एजेंसी, नई दिल्ली
Published by: Kuldeep Singh
Updated Thu, 04 Nov 2021 06:35 AM IST
सार
हाईकोर्ट ने कहा, विज्ञापन बोलने की आजादी का हिस्सा पर इससे किसी ट्रेडमार्क स्वामी को नुकसान नहीं होना चाहिए। हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी एक कंपनी की वेबसाइट से वेब ट्रैफिक डायवर्ट करने के मामले में गूगल को जांच का आदेश देते हुए की। हाईकोर्ट ने कहा है कि विज्ञापन के माध्यम से राजस्व अर्जित करने वाली गूगल उसके उन विज्ञापनदाताओं की त्रुटियों के लिए जिम्मेदार है, जो अपने फायदे के लिए ट्रेडमार्क स्वामी की गुडविल को भुना रहे हैं।
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हाईकोर्ट ने कहा, विज्ञापन बोलने की आजादी का हिस्सा पर इससे किसी ट्रेडमार्क स्वामी को नुकसान नहीं होना चाहिए
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि विज्ञापन के माध्यम से राजस्व अर्जित करने वाली गूगल उसके उन विज्ञापनदाताओं की त्रुटियों के लिए जिम्मेदार है, जो अपने फायदे के लिए ट्रेडमार्क स्वामी की गुडविल को भुना रहे हैं।
अदालत ने कहा कि गूगल की नीति के अनुसार वे कीवर्ड के रूप में ट्रेडमार्क के उपयोग की जांच करते हैं, लेकिन यह केवल यूरोपीय संघ तक सीमित है। भारत में इसका पालन नहीं किया जाता। उच्च न्यायालय ने गूगल इंडिया लिमिटेड और गूगल एलएलसी को वादी अग्रवाल पैकर्स एंड मूवर्स लिमिटेड की शिकायत की जांच करने का निर्देश दिया है।
कंपनी ने आरोप लगाया कि कीवर्ड के रूप में उनके ट्रेडमार्क और उससे मिलते-जुलते शब्दों का इस्तेमाल कर वेब ट्रैफिक उसकी वेबसाइट से विज्ञापनदाता की साइट पर डायवर्ट किया जा रहा है।
न्यायमूर्ति वीके राव ने 137 पन्नों के अपने फैसले में कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि ट्रेडमार्क का कीवर्ड के रूप में प्रयोग करने से वेब ट्रैफिक ट्रेडमार्क स्वामी की वेबसाइट से विज्ञापनदाता के वेब पेज पर डायवर्ट हो जाता है। इससे ट्रेडमार्क स्वामी कंपनी को साख और विश्वसनीयता का नुकसान होता है। इसकी जांच गूगल को करनी चाहिए। हालांकि अदालत ने ये स्पष्ट कर दिया कि ये प्रथम दृष्टया दृष्टिकोण है।