वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, संयुक्त राष्ट्र।
Published by: योगेश साहू
Updated Sat, 19 Mar 2022 04:18 AM IST
सार
दुनिया के सबसे खुशहाल देशों की सूची बीते 10 सालों से तैयार की जा रही है। इसे तैयार करने के लिए लोगों की खुशी के आंकलन के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक आंकड़ों को भी देखा जाता है। इसकी गणना के लिए तीन साल के आंकड़ों को लिया जाता है। इसके साथ्ज्ञ ही खुशहाली को शून्य से 10 अंक तक के पैमाने पर आंका जाता है। हालांकि संयुक्त राष्ट्र की यह रिपोर्ट रूस के यूक्रेन पर आक्रमण करने से पहले ही बनकर तैयार हो गई थी।
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विस्तार
शुक्रवार को जारी हुई इस सूची में सर्बिया, बुल्गारिया और रोमानिया कुछ ऐसे मुल्क हैं जहां बेहतर जीवन जीने की परिस्थितियां सुधरी हैं। वहीं लेबनान, वेनेजुएला और अफगानिस्तान ऐसे देश हैं जो कि इस सूची में अंतिम पायदानों पर हैं।
लेबनान जैसे देश सबसे नाखुश क्यों?
लेबनान इन दिनों आर्थिक मंदी का सामना कर रहा है, यह देश सूची में 144वें स्थान पर है। जबकि जिम्बाब्वे 143वें स्थान पर है। बीते वर्ष अगस्त में तालिबान के फिर से सत्ता में आने के बाद से युद्ध से पीड़ित अफगानिस्तान, पहले से ही इस सूची में सबसे नीचे है। यूनिसेफ की ओर से अनुमान जताया गया है कि यदि मदद न दी गई तो वहां पांच साल से कम उम्र के दस लाख बच्चे इस सर्दी में भुखमरी का शिकार हो सकते हैं।
यूक्रेन संकट से पहले बन गई थी रिपोर्ट
दुनिया के सबसे खुशहाल देशों की सूची बीते 10 सालों से तैयार की जा रही है। इसे तैयार करने के लिए लोगों की खुशी के आंकलन के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक आंकड़ों को भी देखा जाता है। इसकी गणना के लिए तीन साल के आंकड़ों को लिया जाता है। इसके साथ्ज्ञ ही खुशहाली को शून्य से 10 अंक तक के पैमाने पर आंका जाता है। हालांकि संयुक्त राष्ट्र की यह रिपोर्ट रूस के यूक्रेन पर आक्रमण करने से पहले ही बनकर तैयार हो गई थी। इस वजह से सूची में रूस 80वें और यूक्रेन 98वें नंबर पर है।
इन आधारों पर तैयार की गई सूची
रिपोर्ट के सह लेखक जेफरी सैक्स ने लिखा है कि सालों से वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट का बनाने के बाद यह सीखा है कि सामाजिक सद्भाव, उदारता, सरकार की ईमानदारी खुशहाली के लिए बेहद जरूरी हैं। विश्व के नेताओं को यह ध्यान रखना चाहिए। रिपोर्ट बनाने वालों ने कोरोना महामारी के पहले और बाद के समय का इस्तेमाल किया। वहीं लोगों की भावनाओं का तुलनात्मक अध्ययन करने के लिए सोशल मीडिया से भी आंकड़े जुटाए। सूची में शामिल 18 देशों में चिंता और उदासी में वृद्धि देखी गई। लेकिन, क्रोध की भावनाओं में गिरावट देखी गई।