सार
पीवी सिंधु बड़े मुकाबले को तीसरे सेट तक नहीं जाने देतीं। उनकी हमेशा कोशिश होती है कि वह विरोधी खिलाड़ी को सीधे दो सेटों में ही हरा दे।
भारतीय स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु का टोक्यो ओलंपिक में अभी तक का सफर शानदार रहा है। सिंधु शुक्रवार को जापानी की अकाने यामागुची को सीधे सेटों में 21-13, 22-20 से हराकर टोक्यो ओलंपिक की महिला एकल स्पर्धा के सेमीफाइनल में पहुंच गई हैं। दोनों खिलाड़ियों के बीच यह मुकाबला 56 मिनट तक चला। पहला गेम सिंधु ने 23 जबकि दूसरा गेम 33 मिनट में जीता। अब शनिवार को सेमीफाइनल में उनका सामना चीनी ताइपे की ताई जु यिंग से होगा। ‘खेलों के महाकुंभ’ टोक्यो में सिंधु ने अभी तक के सभी मुकाबले सीधे दो सेटों में जीते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सिंधु अपने प्रतिद्वंदी को सीधे दो सेटों में हराकर मुकाबला जीतना चाहती हैं? क्या बड़े मुकाबलों में वह तीसरे सेट तक मैच नहीं जाने देतीं ताकि स्टेमिना का मसला न हो?
रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता सिंधु ने इस्राइल की केन्सिया पोलिकारपोवा को 21-7, 21-10 से हराकर अपने टोक्यो अभियान की अच्छी शुरुआत की थी। ग्रुप जे के अपने दूसरे मुकाबले में सिंधु ने हांगकांग की च्युंग एनगान को 21-9, 21-16 से शिकस्त दी। उन्होंने दूसरे मैच में अपने प्रतिद्वंदी पर 36 मिनट में जीत दर्ज कर तीसरे दौर में पहुंचीं। तीसरे दौर (प्रीक्वार्टरफाइनल) में इस स्टार खिलाड़ी ने डेनमार्क की मिया ब्लिचफेल्ड को हराया। सिंधु ने मिया ब्लिचफेल्ट को सिर्फ 41 मिनट में 21-15, 21-13 से हराकर क्वार्टरफाइनल में प्रवेश किया था।
सिंधु ने पहला गेम 23 मिनट में अपने नाम कर लिया। दूसरे गेम में दोनों खिलाड़ियों के बीच जोरदार टक्कर चली। यामागुची ने हालांकि 8-13 से पिछड़ने के बाद वापसी की और अगले नौ मे से आठ अंक हथिया लिए, जिससे उन्होंने 16-15 की बढ़त ले ली। यामागुची ने हालांकि 15-13 के स्कोर पर ही सिंधु को थकाने वाली रैली में उलझाया। इसके बाद यामागुची ने सिंधु को गलती करने पर बाध्य किया और 18-16 से बढ़त बना ली। शानदार नेट शॉट से यामागुची ने दो और गेम प्वाइंट हासिल किए, जिससे उनकी वापसी करने की उम्मीद लग रही थी। मगर सिंधु ने फिर दो स्मैश लगाकर स्कोर 20-20 कर दिया। फिर एक और हाफ स्मैश ने वह मैच प्वाइंट तक पहुंचकर गेम जीत गईं और वह खुशी से चिल्लाने लगी। दूसरा गेम सिंधु ने 33 मिनट में अपने नाम किया।
रियो ओलंपिक के राउंड ऑफ 16 के मुकाबले में सिंधु ने चीनी चाइपे की ताई जु यिंग को 21-13, 21-15 से हराया था। इसके बाद क्वार्टरफाइनल में सिंधु ने चीन की वांग यांग को 22-20, 21-19 से हराकर सेमीफाइनल में अपनी जगह पक्की की थी। वहीं, सेमीफाइनल में सिंधु ने जापान की नोजोमी ओकुहारा को 21-19, 21-10 से पटखनी देकर फाइनल में प्रवेश किया था। इसके साथ ही वह ओलंपिक के महिला एकल स्पर्धा के फाइनल में पहुंचने वाली भारत की पहली महिला बनी थीं।
फाइनल में सिंधु मुकाबला विश्व की प्रथम वरीयता प्राप्त खिलाड़ी स्पेन की कैरोलिना मारिन से हुआ। मगर सिंधु को फाइनल में हार झेलनी पड़ी ,जिसके कारण उन्हें रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा। फाइनल का पहला सिंधु ने 21-19 से जीता लेकिन दूसरे गेम में मारिन ने बाजी मारी। मारिन ने सिंधु को दूसरे गेम में 21-12 से हराया। इसके कारण मैच तीसरे गेम तक चला। तीसरे गेम में मारिन ने सिंधु को 21-15 से हराया। उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा। इससे साफ पता चलता है कि सिंधु बड़े मुकाबले को तीसरे सेट तक नहीं जाने देतीं। उनकी हमेशा कोशिश होती है कि वह विरोधी खिलाड़ी को दो सेटों में ही हरा दें। हालांकि, साल 2016 में ग्रुप स्टेज एम के पहले दौर के मुकाबले को सिंधु ने सीधे सेटों में जीता था। सिंधु ने हंगरी की खिलाड़ी लौरा सरोसी को 21-8, 21-9 से हराया था लेकिन दूसरे दौर में सिंधु की भिड़ंत कनाडा की मिशेल ली से हुई थी। यह मुकाबला सिंधु ने 19-21, 21-15, 21-17 से जीता था। यह इसलिए क्योंकि पहला गेम सिंधु हार गई थी।
वहीं, 2019 में हुए विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में सिंधु ने जापान की खिलाड़ी नोजोमी ओकुहारा को हराकर पहली बार स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। सिंधु ने ओकुहारा को 21-7, 21-7 से हराया था। दोनों खिलाड़ियों के बीच यह मुकाबला 38 मिनट तक चला था। सिंधु ने 16 मिनट में पहला गेम जीता था।
विस्तार
भारतीय स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु का टोक्यो ओलंपिक में अभी तक का सफर शानदार रहा है। सिंधु शुक्रवार को जापानी की अकाने यामागुची को सीधे सेटों में 21-13, 22-20 से हराकर टोक्यो ओलंपिक की महिला एकल स्पर्धा के सेमीफाइनल में पहुंच गई हैं। दोनों खिलाड़ियों के बीच यह मुकाबला 56 मिनट तक चला। पहला गेम सिंधु ने 23 जबकि दूसरा गेम 33 मिनट में जीता। अब शनिवार को सेमीफाइनल में उनका सामना चीनी ताइपे की ताई जु यिंग से होगा। ‘खेलों के महाकुंभ’ टोक्यो में सिंधु ने अभी तक के सभी मुकाबले सीधे दो सेटों में जीते हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सिंधु अपने प्रतिद्वंदी को सीधे दो सेटों में हराकर मुकाबला जीतना चाहती हैं? क्या बड़े मुकाबलों में वह तीसरे सेट तक मैच नहीं जाने देतीं ताकि स्टेमिना का मसला न हो?
टोक्यो में अभी तक के सफर पर एक नजर
रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता सिंधु ने इस्राइल की केन्सिया पोलिकारपोवा को 21-7, 21-10 से हराकर अपने टोक्यो अभियान की अच्छी शुरुआत की थी। ग्रुप जे के अपने दूसरे मुकाबले में सिंधु ने हांगकांग की च्युंग एनगान को 21-9, 21-16 से शिकस्त दी। उन्होंने दूसरे मैच में अपने प्रतिद्वंदी पर 36 मिनट में जीत दर्ज कर तीसरे दौर में पहुंचीं। तीसरे दौर (प्रीक्वार्टरफाइनल) में इस स्टार खिलाड़ी ने डेनमार्क की मिया ब्लिचफेल्ड को हराया। सिंधु ने मिया ब्लिचफेल्ट को सिर्फ 41 मिनट में 21-15, 21-13 से हराकर क्वार्टरफाइनल में प्रवेश किया था।
क्वार्टरफाइनल के दूसरे गेम में दिखा संघर्ष पर मारी बाजी
पीवी सिंधु
– फोटो : PTI
सिंधु ने पहला गेम 23 मिनट में अपने नाम कर लिया। दूसरे गेम में दोनों खिलाड़ियों के बीच जोरदार टक्कर चली। यामागुची ने हालांकि 8-13 से पिछड़ने के बाद वापसी की और अगले नौ मे से आठ अंक हथिया लिए, जिससे उन्होंने 16-15 की बढ़त ले ली। यामागुची ने हालांकि 15-13 के स्कोर पर ही सिंधु को थकाने वाली रैली में उलझाया। इसके बाद यामागुची ने सिंधु को गलती करने पर बाध्य किया और 18-16 से बढ़त बना ली। शानदार नेट शॉट से यामागुची ने दो और गेम प्वाइंट हासिल किए, जिससे उनकी वापसी करने की उम्मीद लग रही थी। मगर सिंधु ने फिर दो स्मैश लगाकर स्कोर 20-20 कर दिया। फिर एक और हाफ स्मैश ने वह मैच प्वाइंट तक पहुंचकर गेम जीत गईं और वह खुशी से चिल्लाने लगी। दूसरा गेम सिंधु ने 33 मिनट में अपने नाम किया।
रियो ओलंपिक में कुछ ऐसा रहा था सफर
पीवी सिंधु
– फोटो : ट्विटर
रियो ओलंपिक के राउंड ऑफ 16 के मुकाबले में सिंधु ने चीनी चाइपे की ताई जु यिंग को 21-13, 21-15 से हराया था। इसके बाद क्वार्टरफाइनल में सिंधु ने चीन की वांग यांग को 22-20, 21-19 से हराकर सेमीफाइनल में अपनी जगह पक्की की थी। वहीं, सेमीफाइनल में सिंधु ने जापान की नोजोमी ओकुहारा को 21-19, 21-10 से पटखनी देकर फाइनल में प्रवेश किया था। इसके साथ ही वह ओलंपिक के महिला एकल स्पर्धा के फाइनल में पहुंचने वाली भारत की पहली महिला बनी थीं।
रियो में रजत पदक से करना पड़ा संतोष
पीवी सिंधु
– फोटो : ट्विटर
फाइनल में सिंधु मुकाबला विश्व की प्रथम वरीयता प्राप्त खिलाड़ी स्पेन की कैरोलिना मारिन से हुआ। मगर सिंधु को फाइनल में हार झेलनी पड़ी ,जिसके कारण उन्हें रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा। फाइनल का पहला सिंधु ने 21-19 से जीता लेकिन दूसरे गेम में मारिन ने बाजी मारी। मारिन ने सिंधु को दूसरे गेम में 21-12 से हराया। इसके कारण मैच तीसरे गेम तक चला। तीसरे गेम में मारिन ने सिंधु को 21-15 से हराया। उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा। इससे साफ पता चलता है कि सिंधु बड़े मुकाबले को तीसरे सेट तक नहीं जाने देतीं। उनकी हमेशा कोशिश होती है कि वह विरोधी खिलाड़ी को दो सेटों में ही हरा दें। हालांकि, साल 2016 में ग्रुप स्टेज एम के पहले दौर के मुकाबले को सिंधु ने सीधे सेटों में जीता था। सिंधु ने हंगरी की खिलाड़ी लौरा सरोसी को 21-8, 21-9 से हराया था लेकिन दूसरे दौर में सिंधु की भिड़ंत कनाडा की मिशेल ली से हुई थी। यह मुकाबला सिंधु ने 19-21, 21-15, 21-17 से जीता था। यह इसलिए क्योंकि पहला गेम सिंधु हार गई थी।
विश्व चैंपियनशिप में ओकुहारा को हराकर जीता गोल्ड
पीवी सिंधु
– फोटो : सोशल मीडिया
वहीं, 2019 में हुए विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में सिंधु ने जापान की खिलाड़ी नोजोमी ओकुहारा को हराकर पहली बार स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। सिंधु ने ओकुहारा को 21-7, 21-7 से हराया था। दोनों खिलाड़ियों के बीच यह मुकाबला 38 मिनट तक चला था। सिंधु ने 16 मिनट में पहला गेम जीता था।
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