न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली।
Published by: योगेश साहू
Updated Fri, 26 Nov 2021 03:13 AM IST
सार
रिजर्व तेल के जरिये अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतें थामने की मंशा फिलहाल टूटती नजर आ रही है। चीन की चाल से तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक व अन्य सहयोगियों पर दबाव घटने लगा है।
पेट्रोल-डीजल क्रूड ऑयल
– फोटो : iStock
ख़बर सुनें
विस्तार
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के प्रमुख फातिह बैरल ने कहा कि चीन के सहयोग के बिना अमेरिका का कदम प्रभावी साबित नहीं होगा। अमेरिका ने जो तेल बाजार को देने के लिए कहा है वह उसकी ढाई दिन की घरेलू खपत के बराबर है। भारत ने भी अपनी एक दिन की घरेलू जरूरत के बराबर रिजर्व तेल दिया है।
चीन, जो कि सबसे बड़ा क्रूड आयातक है, उससे बड़ी मात्रा में रिजर्व तेल जारी किए जाने की उम्मीद थी। चीन के इस बयान से रणनीति को धक्का लगा है। गोल्डमैन सॉक्स ने अभी तक जारी तेल को समंदर में बूंद की तरह बताया है। उसका कहना है कि चीन के हाथ खींचने से कच्चे तेल की कीमतें फिर ऊपर जाने लगी हैं। बृहस्पतिवार को ब्रेंट क्रूड 82 डॉलर प्रति बैरल के भाव रहा।
ओपेक पर भी घटा दबाव, उत्पादन बढ़ाने की संभावना कम
रिजर्व तेल के जरिये अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतें थामने की मंशा फिलहाल टूटती नजर आ रही है। चीन की चाल से तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक व अन्य सहयोगियों पर दबाव घटने लगा है। विश्लेषकों का कहना है कि 2 दिसंबर को होने वाली ओपेक-प्लस की बैठक में उत्पादन बढ़ाने की संभावना कम ही लग रही।
आईईए प्रमुख ने कहा, हम कीमतों पर प्रभाव डालने की कोशिश नहीं कर सकते, लेकिन आपूर्ति में कमी बनावटी है और इसे 60 लाख बैरल प्रतिदिन तक बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, इराक के पेट्रोलियम मंत्री इहसान अब्दुल जब्बार का कहना है कि हम उत्पादन बढ़ाने से पहले मौजूदा आपूर्ति की समीक्षा करेंगे।