Desh

पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव: कांग्रेस की कमजोर स्थिति का फायदा उठाने में जुटीं आप और तृणमूल कांग्रेस

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस के अलावा कई क्षेत्रीय दल भी मैदान में उतर रहे हैं। दिल्ली की आम आदमी पार्टी भी गोवा, पंजाब और उत्तराखंड में अपना भाग्य आजमा रही है तो वहीं ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस भी गोवा जैसे राज्य में दम खम के साथ मैदान में उतर रही है। कांग्रेस पार्टी के कमजोर होने का फायदा उठाने के लिए दोनों ही पार्टियां बाकी राज्यों में भी सियासी दखल बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं।

कांग्रेस के घटते जनाधार के मायने
2014 लोकसभा चुनावों के बाद से कांग्रेस कई राज्यों में अपनी सत्ता गंवा चुकी है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश समेत दक्षिण भारत के कई राज्यों में पार्टी आज तीसरे और चौथे नंबर तक आ गई है। हिंदी पट्टी के राज्यों में जहां कांग्रेस की लड़ाई सीधे तौर पर भाजपा से है तो वहीं पार्टी भीतरी गुटबाजी से भी लड़ती रही है। 

वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई ने अमर उजाला से बातचीत में कहा कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए करो या मरो की तरह है। सभी राज्यों में कांग्रेस को फिलहाल अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़नी पड़ रही है। सामान्य रूप से देखा जाए तो चुनावों में राजनीतिक दलों के लिए हार या जीत का सिलसिला चलता रहता है लेकिन इन चुनावों में कांग्रेस को हार का दोहरा नुकसान हो सकता है।

उन्होंने कहा कि अगर उत्तराखंड में भाजपा ने फिर से कांग्रेस को हरा दिया तो ये कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा झटका होगा। वहीं दूसरी तरफ पंजाब में अगर आम आदमी पार्टी का उदय होता है तो ये भी कांग्रेस के लिए बड़ा खतरा होगा। क्योंकि आम आदमी पार्टी अपनी इस कामयाबी को देशभर में भुनाएगी। आगामी चुनावी राज्य गुजरात और हिमाचल में पार्टी पहले के मुकाबले ज्यादा सक्रिय भूमिका में नजर आएगी। इससे कांग्रेस की विपक्ष के तौर पर भूमिका भी खतरे में पड़ सकती है।

टीएमसी और आप भी बड़ी चुनौती बनने की तैयारी में
किदवई के मुताबिक जहां तक तृणमूल कांग्रेस कांग्रेस का सवाल है, उसे अन्य राज्यों में नुकसान ज्यादा है और फायदा कम। अगर गोवा में पार्टी कुछ बेहतर प्रदर्शन करती है तो देश में एक बेहतर संदेश देने की स्थिति में होगी। कांग्रेस के लिए भी एक नई चुनौती बन सकती है। यही स्थिति आम आदमी पार्टी की भी होगी। ये दोनों ही पार्टियों के गोवा में मजबूत होने का असर कांग्रेस को भारी पड़ सकता है।

भाजपा के लिए भी ये चुनौती खड़ी कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि केजरीवाल और ममता दोनों ने ही राष्ट्रीय स्तर पर मौजूद इस शून्यता को भांप लिया है और उसे भरने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं। दोनों नेताओं ने अपने राज्यों में भाजपा को हराकर सरकार बनाई है। इसलिए उन्हें लगता है कि वे जनता को आसानी से भरोसा दिला लेंगे कि भाजपा को असली टक्कर वही दे सकते हैं।

टीमएसी से आगे है आम आदमी पार्टी
इन राज्यों में फिलहाल टीएमसी के मुकाबले आम आदमी पार्टी आगे नजर आ रही है। फिलहाल आप उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में चुनाव लड़ रही है। अगर मौजूदा रुझानों को देखें तो आम आदमी पार्टी पंजाब की चुनावी जंग में सबसे आगे है। उत्तराखंड और गोवा में भी यह अपनी मौजूदगी दर्ज कराने में कामयाब हो जाएगी। 2017 में भी आप ने पंजाब में 20 सीटें जीती थीं।

आप इकलौती पार्टी है, जिसकी एक राज्य में सरकार है और दूसरे राज्यों में भी अच्छी खासी मौजूदगी है। अगर आप पंजाब जीतने में सफल रहती है तो इस धारणा को बल मिलेगा कि वह राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा को चुनौती दे सकती है। जबकि अरविंद केजरीवाल गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी चुनाव लड़ने का एलान कर चुके हैं।

दूसरी ओर ममता भी पश्चिम बंगाल के बाहर जनाधार बढ़ाने में जुटी हैं। पिछले छह महीनों में टीएमसी ने गोवा, हरियाणा, त्रिपुरा,असम और मेघालय में यूनिट खोली है लेकिन वह फिलहाल सिर्फ गोवा में विधानसभा चुनाव लड़ेगी। त्रिपुरा में भी पार्टी अपनी जमीन तैयार करने में जुटी हई है। केजरीवाल और ममता दोनों ही अपने-अपने राज्यों में काफी लोकप्रिय हैं। लेकिन केजरीवाल की लोकप्रियता दिल्ली के बाहर भी कई हिंदी भाषी राज्यों में है। यह चीज उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर उभारने में काफी मददगार हो सकती है।

भविष्य में है ममता को फायदा
राजनीतिक जानकार कहते है कि गैर-कांग्रेसी और गैर-भाजपा नेताओं के बीच ममता बनर्जी की स्वीकार्यता ज्यादा है। ऐसे में अगर राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष की अगुवाई करने की स्थिति बनी तो यहां टीएमसी फायदे में रहेगी। लेकिन सिर्फ केजरीवाल और ममता की व्यक्तिगत लोकप्रियता के सहारे आप और टीएमसी की नाव पार नहीं लगेगी। उन्हें दूसरे राज्यों में विस्तार के लिए मजबूत लोकल लीडरशिप तैयार करनी होगी, तभी मतदाता उन पर भरोसा करेगा।

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top
%d bloggers like this: