सार
एक्सपर्ट सिंडी यू ने अपने पॉडकास्ट में कहा है कि अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया, उस अवस्था में उसके लिए ये जरूरी हो जाएगा कि अमेरिका को उस बारे में तुरंत और लगातार उसकी सूचना ना मिलती रहे। दूसरी तरफ, अगर चीन संचार जाम करने में कामयाब हो गया, तो अमेरिकी सैनिक अड्डों में अफरातफरी मच जाएगी….
चीनी सेना
– फोटो : अमर उजाला (फाइल फोटो)
चीन की सेना अमेरिकी सैनिक अड्डों में संचार नेटवर्क को जाम कर देने के उपाय ढूंढ रही है। ताइवान मुद्दे पर अमेरिका और चीन के बीच बढ़ रहे तनाव के बीच चीनी सेना ने ये कोशिश शुरू की है। ये दावा एक एक्सपर्ट ने अपने एक पॉडकास्ट में किया है। पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की शिखर वार्ता के दौरान शी ने चेतावनी दी थी कि ताइवान की आजादी का समर्थन करना आग से खेलने जैसा होगा।
ये है योजना
एक्सपर्ट सिंडी यू ने अपने पॉडकास्ट में कहा है कि अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया, उस अवस्था में उसके लिए ये जरूरी हो जाएगा कि अमेरिका को उस बारे में तुरंत और लगातार उसकी सूचना ना मिलती रहे। दूसरी तरफ, अगर चीन संचार जाम करने में कामयाब हो गया, तो अमेरिकी सैनिक अड्डों में अफरातफरी मच जाएगी। वैसी हालत में अमेरिका अपने सैनिक अड्डों से चीनी हमले का तुरंत जवाब देने में अक्षम हो जाएगा।
सिंडी यू ने दावा उस समय किया है, जब पश्चिम में इस बात को लेकर चर्चा चल रही है कि अगर ताइवान को लेकर चीन के साथ टकराव बढ़ा, तो उस हाल में अमेरिका और दूसरे पश्चिम देश चीन को हमले से रोकने के लिए क्या उपाय कर सकते हैं। ब्रिटिश वेबसाइट एक्सप्रेस.को.यूके में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिमी देशों में राय बनी है कि आर्थिक प्रतिबंध लगाने से चीन को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंच सकता है।
जबकि सिंडी यू की राय है कि आर्थिक प्रतिबंध लगाना एक पेचीदा कदम होगा। उन्होंने कहा- ‘स्पष्टतया कारोबारियों की अलग प्राथमिकताएं हैं। मुझे नहीं मालूम कि आजाद देशों में किस हद तक कारोबारी घरानों से कहा जा सकता है कि कौन किससे व्यापार कर सकता है। खास कर उस हाल में जब बहुत से छोटे और मझौले कारोबारियों के लिए चीन से व्यापार करना उनके अस्तित्व से जुड़ गया है।’
बने रहें शीत युद्ध जैसे हालात
सिंडी यू ने कहा है कि सबसे अच्छी स्थिति यह होगी कि ताइवान के मामले में यथास्थिति बनी रहे। यानी आज की शीत युद्ध जैसी स्थिति बनी रहे, जिसमें दोनों पक्ष पहली चाल चलने की स्थिति में हों। लेकिन अब जबकि संचार को जाम करने जैसे आधुनिक तरीकों पर सोचा जा रहा है, जब ऐसे उपायों को नाकाम करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वन चाइन पॉलिसी को लागू करने का संकल्प जताया है। उन्होंने कहा है कि जरूरी हुआ तो इसके लिए ताकत का इस्तेमाल भी किया जाएगा। इसका मतलब यही है कि चीन जबरन ताइवान को अपने में मिला लेने के लिए उस पर हमला कर सकता है।
सिंडी यू ने राय जताई है कि ताइवान पर हमला करना मध्यम अवधि में चीन के फायदे में नहीं होगा। अगर उसने बिना पर्याप्त सैनिक और आर्थिक ताकत हासिल किए ऐसा कदम उठाया, तो उसके परिणामस्वरूप में अंततः ऐसा हो सकता है कि चीन विभाजित हो जाए।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस हफ्ते कहा है कि उनका प्रशासन ताइवान के अपने बारे में फैसला लेने के अधिकार का समर्थन करता है। लेकिन जानकारों के मुताबिक ताइवान के बारे में अमेरिकी नीति में कई पेच हैं। फिलहाल ताइवान के आसपास तनाव बढ़ रहा है। इसे देखते हुए अमेरिका और चीन दोनों उस क्षेत्र में अपनी सैनिक शक्ति को बढ़ा रहे हैं।
विस्तार
चीन की सेना अमेरिकी सैनिक अड्डों में संचार नेटवर्क को जाम कर देने के उपाय ढूंढ रही है। ताइवान मुद्दे पर अमेरिका और चीन के बीच बढ़ रहे तनाव के बीच चीनी सेना ने ये कोशिश शुरू की है। ये दावा एक एक्सपर्ट ने अपने एक पॉडकास्ट में किया है। पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की शिखर वार्ता के दौरान शी ने चेतावनी दी थी कि ताइवान की आजादी का समर्थन करना आग से खेलने जैसा होगा।
ये है योजना
एक्सपर्ट सिंडी यू ने अपने पॉडकास्ट में कहा है कि अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया, उस अवस्था में उसके लिए ये जरूरी हो जाएगा कि अमेरिका को उस बारे में तुरंत और लगातार उसकी सूचना ना मिलती रहे। दूसरी तरफ, अगर चीन संचार जाम करने में कामयाब हो गया, तो अमेरिकी सैनिक अड्डों में अफरातफरी मच जाएगी। वैसी हालत में अमेरिका अपने सैनिक अड्डों से चीनी हमले का तुरंत जवाब देने में अक्षम हो जाएगा।
सिंडी यू ने दावा उस समय किया है, जब पश्चिम में इस बात को लेकर चर्चा चल रही है कि अगर ताइवान को लेकर चीन के साथ टकराव बढ़ा, तो उस हाल में अमेरिका और दूसरे पश्चिम देश चीन को हमले से रोकने के लिए क्या उपाय कर सकते हैं। ब्रिटिश वेबसाइट एक्सप्रेस.को.यूके में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिमी देशों में राय बनी है कि आर्थिक प्रतिबंध लगाने से चीन को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंच सकता है।
जबकि सिंडी यू की राय है कि आर्थिक प्रतिबंध लगाना एक पेचीदा कदम होगा। उन्होंने कहा- ‘स्पष्टतया कारोबारियों की अलग प्राथमिकताएं हैं। मुझे नहीं मालूम कि आजाद देशों में किस हद तक कारोबारी घरानों से कहा जा सकता है कि कौन किससे व्यापार कर सकता है। खास कर उस हाल में जब बहुत से छोटे और मझौले कारोबारियों के लिए चीन से व्यापार करना उनके अस्तित्व से जुड़ गया है।’
बने रहें शीत युद्ध जैसे हालात
सिंडी यू ने कहा है कि सबसे अच्छी स्थिति यह होगी कि ताइवान के मामले में यथास्थिति बनी रहे। यानी आज की शीत युद्ध जैसी स्थिति बनी रहे, जिसमें दोनों पक्ष पहली चाल चलने की स्थिति में हों। लेकिन अब जबकि संचार को जाम करने जैसे आधुनिक तरीकों पर सोचा जा रहा है, जब ऐसे उपायों को नाकाम करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वन चाइन पॉलिसी को लागू करने का संकल्प जताया है। उन्होंने कहा है कि जरूरी हुआ तो इसके लिए ताकत का इस्तेमाल भी किया जाएगा। इसका मतलब यही है कि चीन जबरन ताइवान को अपने में मिला लेने के लिए उस पर हमला कर सकता है।
सिंडी यू ने राय जताई है कि ताइवान पर हमला करना मध्यम अवधि में चीन के फायदे में नहीं होगा। अगर उसने बिना पर्याप्त सैनिक और आर्थिक ताकत हासिल किए ऐसा कदम उठाया, तो उसके परिणामस्वरूप में अंततः ऐसा हो सकता है कि चीन विभाजित हो जाए।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस हफ्ते कहा है कि उनका प्रशासन ताइवान के अपने बारे में फैसला लेने के अधिकार का समर्थन करता है। लेकिन जानकारों के मुताबिक ताइवान के बारे में अमेरिकी नीति में कई पेच हैं। फिलहाल ताइवान के आसपास तनाव बढ़ रहा है। इसे देखते हुए अमेरिका और चीन दोनों उस क्षेत्र में अपनी सैनिक शक्ति को बढ़ा रहे हैं।
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