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दिल्ली: वायु सेना प्रमुख ने दिया बड़ा बयान, बोले- अंतरिक्ष क्षेत्र में चीन पैदा कर रहा नया खतरा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिव शरण शुक्ला
Updated Thu, 24 Feb 2022 11:14 PM IST

सार

वायुसेना प्रमुख वीआर चौधरी ने कहा कि पिछले महीने चीन के शिजियन -21 उपग्रह ने एक अक्षम चीनी उपग्रह को भौतिक रूप से स्थानांतरित कर दिया, जिससे उसकी भूस्थैतिक कक्षा बदल गई। किसी उपग्रह की कक्षाओं को भौतिक रूप से बदलने का कारनामा अभी तक केवल अमेरिका ने किया था। 

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भारतीय वायु सेना प्रमुख वी आर चौधरी ने कहा कि चीन ने अंतरिक्ष क्षेत्र में हथियारों की दौड़ में नया खतरा पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा कि चीन ने अपने अक्षम उपग्रह को दूसरी कक्षा में ले जाने के नवीनतम प्रदर्शन से अंतरिक्ष क्षेत्र को हथियारों की दौड़ बना दिया है। वायुसेना प्रमुख ने ये बातें सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज में जंबो मजूमदार अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार ‘एयरोस्पेस  पावर में भविष्य की चुनौती’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहीं। 

उन्होंने कहा कि पिछले महीने चीन के शिजियन -21 उपग्रह ने एक अक्षम चीनी उपग्रह को भौतिक रूप से स्थानांतरित कर दिया, जिससे उसकी भूस्थैतिक कक्षा बदल गई। किसी उपग्रह की कक्षाओं को भौतिक रूप से बदलने का कारनामा अभी तक केवल अमेरिका ने किया था। उन्होंने कहा कि अभी तक अंतरिक्ष का क्षेत्र अपेक्षाकृत रूप से शांत था, लेकिन अब इसमें भी खतरा पैदा हो गया है।

उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना के प्रशिक्षण आधुनिक, लचीला और अनुकूल होने की जरूरत है, जिसमें एकजुटता का संदेश भी हो। उन्होंने कहा कि तकनीकी रूप से मजबूत अच्छी तरह से प्रशिक्षित वायु सैनिक, वायुसेना की शक्ति बढ़ाने का काम करेंगे। अगला कदम रोजगार दर्शन विकसित करने के लिए हमारे सिद्धांतों और अच्छी तरह से प्रशिक्षित जनशक्ति का उपयोग करना होगा। एयर चीफ मार्शल चौधरी ने जोर देकर कहा कि इसके लिए संयुक्त योजना और योजनाओं के संयुक्त निष्पादन की आवश्यकता होगी।

संबोधन के दौरान उन्होंने लड़ाकू शक्ति के एकीकृत और समन्वित अनुप्रयोग के लिए संयुक्त कमान और नियंत्रण संरचनाओं को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। वायुसेना प्रमुख ने कहा कि कोई भी एक सेना वायु सेना, सेना या नौसेना अपने दम पर युद्ध नहीं जीत सकती है, इसके लिए आपसी तालमेल बहुत जरूरी है। 

वायुसेना प्रमुख ने आगाह किया है कि भविष्य के युद्ध का तानाबाना तेजी से बदल रहा। नई तकनीकी बदलाव की वजह से भारत के सामने ड्रोन से लेकर हाइपरसोनिक मिसाइल के खतरों से निबटने की चुनौती है। उन्होंने कहा कि रोजमार्रा की गति से हो रही तकनीकी प्रगति से वायु सुरक्षा सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। लिहाजा वायु सुरक्षा समेत सेना के सभी आयामों में आमूलचूल बदलाव की जरुरत है।

विस्तार

भारतीय वायु सेना प्रमुख वी आर चौधरी ने कहा कि चीन ने अंतरिक्ष क्षेत्र में हथियारों की दौड़ में नया खतरा पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा कि चीन ने अपने अक्षम उपग्रह को दूसरी कक्षा में ले जाने के नवीनतम प्रदर्शन से अंतरिक्ष क्षेत्र को हथियारों की दौड़ बना दिया है। वायुसेना प्रमुख ने ये बातें सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज में जंबो मजूमदार अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार ‘एयरोस्पेस  पावर में भविष्य की चुनौती’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहीं। 

उन्होंने कहा कि पिछले महीने चीन के शिजियन -21 उपग्रह ने एक अक्षम चीनी उपग्रह को भौतिक रूप से स्थानांतरित कर दिया, जिससे उसकी भूस्थैतिक कक्षा बदल गई। किसी उपग्रह की कक्षाओं को भौतिक रूप से बदलने का कारनामा अभी तक केवल अमेरिका ने किया था। उन्होंने कहा कि अभी तक अंतरिक्ष का क्षेत्र अपेक्षाकृत रूप से शांत था, लेकिन अब इसमें भी खतरा पैदा हो गया है।

उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना के प्रशिक्षण आधुनिक, लचीला और अनुकूल होने की जरूरत है, जिसमें एकजुटता का संदेश भी हो। उन्होंने कहा कि तकनीकी रूप से मजबूत अच्छी तरह से प्रशिक्षित वायु सैनिक, वायुसेना की शक्ति बढ़ाने का काम करेंगे। अगला कदम रोजगार दर्शन विकसित करने के लिए हमारे सिद्धांतों और अच्छी तरह से प्रशिक्षित जनशक्ति का उपयोग करना होगा। एयर चीफ मार्शल चौधरी ने जोर देकर कहा कि इसके लिए संयुक्त योजना और योजनाओं के संयुक्त निष्पादन की आवश्यकता होगी।

संबोधन के दौरान उन्होंने लड़ाकू शक्ति के एकीकृत और समन्वित अनुप्रयोग के लिए संयुक्त कमान और नियंत्रण संरचनाओं को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। वायुसेना प्रमुख ने कहा कि कोई भी एक सेना वायु सेना, सेना या नौसेना अपने दम पर युद्ध नहीं जीत सकती है, इसके लिए आपसी तालमेल बहुत जरूरी है। 

वायुसेना प्रमुख ने आगाह किया है कि भविष्य के युद्ध का तानाबाना तेजी से बदल रहा। नई तकनीकी बदलाव की वजह से भारत के सामने ड्रोन से लेकर हाइपरसोनिक मिसाइल के खतरों से निबटने की चुनौती है। उन्होंने कहा कि रोजमार्रा की गति से हो रही तकनीकी प्रगति से वायु सुरक्षा सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। लिहाजा वायु सुरक्षा समेत सेना के सभी आयामों में आमूलचूल बदलाव की जरुरत है।

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