वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली 
                                  Published by: गौरव पाण्डेय
                                  Updated Tue, 17 Aug 2021 09:19 PM IST
                                 
                                
                                सार
                                अमेरिका के सीनेटर जॉन कॉर्निन ने मंगलवार की सुबह एक ट्वीट किया। इस ट्वीट में उन्होंने विभिन्न देशों में मौजूद अमेरिकी सैनिकों की संख्या का उल्लेख किया। उनका इशारा तो अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की संख्या की ओर था लेकिन इस सूची में शामिल एक और देश के नाम ने चीन को गुस्से में ला दिया है। इस देश का नाम है ताईवान। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने इसे युद्ध घोषित करने के बराबर बताया और कहा कि चीन ताइवान में अमेरिकी सैनिकों को खदेड़ और कुचल सकता है। पढ़िए पूरा घटनाक्रम…
                                चीन अमेरिका
                                – फोटो : सोशल मीडिया (फाइल)
                                
                                
                                
                                  
                                    चीन की सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय में अमेरिकी सीनेटर के इस ट्वीट में दी गई जानकारी को चीन के खिलाफ युद्ध घोषित करने के बराबर करार दिया है। सीनेटन जॉन कॉर्निन ने इस ट्वीट में कुछ देशों में मौजूद अमेरिकी सैनिकों की संख्या की जानकारी दी थी। इसके अनुसार दक्षिण कोरिया में 28 हजार अमेरिकी सैनिक मौजूद हैं। वहीं, जर्मनी में इनकी संख्या 35,486, जापान में 50 हजार, ताइवान में 30 हजार और अफ्रीका में सात हजार है। उन्होंने सबसे अंत में लिखा कि अफगानिस्तान में (एक या दो महीने पहले) यह संख्या 2500 थी। हालांकि, बाद में उन्होंने यह ट्वीट डिलीट भी कर दिया।
                                    
                                    कॉर्निन के इस ट्वीट पर ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, ‘एक वरिष्ठ अमेरिकी सीनेटर ने, जो इंटेलिजेंस पर अमेरिकी सीनेट की चयन समिति के सदस्य भी हैं, खुलासा किया है कि चीन के ताइवान द्वीप में अमेरिका ने 30 हजार सैनिक तैनात किए हैं। अगर यह ट्वीट सही है तो यह सैन्य आक्रमण और चीन के ताइवान पर कब्जा है और यह अमेरिका द्वारा चीन के खिलाफ युद्ध घोषित करने के बराबर है।’ लेख में आगे लिखा है कि चीन ताइवान में अमेरिकी सैनिकों को नष्ट करने, खदेड़ने और ताइवान को सैन्य रूप से फिर से एकजुट करने के लिए अपने अलगाव-विरोधी कानून को तुरंत सक्रिय कर सकता है।
                                    लेख में आगे लिखा है कि कुछ लोगों का मानना है कि अमेरिकी सीनेटर द्वारा लीक की गई यह खबर सच नहीं हो सकती क्योंकि 30 हजार कोई छोटी संख्या नहीं है, इतनी बड़ी संख्या में अमेरिकी सैनिक छुपे हुए या बिना किसी के ध्यान में आए नहीं रह सकते। अफगानिस्तान में वर्तमान हालात के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराते हुए लेख में लिखा गया है कि ताइवान के अलगाववादियों को संतुष्ट करने के लिए अपने हितों की बलि देना भी अमेरिका की विदेश नीति के अनुकूल नहीं है, जैसा कि उसने अफगानिस्तान में किया था। बता दें कि बीते लंबे समय से अमेरिका और चीन के बीच संबंध ठीक नहीं चल रहे हैं।
                                   
                                 
                                
                                  विस्तार
                                  
                                    चीन की सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय में अमेरिकी सीनेटर के इस ट्वीट में दी गई जानकारी को चीन के खिलाफ युद्ध घोषित करने के बराबर करार दिया है। सीनेटन जॉन कॉर्निन ने इस ट्वीट में कुछ देशों में मौजूद अमेरिकी सैनिकों की संख्या की जानकारी दी थी। इसके अनुसार दक्षिण कोरिया में 28 हजार अमेरिकी सैनिक मौजूद हैं। वहीं, जर्मनी में इनकी संख्या 35,486, जापान में 50 हजार, ताइवान में 30 हजार और अफ्रीका में सात हजार है। उन्होंने सबसे अंत में लिखा कि अफगानिस्तान में (एक या दो महीने पहले) यह संख्या 2500 थी। हालांकि, बाद में उन्होंने यह ट्वीट डिलीट भी कर दिया।
                                    
                                    कॉर्निन के इस ट्वीट पर ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, ‘एक वरिष्ठ अमेरिकी सीनेटर ने, जो इंटेलिजेंस पर अमेरिकी सीनेट की चयन समिति के सदस्य भी हैं, खुलासा किया है कि चीन के ताइवान द्वीप में अमेरिका ने 30 हजार सैनिक तैनात किए हैं। अगर यह ट्वीट सही है तो यह सैन्य आक्रमण और चीन के ताइवान पर कब्जा है और यह अमेरिका द्वारा चीन के खिलाफ युद्ध घोषित करने के बराबर है।’ लेख में आगे लिखा है कि चीन ताइवान में अमेरिकी सैनिकों को नष्ट करने, खदेड़ने और ताइवान को सैन्य रूप से फिर से एकजुट करने के लिए अपने अलगाव-विरोधी कानून को तुरंत सक्रिय कर सकता है।
                                    लेख में आगे लिखा है कि कुछ लोगों का मानना है कि अमेरिकी सीनेटर द्वारा लीक की गई यह खबर सच नहीं हो सकती क्योंकि 30 हजार कोई छोटी संख्या नहीं है, इतनी बड़ी संख्या में अमेरिकी सैनिक छुपे हुए या बिना किसी के ध्यान में आए नहीं रह सकते। अफगानिस्तान में वर्तमान हालात के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराते हुए लेख में लिखा गया है कि ताइवान के अलगाववादियों को संतुष्ट करने के लिए अपने हितों की बलि देना भी अमेरिका की विदेश नीति के अनुकूल नहीं है, जैसा कि उसने अफगानिस्तान में किया था। बता दें कि बीते लंबे समय से अमेरिका और चीन के बीच संबंध ठीक नहीं चल रहे हैं।
                                   
                                 
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                                        यूएनएससी: अफगानिस्तान मुद्दे पर हुई बैठक में पाकिस्तान दरकिनार, भारत पर निकाली खीज
                                      
                                     
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                                        मां की गुहार: आईएसआईएस में शामिल होने गई थी बेटी, तालिबानी उसे छोड़ेंगे नहीं, वापस बुला लो
                                      
                                     
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                                        ड्रैगन की फितरत: स्थिति को देख बदले सुर, अब कहा- आतंकवादियों का 'अड्डा' न बने अफगानिस्तान