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जर्मनी : चीन से तल्खी के बीच जर्मन संसद ने ताइवान से रिश्ता प्रगाढ़ करने के लिए प्रस्ताव किया पारित 

एजेंसी, बर्लिन
Published by: Kuldeep Singh
Updated Mon, 13 Dec 2021 04:24 AM IST

सार

जर्मनी की नई संसद की पिटीशन कमेटी ने नौ दिसंबर को एक प्रस्ताव पारित कर सरकार से ताइवान के साथ रिश्तों को मजबूत करने की सिफारिश की है। कमेटी ने इसके साथ ही ताइवान के साथ सामान्य कूटनीतिक संबंधों के लिए पूर्व के प्रस्ताव को विदेश मंत्रालय सहित अन्य मंत्रालयों को भेजने का निर्णय लिया है।

जर्मनी का संसद भवन
– फोटो : सोशल मीडिया

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जर्मनी की संसद ने चीन के साथ तल्खी के बीच ही ताइवान के साथ संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया है। नई संसद की पिटीशन कमेटी ने नौ दिसंबर को एक प्रस्ताव पारित कर सरकार से ताइवान के साथ रिश्तों को मजबूत करने की सिफारिश की है।  

कमेटी ने इसके साथ ही ताइवान के साथ सामान्य कूटनीतिक संबंधों के लिए पूर्व के प्रस्ताव को विदेश मंत्रालय सहित अन्य मंत्रालयों को भेजने का निर्णय लिया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि जर्मनी और चीन के बीच कूटनीतिक संबंध 1972 में स्थापित किए गए थे जिसमें एक चीन नीति का जिक्र है जो ताइवान से रिश्तों को मजबूत करने की इजाजत नहीं देता।

प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि जर्मनी ताइवान के साथ राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक सहयोग बढ़ाना चाहता है जो जर्मनी और यूरोप के हित में है। फोकस ताइवान प्रस्ताव में जर्मनी को ताइवान से कूटनीतिक रिश्ते सुदृढ़ करने पर बल दिया गया है। इसकी शुरुआत जर्मन नागरिक माइकल क्रेउजबर्ग ने की थी, जिसमें 50,000 लोगों के हस्ताक्षर थे। इस पर दिसंबर 2019 में जन सुनवाई हुई थी।

विस्तार

जर्मनी की संसद ने चीन के साथ तल्खी के बीच ही ताइवान के साथ संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया है। नई संसद की पिटीशन कमेटी ने नौ दिसंबर को एक प्रस्ताव पारित कर सरकार से ताइवान के साथ रिश्तों को मजबूत करने की सिफारिश की है।  

कमेटी ने इसके साथ ही ताइवान के साथ सामान्य कूटनीतिक संबंधों के लिए पूर्व के प्रस्ताव को विदेश मंत्रालय सहित अन्य मंत्रालयों को भेजने का निर्णय लिया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि जर्मनी और चीन के बीच कूटनीतिक संबंध 1972 में स्थापित किए गए थे जिसमें एक चीन नीति का जिक्र है जो ताइवान से रिश्तों को मजबूत करने की इजाजत नहीं देता।

प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि जर्मनी ताइवान के साथ राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक सहयोग बढ़ाना चाहता है जो जर्मनी और यूरोप के हित में है। फोकस ताइवान प्रस्ताव में जर्मनी को ताइवान से कूटनीतिक रिश्ते सुदृढ़ करने पर बल दिया गया है। इसकी शुरुआत जर्मन नागरिक माइकल क्रेउजबर्ग ने की थी, जिसमें 50,000 लोगों के हस्ताक्षर थे। इस पर दिसंबर 2019 में जन सुनवाई हुई थी।

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