अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली।
Published by: Jeet Kumar
Updated Sat, 11 Sep 2021 01:06 AM IST
सार
मैकेंजी की ताजा शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया में महामारी की वजह से फिलहाल खपत में कमी रह सकती है, लेकिन एशियाई उपभोक्ता ही विकास का नेतृत्व करेंगे।
प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
मैकेंजी की रिपोर्ट के मुताबिक अगले दशक में वैश्विक खपत वृद्धि में उनकी हिस्सेदारी 50 फीसदी हो सकती है, जो 10 लाख करोड़ डॉलर के अतिरिक्त बिक्री के अवसर के बराबर हो सकता है। भारत में भी इस दौरान खपत में 1.8 लाख करोड़ डॉलर की वृद्धि हो सकती है। वही, बुजुर्गों (60 साल से ज्यादा) में खपत बाकी लोगों से 1.6 गुना ज्यादा रह सकती है। इससे ई-कॉमर्स क्षेत्र के विकास को गति मिलेगी।
लगातार घट रही परिवारों की संख्या
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में परिवारों का औसत आकार लगातार घट रहा है। देश में 1999 से 2015 तक परिवारों के आकार में 16 फीसदी गिरावट आई है। 1999 में एक भारतीय परिवार में औसतन पांच से ज्यादा (5.5) लोग होते थे। 2015 में यह आंकड़ा घटकर 4.5 रह गया।
55 फीसदी होगी उपभोक्ता वर्ग की आबादी
मैकेंजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक भारत में उपभोक्ता वर्ग की आबादी बढ़कर 55 फीसदी पहुंच सकती है। अभी यह आबादी करीब एक चौथाई यानी 24 फीसदी है और 2000 में 9 फीसदी थी।
खास बात है कि एशियाई उपभोक्ता वर्ग की एक चौथाई से ज्यादा यानी 27 फीसदी आबादी भारत में रहती है। उपभोक्ता वर्ग में वे लोग शामिल होते हैं, जिनकी 2011 में खरीद क्षमता (परचेजिंग पावर पैरिटी) के हिसाब से प्रतिदिन 11 डॉलर (800 रुपये) करते हैं।
भारत की विकास गाथा में इनका रहेगा योगदान
भारत की विकास गाथा में सबसे बड़ी भूमिका उच्च आय वाले परिवारों की संख्या में बढ़ोतरी का होगा। इसके अलावा, परिवार के सदस्यों की संख्या लगातार घटने, उपभोक्ता वर्ग का आकार दोगुना होने, इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले वरिष्ठ नागरिकों की संख्या में वृद्धि और ई-कॉमर्स की बढ़ोतरी का भी योगदान होगा। -महिमा चुग, भागीदार, मैकेंजी