वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला
Published by: Amit Mandal
Updated Tue, 19 Apr 2022 07:19 PM IST
सार
शोध के मुताबिक, आशंका यह भी जताई जा रही है कि यूरोप और एशिया के मिश्रित इलाकों में आईएस के घातक लड़ाके अपने पैर जमा सकते हैं।
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विस्तार
आईएस में नई भर्तियां मध्य एशियाई देशों से
‘मध्य एशिया में आतंकी खतरा : एक समस्या विभिन्न पहलू’ शीर्षक वाले रिसर्च पेपर को विशिष्ट लेखक एलिसेंड्रो लुंडिनी ने तैयार किया है। कनाडा के थिंक टैंक इंटरनेशनल फोरम फार राइट्स एंड सिक्योरिटी (आईएफएफआरएएस) की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आईएस में अब जो भर्तियां हो रही हैं, कई लोग रूस और चीन से ही आ रहे हैं। हजारों की तादाद में मध्य एशियाई देशों के लोग आईएस में शामिल हो रहे हैं। रूस और चीन जैसे देशों के युवा बड़ी तादाद में सीरिया या इराक जाकर आईएस या अन्य आतंकी संगठनों में शामिल हो रहे हैं।
उज्बेकिस्तान के कट्टरपंथी इस्लामिक आंदोलन में दिखा असर
शोध के मुताबिक, आशंका यह भी जताई जा रही है कि यूरोप और एशिया के मिश्रित इलाकों में आईएस के घातक लड़ाके अपने पैर जमा सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह दावा बिना किसी आधार के नहीं किया जा रहा है, बल्कि पिछले साल अगस्त में उज्बेकिस्तान के कट्टरपंथी इस्लामिक आंदोलन के दौरान बहुत से लोगों ने आईएस जैसे आतंकी संगठनों की ओर अपना झुकाव दिखाया था। यह काफी खतरनाक संकेत है।
तुर्कमेनिस्तान की सीमा पर असर डाल सकता है तालिबान
चिंता की एक और बात यह भी है कि अफगानिस्तान में तालिबान भी तुर्कमेनिस्तान जैसे देशों की सीमाओं पर असर डाल सकता है। रूस इस्लामिक कट्टरपंथियों का प्रभाव कम करना चाहता है। इसीलिए उस जगह पर जिहादियों की बढ़ोतरी की आशंका बढ़ गई है। ऐसा ही दुष्प्रभाव पूरे मध्य एशिया में तुर्कमेनिस्तान से लेकर ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान में भी देखा जा सकता है। रिसर्च पेपर में इन देशों के आतंकियों की भर्ती रोकने के लिए इस क्षेत्र के देशों को एक साझा नीति बनाने का सुझाव दिया गया है।