत्काल और हर हाल में कीव छोड़ने संबंधी सख्त एडवाइजरी जारी की है। दूतावास ने कहा है कि भारतीय नागरिक जो भी साधन उपलब्ध हों उसकी सहायता से हर हाल में मंगलवार को कीव छोड़ दें। यूक्रेन संकट के कारण राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपनी विदेश यात्रा टाल दी है।