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भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग : छह निजी फर्म के खिलाफ गठजोड़ करने और नीलामी में हेराफेरी का लगाया आरोप

एजेंसी, नई दिल्ली
Published by: Kuldeep Singh
Updated Tue, 02 Nov 2021 03:19 AM IST

सार

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने पाया कि इन छह फर्म ने फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) को लो डेंसिटी पॉलीएथिलीन कवर्स की आपूर्ति में गठजोड़ बनाकर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कीमतों को नियंत्रित किया, ठेके बांटे, नीलामी मूल्य को लेकर आपस में सहयोग किया और पूरी नीलामी प्रक्रिया में हेराफेरी की। 
 

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग
– फोटो : सोशल मीडिया

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भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने छह निजी फर्म के खिलाफ शुक्रवार को अंतिम आदेश पारित किया। इन छह फर्म पर प्रतिस्पर्धा कानून 2002 की धारा 3(1) का उल्लंघन करने का आरोप है जो गैर प्रतिस्पर्धी समझौतों को प्रतिबंधित करता है।

आयोग ने पाया कि इन फर्म ने फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) को लो डेंसिटी पॉलीएथिलीन कवर्स की आपूर्ति में गठजोड़ बनाकर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कीमतों को नियंत्रित किया, ठेके बांटे, नीलामी मूल्य को लेकर आपस में सहयोग किया और पूरी नीलामी प्रक्रिया में हेराफेरी की। 

सीसीआई ने विज्ञप्ति जारी कर बताया कि एफसीआई द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर इस मामले को शुरू किया गया था। विज्ञप्ति के अनुसार आयोग ने दोषी पाई गई इन फर्म कंपनियों खिलाफ अंतिम रूप से सीज एंड डेसिस्ट (बंद करो और रोको) आदेश पारित किया है। हालांकि इनके खिलाफ किसी तरह का आर्थिक जुर्माना लगाने से परहेज किया गया है।

आयोग ने इसके पीछे तर्क दिया है कि इन छह में से चार ने मामले की शुरुआत होते ही अपनी गलती मान कर अपनी गतिविधियों का पूरा ब्यौरा देते हुए आयोग की कार्यवाही में पूरा सहयोग दिया। साथ ही ये सभी फर्म एमएसएमई की श्रेणी में हैं जिनमें बहुत कम स्टाफ और कम टर्नओवर है और कोविड के कारण एमएसएमई सेक्टर पहले से ही बहुत दबाव में है।

विस्तार

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने छह निजी फर्म के खिलाफ शुक्रवार को अंतिम आदेश पारित किया। इन छह फर्म पर प्रतिस्पर्धा कानून 2002 की धारा 3(1) का उल्लंघन करने का आरोप है जो गैर प्रतिस्पर्धी समझौतों को प्रतिबंधित करता है।

आयोग ने पाया कि इन फर्म ने फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) को लो डेंसिटी पॉलीएथिलीन कवर्स की आपूर्ति में गठजोड़ बनाकर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कीमतों को नियंत्रित किया, ठेके बांटे, नीलामी मूल्य को लेकर आपस में सहयोग किया और पूरी नीलामी प्रक्रिया में हेराफेरी की। 

सीसीआई ने विज्ञप्ति जारी कर बताया कि एफसीआई द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर इस मामले को शुरू किया गया था। विज्ञप्ति के अनुसार आयोग ने दोषी पाई गई इन फर्म कंपनियों खिलाफ अंतिम रूप से सीज एंड डेसिस्ट (बंद करो और रोको) आदेश पारित किया है। हालांकि इनके खिलाफ किसी तरह का आर्थिक जुर्माना लगाने से परहेज किया गया है।

आयोग ने इसके पीछे तर्क दिया है कि इन छह में से चार ने मामले की शुरुआत होते ही अपनी गलती मान कर अपनी गतिविधियों का पूरा ब्यौरा देते हुए आयोग की कार्यवाही में पूरा सहयोग दिया। साथ ही ये सभी फर्म एमएसएमई की श्रेणी में हैं जिनमें बहुत कम स्टाफ और कम टर्नओवर है और कोविड के कारण एमएसएमई सेक्टर पहले से ही बहुत दबाव में है।

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