सार
180 शहरों, 527 स्टेशनों के सैटेलाइट डाटा के विश्लेषण के आधार पर शोधकर्ताओं ने बताया कि यहां रात में बिजली की रोशनी लगातार घट रही है। शोध में 2004 से शुरू हुए बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के बाद से 180 शहरों के 527 स्टेशनों का विश्लेषण किया गया है।
चीन में बुलेट ट्रेन (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : iStock
बुलेट ट्रेन भले दुनिया में विकास का पैमाना बन गई हो लेकिन एक शोध का दावा है कि पश्चिमी चीन के जिन कस्बों-शहरों में हाई स्पीड रेल पहुंची, वहां रातों में उजाले की बजाए अंधेरा बढ़ने लगा है और आर्थिक गतिविधियां थम रही हैं।
180 शहरों, 527 स्टेशनों के सैटेलाइट डाटा के विश्लेषण के आधार पर शोधकर्ताओं ने बताया कि यहां रात में बिजली की रोशनी लगातार घट रही है। शोध में 2004 से शुरू हुए बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के बाद से 180 शहरों के 527 स्टेशनों का विश्लेषण किया गया है। ज्योग्राफिकल रिसर्च में प्रकाशित शोध के मुताबिक, पश्चिमी चीन में स्टेशन बनने के बाद स्थानीय आर्थिक गतिविधि डेढ़ फीसदी गिरीं। हालांकि, बुलेट ट्रेन के कारण पहले से विकसित पूर्वी चीन में स्टेशन के चार किमी क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियां नौ फीसदी बढ़ी। मध्य चीन में आंकड़ा 3.6 फीसदी और पूर्वोत्तर के लिए साढ़े चार फीसदी रहा है।
70 हजार किमी लंबाई का लक्ष्य
पूर्व के बाद अन्य क्षेत्रों में भी बुलेट ट्रेनों का विस्तार हुआ। अब बहुत कम आबादी वाले प्रदेशों में भी यह रेल पहुंचती है। कम्युनिस्ट सरकार की योजना 2035 तक बुलेट ट्रेक की लम्बाई 70 हजार किमी करने की है। लेकिन क्या कम विकसित और छोटी आबादी वाली जगहों पर इस तेज रफ्तार रेल की जरूरत है, इसे लेकर देश में बहस चल रही है। पश्चिमी इलाकों से हुआ ब्रेन ड्रेन पिछले माह एक आर्थिक पत्रिका में छपे अध्ययन के मुताबिक, शुरुआत में हाई स्पीड ट्रेनों के तेज विस्तार के चलते पश्चिमी चीन से पूर्वी प्रदेशों में प्रतिभाओं का पलायन (ब्रेन ड्रेन) हुआ है। नतीजे में पश्चिमी क्षेत्र में बुलेट ट्रेन पहुंचने के बाद यहां पेटेंट आवेदनों में काफी कमी आई है।
रोशनी को बनाया विकास का पैमाना
शोधकर्ताओं के मुताबिक, स्थानीय आर्थिक गतिविधि को तेज रफ्तार ट्रेनों से मापना टेढ़ा काम था क्योंकि इसके लिए कई पहलू जिम्मेदार होते हैं। लेकिन फिर सर्वसम्मति से रात्रि प्रकाश को पैमाना बनाया गया, जिसका शोध में भौतिक परिणाम दिखाई दिया। चीन में 38 हजार किमी दौड़ती हैं बुलेट ट्रेनें ड्रैगन ने बीते 15 साल में बुलेट ट्रेनें के लिए 38 हजार किमी ट्रेक बिछा लिया है। देश में इस समय साढ़े तीन सौ प्रति घंटा की स्पीड से बुलेट रेल दौड़ती हैं। सबसे पहले पूर्वी इलाकों में पकड़ी रफ्तार चीन ने तेज स्पीड वाली ट्रेनों के लिए सबसे पहले पूर्वी इलाकों को चुना था। यहां ज्यादा विकसित प्रदेश और सघन आबादी है। यहां स्टेशन बनवाने के लिए शहरों में काफी प्रतिस्पर्धा रही क्योंकि उनका मानना था कि इससे आर्थिक विकास बढ़ेगा।
चीन मौजूदा समय में बिजली संकट का सामना कर रहा है, जिससे उसे अपने कारखानों के संचालन, बिजली की खपत कम करने और कुछ प्रांतों में ब्लैकआउट घोषित करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में कुल 31 प्रांतों में से 20 प्रांत बिजली की किल्लत से जूझ रहे हैं। इस संकट से कारण दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के उद्योग क्षेत्र पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह समस्या कोरोना के कारण मंदी के बाद चीनी कारखानों से बिजली की मांग में एकाएक बढ़ोतरी के कारण सामने आई है। इस बीच चीन के पावर ग्रिड ऑपरेटर ने ऊर्जा संकट से इनकार करते हुए राष्ट्रीय पावर ग्रिड को अपग्रेड करने और सामान्य बिजली आपूर्ति की गारंटी देने का वादा किया है। चाइना साउथ ग्रिड ने बताया कि बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी औद्योगिक उपयोगकर्ताओं के लिए है और यह आवासीय बिजली के उपयोग पर लागू नहीं होगी।
औद्योगिक उत्पादन में गिरावट
चीनी पत्रिका के मुताबिक, इस मुसीबत का एक कारण यह भी है कि चीन आज भी कोयले पर अत्यधिक निर्भर है, जो देश की बिजली उत्पादन का 70 प्रतिशत प्रदान करता है। चीन में कोरोना के मद्देनजर लगाए गए लॉकडाउन से उबरने के बाद पहली बार सितंबर में ऊर्जा संकट के कारण औद्योगिक उत्पादन में गिरावट आई है। वहीं ग्लोबल टाइम्स ने बताया कि बिजली की इस कमी से आने वाले महीनों में औद्योगिक उत्पादन घटने का भी खतरा बढ़ गया है। चीनी मीडिया के कुछ वर्गों ने सरकार से इस संकट का हल निकालने के लिए जलवायु लक्ष्यों के बीच संतुलन बनाने का आह्वान किया है।
विस्तार
बुलेट ट्रेन भले दुनिया में विकास का पैमाना बन गई हो लेकिन एक शोध का दावा है कि पश्चिमी चीन के जिन कस्बों-शहरों में हाई स्पीड रेल पहुंची, वहां रातों में उजाले की बजाए अंधेरा बढ़ने लगा है और आर्थिक गतिविधियां थम रही हैं।
180 शहरों, 527 स्टेशनों के सैटेलाइट डाटा के विश्लेषण के आधार पर शोधकर्ताओं ने बताया कि यहां रात में बिजली की रोशनी लगातार घट रही है। शोध में 2004 से शुरू हुए बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के बाद से 180 शहरों के 527 स्टेशनों का विश्लेषण किया गया है। ज्योग्राफिकल रिसर्च में प्रकाशित शोध के मुताबिक, पश्चिमी चीन में स्टेशन बनने के बाद स्थानीय आर्थिक गतिविधि डेढ़ फीसदी गिरीं। हालांकि, बुलेट ट्रेन के कारण पहले से विकसित पूर्वी चीन में स्टेशन के चार किमी क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियां नौ फीसदी बढ़ी। मध्य चीन में आंकड़ा 3.6 फीसदी और पूर्वोत्तर के लिए साढ़े चार फीसदी रहा है।
70 हजार किमी लंबाई का लक्ष्य
पूर्व के बाद अन्य क्षेत्रों में भी बुलेट ट्रेनों का विस्तार हुआ। अब बहुत कम आबादी वाले प्रदेशों में भी यह रेल पहुंचती है। कम्युनिस्ट सरकार की योजना 2035 तक बुलेट ट्रेक की लम्बाई 70 हजार किमी करने की है। लेकिन क्या कम विकसित और छोटी आबादी वाली जगहों पर इस तेज रफ्तार रेल की जरूरत है, इसे लेकर देश में बहस चल रही है। पश्चिमी इलाकों से हुआ ब्रेन ड्रेन पिछले माह एक आर्थिक पत्रिका में छपे अध्ययन के मुताबिक, शुरुआत में हाई स्पीड ट्रेनों के तेज विस्तार के चलते पश्चिमी चीन से पूर्वी प्रदेशों में प्रतिभाओं का पलायन (ब्रेन ड्रेन) हुआ है। नतीजे में पश्चिमी क्षेत्र में बुलेट ट्रेन पहुंचने के बाद यहां पेटेंट आवेदनों में काफी कमी आई है।
रोशनी को बनाया विकास का पैमाना
शोधकर्ताओं के मुताबिक, स्थानीय आर्थिक गतिविधि को तेज रफ्तार ट्रेनों से मापना टेढ़ा काम था क्योंकि इसके लिए कई पहलू जिम्मेदार होते हैं। लेकिन फिर सर्वसम्मति से रात्रि प्रकाश को पैमाना बनाया गया, जिसका शोध में भौतिक परिणाम दिखाई दिया। चीन में 38 हजार किमी दौड़ती हैं बुलेट ट्रेनें ड्रैगन ने बीते 15 साल में बुलेट ट्रेनें के लिए 38 हजार किमी ट्रेक बिछा लिया है। देश में इस समय साढ़े तीन सौ प्रति घंटा की स्पीड से बुलेट रेल दौड़ती हैं। सबसे पहले पूर्वी इलाकों में पकड़ी रफ्तार चीन ने तेज स्पीड वाली ट्रेनों के लिए सबसे पहले पूर्वी इलाकों को चुना था। यहां ज्यादा विकसित प्रदेश और सघन आबादी है। यहां स्टेशन बनवाने के लिए शहरों में काफी प्रतिस्पर्धा रही क्योंकि उनका मानना था कि इससे आर्थिक विकास बढ़ेगा।
बिजली संकट ने रोका चीनी आर्थिक विकास का पहिया
चीन मौजूदा समय में बिजली संकट का सामना कर रहा है, जिससे उसे अपने कारखानों के संचालन, बिजली की खपत कम करने और कुछ प्रांतों में ब्लैकआउट घोषित करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में कुल 31 प्रांतों में से 20 प्रांत बिजली की किल्लत से जूझ रहे हैं। इस संकट से कारण दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के उद्योग क्षेत्र पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह समस्या कोरोना के कारण मंदी के बाद चीनी कारखानों से बिजली की मांग में एकाएक बढ़ोतरी के कारण सामने आई है। इस बीच चीन के पावर ग्रिड ऑपरेटर ने ऊर्जा संकट से इनकार करते हुए राष्ट्रीय पावर ग्रिड को अपग्रेड करने और सामान्य बिजली आपूर्ति की गारंटी देने का वादा किया है। चाइना साउथ ग्रिड ने बताया कि बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी औद्योगिक उपयोगकर्ताओं के लिए है और यह आवासीय बिजली के उपयोग पर लागू नहीं होगी।
औद्योगिक उत्पादन में गिरावट
चीनी पत्रिका के मुताबिक, इस मुसीबत का एक कारण यह भी है कि चीन आज भी कोयले पर अत्यधिक निर्भर है, जो देश की बिजली उत्पादन का 70 प्रतिशत प्रदान करता है। चीन में कोरोना के मद्देनजर लगाए गए लॉकडाउन से उबरने के बाद पहली बार सितंबर में ऊर्जा संकट के कारण औद्योगिक उत्पादन में गिरावट आई है। वहीं ग्लोबल टाइम्स ने बताया कि बिजली की इस कमी से आने वाले महीनों में औद्योगिक उत्पादन घटने का भी खतरा बढ़ गया है। चीनी मीडिया के कुछ वर्गों ने सरकार से इस संकट का हल निकालने के लिए जलवायु लक्ष्यों के बीच संतुलन बनाने का आह्वान किया है।
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