न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिव शरण शुक्ला
Updated Fri, 25 Feb 2022 11:24 PM IST
सार
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय को ऐसे दोषियों को जमानत देने पर विचार करने को कहा है, जो 14 साल या उससे अधिक की सजा काट चुके हैं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने लंबित मामलों को जल्द से जल्द निपटाने का निर्देश भी दिया है।
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विस्तार
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट और उसकी लखनऊ बेंच में अगस्त 2021 तक लगभग 183000 क्रिमिनल मामलों में अपील पेंडिंग थी। उत्तर प्रदेश की विभिन्न जेलों में बंद लगभग 7,214 अपराधी ऐसे हैं, जो पहले ही 10 साल से अधिक की सजा काट चुके हैं उनकी भी अपीलें लंबित हैं।
न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ऐसे दोषियों को जमानत के मुद्दे से निपटने के लिए कोई तैयारी न करने पर नाराजगी व्यक्त की। सुनवाई के दौरान पीठ ने उच्च न्यायालय द्वारा दोषियों को जमानत देने से इनकार करने के खिलाफ दायर ऐसे 21 मामलों में आरोपियों को जमानत दे दी।
दरअसल, अगर किसी दोषी ने सजा के 14 या 14 साल से अधिक की सजा काट ली है, तो उसकी सजा में छूट के लिए विचार किए जाने की संभावना होती है। पीठ ने कहा कि अदालत को या तो राज्य के अधिकारियों को निर्देश देना चाहिए कि छूट के लिए उसके आवेदन पर तीन महीने के भीतर विचार किया जाए या उसे जमानत दी जाए।
कोर्ट ने सलाह देते हुए कहा कि ऐसे सभी मामलों की एक सूची तैयार की जानी चाहिए जिसमें व्यक्तियों ने 14 साल की जेल की सजा काट ली है और दोबारा कोई अपराध न किया हो। ऐसे इन मामलों में जमानत एक बार में दी जा सकती है। दूसरी सूची वह हो सकती है जिसमें व्यक्ति ने 10 साल से अधिक की सजा काट ली हो। ऐसे मामलों में जब तक कोई विशेष परिस्थिति न हो एक बार में जमानत दी जा सकती है।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिकारियों को एक साथ बैठने और संयुक्त रूप से दोषियों की अपील की लंबित रहने के दौरान जमानत आवेदनों के मामलों को विनियमित करने के लिए सुझाव प्रस्तुत करने के लिए कहा था।