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महामारी के डेढ़ साल: दुनिया को अब कोरोना वायरस के साथ ही जीना होगा, जानिए इन पांच देशों की खास रणनीति

कोरोना वायरस महामारी के 18 महीने बीत चुके हैं और अब कई देशों ने कोरोना के साथ ही रहना स्वीकार कर लिया है। कुछ देशों ने वैक्सीनेशन का काम तेजी से किया है तो कुछ देशों ने तय किया कि आर्थिक और सामाजिक प्रतिबंध लोगों की जिंदगी से अधिक महत्वपूर्ण है। यहां हम आपको पांच ऐसे देशों के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने कोरोना को लेकर खास रणनीति अपनाई है। 

डेनमार्क 
डेनमार्क सरकार ने 10 सितंबर को देश में हर तरह का कोरोना प्रतिबंध खत्म कर दिया। सरकार का तर्क है कि कोरोना वायरस अब समाज के लिए गंभीर खतरा नहीं है। लोग अब नाइटक्लब और रेस्टोरेंट में बिना कोविड पास दिखाए प्रवेश कर सकते हैं। बिना फेस मास्क लगाए बसों में सफर कर सकते हैं और बड़ी संख्या में किसी जगह एकत्र हो सकते हैं। 

इस फैसले के पीछे खास वजह यह है कि सरकार ने 13 सितंबर तक 74 फीसदी लोगों  का पूरी तरह टीकाकरण कर दिया। यहां संक्रमण अब 0.7 फीसदी है, यानि कि कोरोना वायरस कमजोर पड़ रहा है। खुद स्वास्थ्य मंत्री मैग्नस हैनिक ने ट्वीट कर इसी जानकारी दी। अगर संक्रमण दर 1.0 से ऊपर रहती है तो भविष्य में कोरोना फैल सकता है और अगर यह 1.0 से नीचे रहती है तो संक्रमण खत्म होने की ओर होगा। 

सिंगापुर 
सिंगापुर सरकार ने जून में कहा था कि वह कोविड रणनीति के साथ आगे बढ़ने जा रही है। इसके तहत प्रतिबंध लगाने की जगह वैक्सीनेशन और लोगों की निगरानी का काम हुआ। 

सिंगापुर के शीर्ष कोविड-19 अधिकारी ने एक लेख में बताया- बुरी खबर है कि कोरोना वायरस कभी खत्म नहीं होगा, और अच्छी खबर है कि हम इसके साथ जी सकते हैं। अधिकारियों ने अगस्त में ही प्रतिबंध हटाने शुरू कर दिए थे। दोनों टीका ले चुके लोगों को रेस्टरेंट आदि जगहों पर जाने और पांच के ग्रुप में एकत्र होने की इजाजत दी गई। 

लेकिन डेल्टा वायरस ने देश को नई चिंता में डाल दिया। अधिकारियों को अपनी रणनीति पर दोबारा विचार करना पड़ा है। इनका कहना है कि अगर इस पर काबू नहीं पाया गया तो दोबारा प्रतिबंध लगाने होंगे। 

बहरहाल, सिंगापुर में बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन ने कोरोना संक्रमण पर काबू पाने में मदद की। यहां करीब 81 फीसदी आबादी को टीके लग चुके हैं। 

थाईलैंड  
यह देश अगले महीने से विदेशी पर्यटकों के लिए टूरिस्ट प्लेस खोलने की योजना बना रहा है। कोरोना के बढ़ते मामलों के बावजूद पर्यटक उद्योग को दोबारा पटरी पर लाने की कोशिश हो रही है। 

कोरोना वैक्सीन ले चुके पर्यटकों को ही बैंकॉक, हुआ हिन, पटाया और चियांग मई में जाने की इजाजत होगी। फुकेट में पर्यटकों को कोरोना वैक्सीन सर्टीफिकेट के साथ आने की अनुमति जुलाई में ही मिल गई थी। 

हालांकि, इस देस में टीकाकरण की रफ्तार बेहद धीमी रही है। यहां मात्र 18 फीसदी लोगों का ही पूरी तरह टीकाकरण हुआ है। जबकि 21 फीसदी का आंशिक रूप से टीकाकरण हुआ है। 

दक्षिण अफ्रीका 
इस देश में कोरोना की रफ्तार कम होने के साथ ही प्रतिबंधों में ढील देने का सिलसिला शुरू हो गया था। यहां रात्रि कर्फ्यू का समय घटाकर रात 11 बजे से सुबह 4 तक कर दिया गया, बाहर 500 लोगों को एकत्र होने जबकि अंदर 250 लोगों को जमा होने की इजाजत दी गई। रविवार को राष्ट्रपति सीरिल रामफोसा ने प्रतिबंधों में छूट का एलान किया।

द. अफ्रीका ने संक्रमण का बुरा दौर भी देखा था और यहां बहुत सख्त नियम लागू किए गए थे। रामफोसा ने कहा कि देश के पास अब सभी व्यस्कों के लिए पर्याप्त वैक्सीन है। अब तक एक तिहाई लोगों को टीके लग चुके हैं।

चिली 
चिली को अपने सहज और सफल वैक्सीनेशन कैंपेन के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा मिली है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट के अनुसार यहां अब तक 87 फीसदी लोगों का पूरी  तरह टीकाकरण हो चुका है। चिली ने उन लोगों को बूस्टर डोज देना भी शुरू कर दिया है जिनका पूर्ण टीकाकरण हो चुका है। 

इस देश ने बच्चों के टीकाकरण की भी पूरी तैयारी कर ली है और 6 साल से ऊपर के बच्चों के लिए चीन की वैक्सीन सिनोवैक का इस्तेमाल करने जा रही है। डेल्टा वैरियंट के मामले सामने आने के बावजूद चिली ने 1 अक्तूबर से पर्यटकों को एंट्री देने का फैसला किया है। 

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