न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: प्रशांत कुमार झा
Updated Fri, 26 Nov 2021 12:18 PM IST
सार
त्रिपुरा में नगर निकाय चुनाव के दौरान कथित हिंसा मामले को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट से दखल देने की मांग की है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही है।
त्रिपुरा में नगर निकाय चुनाव के दौरान कथित हिंसा मामले को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। टीएमसी ने अदालत की निगरानी वाली समिति से जांच कराने की मांग को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की।
टीएमसी की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पीठ के समक्ष बताया कि त्रिपुरा निकाय चुनाव के दौरान तबाही मचाई गई। हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया गया। यहां तक कि उम्मीदवारों को भी वोट नहीं करने दिया गया। इस पर चंद्रचूड़ और बोपन्ना की पीठ ने कहा कि कोर्ट ने इस मुद्दे से निपटने के लिए गुरुवार को विस्तृत आदेश पारित किया था, जिसमें सुरक्षा मुहैया कराने समेत अन्य चीजों का जिक्र है।
इसपर याचिकाकर्ता के वकील सिब्बल ने कहा, मुझे पता है, लेकिन अभी तक वहां पर सीएपीएफ की दो बटालियन को मुहैया नहीं कराया गया। चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को कांस्टेबल भी उपलब्ध नहीं कराए गए। अदालत के आदेशों का उल्लंघन किया जा रहा है। इसलिए शीर्ष कोर्ट से आग्रह है कि इन आवेदनों को तत्काल सूचीबद्ध करें। वहीं, न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, संविधान दिवस की वजह से न्यायाधीश आधिकारिक कार्यों में व्यस्त हैं। शनिवार को इस मामले पर सुनवाई की जा सकती है।
विपक्षी दलों ने चुनाव रद्द करने की मांग की
25 नवंबर को त्रिपुरा के 14 नगर निकायों के चुनाव के लिए 81 प्रतिशत वोट डाले गए। सत्तारुढ़ दल भाजपा ने अगरतला नगर निगम में 334 सीटों में से 112 पर और 19 नगर निकायों में पहले ही निर्विरोध जीत दर्ज कर ली है। मतदान के दौरान विपक्षी दलों ने धांधली का आरोप लगाया। माकपा और तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए इसे रद्द करने की मांग की
विस्तार
त्रिपुरा में नगर निकाय चुनाव के दौरान कथित हिंसा मामले को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। टीएमसी ने अदालत की निगरानी वाली समिति से जांच कराने की मांग को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की।
टीएमसी की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पीठ के समक्ष बताया कि त्रिपुरा निकाय चुनाव के दौरान तबाही मचाई गई। हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया गया। यहां तक कि उम्मीदवारों को भी वोट नहीं करने दिया गया। इस पर चंद्रचूड़ और बोपन्ना की पीठ ने कहा कि कोर्ट ने इस मुद्दे से निपटने के लिए गुरुवार को विस्तृत आदेश पारित किया था, जिसमें सुरक्षा मुहैया कराने समेत अन्य चीजों का जिक्र है।
इसपर याचिकाकर्ता के वकील सिब्बल ने कहा, मुझे पता है, लेकिन अभी तक वहां पर सीएपीएफ की दो बटालियन को मुहैया नहीं कराया गया। चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को कांस्टेबल भी उपलब्ध नहीं कराए गए। अदालत के आदेशों का उल्लंघन किया जा रहा है। इसलिए शीर्ष कोर्ट से आग्रह है कि इन आवेदनों को तत्काल सूचीबद्ध करें। वहीं, न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, संविधान दिवस की वजह से न्यायाधीश आधिकारिक कार्यों में व्यस्त हैं। शनिवार को इस मामले पर सुनवाई की जा सकती है।
विपक्षी दलों ने चुनाव रद्द करने की मांग की
25 नवंबर को त्रिपुरा के 14 नगर निकायों के चुनाव के लिए 81 प्रतिशत वोट डाले गए। सत्तारुढ़ दल भाजपा ने अगरतला नगर निगम में 334 सीटों में से 112 पर और 19 नगर निकायों में पहले ही निर्विरोध जीत दर्ज कर ली है। मतदान के दौरान विपक्षी दलों ने धांधली का आरोप लगाया। माकपा और तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए इसे रद्द करने की मांग की
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