एजेंसी, हैलीफैक्स।
Published by: देव कश्यप
Updated Mon, 22 Nov 2021 06:21 AM IST
सार
इंटरनेशनल सुरक्षा फोरम में एडमिरल जॉन सी एक्विलिनो ने कहा कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग चीनी सेना को 2027 तक अमेरिका की सेना के बराबर बनाना चाहते हैं। चीन के पास दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना है, जिसे वह तेजी से बड़ा और आधुनिक बना रहा है।
US Admiral John C. Aquilino
– फोटो : Wikipedia
ख़बर सुनें
विस्तार
इंटरनेशनल सुरक्षा फोरम में एडमिरल ने कहा, “राष्ट्रपति शी जिनपिंग चीनी सेना को 2027 तक अमेरिका की सेना के बराबर बनाना चाहते हैं। चीन के पास दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना है, जिसे वह तेजी से बड़ा और आधुनिक बना रहा है। ऐसे में अमेरिका और उसके सहयोगियों के साथ अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में और अधिक काम करना होगा।
उन्होंने कहा, चीन ने हाल ही में ताइवान के पास लड़ाकू विमान भेजे हैं। वह बल के इस्तेमाल की धमकी दे रहा है। इस सप्ताह चीन के जहाजों ने फिलीपींस की दो नौकाओं को भी रोक लिया था। इन आक्रामक हरकतों को रोकना जरूरी है।
हाइपरसोनिक तकनीक में अमेरिका से आगे रूस-चीन, अमेरिकी अधिकारियों ने जताई चिंता
अमेरिका हाइपरसोनिक तकनीक के मामले में रूस व चीन के जितना उन्नत नहीं है। इसे लेकर अमेरिका के स्पेस ऑपरेशंस के उप-प्रमुख जनरल डेविड थॉम्पसन ने चिंता जताई है। स्पुतनिक की रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार को हेलिफैक्स में अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा फोरम पर उन्होंने कहा, अमेरिका, हाइपरसोनिक कार्यक्रमों में चीनी या रूसियों जैसा उन्नत नहीं है।
हाइपरसोनिक मिसाइलें इतनी तेज गति से दिशा बदलते हुए लक्ष्य पर हमला करती हैं कि उन्हें ट्रैक और नष्ट करना लगभग असंभव होता है। रूस एकमात्र ऐसा देश है जिसके पास पूरी तरह से तैयार हाइपरसोनिक मिसाइलें हैं। रूसी सशस्त्र बलों के पास केएच-47एम2 किंजल एयर-लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल, अवानगार्ड हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन हैं और 3एम22 जिरकोन एंटी-शिप हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया जा रहा है।
चीन ने अमेरिका को दिया उपदेश, दुनिया की भलाई के लिए शीतयुद्ध की मानसिकता छोड़ें
अमेरिका में चीन के राजदूत क्विन गांग ने सलाह दी कि चीन और अमेरिका को शीतयुद्ध की मानसिकता छोड़ देनी चाहिए। गांग ने ब्रुकिंग इंस्टीट्यूशन के बोर्ड की बैठक में कहा, शीतयुद्ध के खत्म हो जाने के वैचारिक रेखाएं खींचने और प्रतिद्वंद्विता को बढ़ाने रोकना चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन और अमेरिका को आपस में सहयोग और संवाद बढ़ाने की जरूरत है, ताकि अपने हिस्से की अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों को बेहतर तरीके से वहन कर सकें।