परीक्षित निर्भय, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Kuldeep Singh
Updated Tue, 17 Aug 2021 08:59 AM IST
काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद नई दिल्ली में रह रहे अफगान नागरिक चिंतित नजर आए
– फोटो : अमर उजाला
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भारत में चिकित्सकीय पर्यटन जा सकता है 20 साल पीछे
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के मुताबिक, अफगानिस्तान से सालाना हजारों की संख्या में मरीज भारत आते हैं। इनके चलते भारत की अर्थव्यवस्था में सालाना हिस्सेदारी 2500 करोड़ रुपये (करीब तीन अरब डॉलर) के आसपास है। आशंका है कि यह कारोबार 20 साल पीछे जा सकता है।
सालाना लाखों की संख्या में विदेशी मरीज इलाज कराने आते हैं भारत
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और पर्यटन मंत्रालय के अनुसार, भारत में सालाना लाखों की संख्या में विदेशी मरीज इलाज कराने आते हैं। जिन देशों में सबसे ज्यादा मरीज आते हैं उनमें बांग्लादेश, इराक, मालदीव और चौथा स्थान अफगानिस्तान का है।
2017 में अफगान मरीजों की सहभागिता 11.25 फीसदी थी जो कि 2018 में 7.31 फीसदी, 2019 में 4.73 फीसदी और 2020 में 8.87 फ़ीसदी तक पहुंच गई। लेकिन साल 2021 में यह अभी 1 फ़ीसदी तक भी नहीं पहुंची है।
16 साल तक सुधार, फिर आई कमी
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2009 में बांग्लादेश से 23.6 फीसदी चिकित्सा पर्यटक आए थे। जबकि मालदीव की 57.5 फीसदी थी। जहां बांग्लादेश का हिस्सा बढ़ा, वहीं मालदीव का हिस्सा नीचे चला गया। साल 2019 में बांग्लादेशियों की हिस्सेदारी बढ़कर 57.5 फीसदी तक पहुंची जबकि मालदीव 7.3 फीसदी रह गया।
भारत में साल 2000 में अफगानिस्तान की हिस्सेदारी दो फीसदी के आसपास थी, जो 2009 में बढ़ते हुए 10.7 फीसदी तक पहुंची। यह 2016 तक बढ़कर 14.3 फ़ीसदी पहुंच गई थी लेकिन इसके बाद निरंतर गिरावट देखने को मिली। 2019 में यह 4.7 फीसदी तक पहुंची। लेकिन 2020 में थोड़ा सुधार होने के बाद नवंबर 2020 से स्थिति एक ही से भी निचले पायदान पर है।
