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खेल दिवस पर खास: टोक्यो ओलंपिक तो ट्रेलर था, पेरिस में ये खेल दिखाएंगे पूरी पिक्चर

सार

पिछले कई सालों से देश में क्रिकेट का बोलबाला रहा है। अब टोक्यो में शानदार प्रदर्शन के बाद हॉकी, भाला फेंक, गोल्फ, कुश्ती और मुक्केबाजी जैसे खेलों की तरफ भी लोगों का ध्यान जा रहा है। टोक्यो ओलंपिक को खत्म हुए अभी ज्यादा दिन बीते भी नहीं हैं कि भारतीय खिलाड़ियों ने पेरिस ओलंपिक के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। आइए जानते हैं भविष्य में देश को किन खेलों से उम्मीदें हैं- 
 

कर्नाटक ने अभी से शुरू की पेरिस ओलंपिक की तैयारी
– फोटो : social media

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हॉकी के इस देश में पिछले कई वर्षों से क्रिकेट का बोलबाला रहा है। मगर टोक्यो ओलंपिक के बाद से लोगों का ध्यान अन्य खेलों की तरफ भी बढ़ रहा है, जिनमें हॉकी, भाला फेंक, गोल्फ, कुश्ती और मुक्केबाजी जैसे खेल शामिल हैं। इसका मुख्य कारण है ‘खेलों के महाकुंभ’ में भारतीय खिलाड़ियों का जोरदार प्रदर्शन। जापान की राजधानी टोक्यो में ओलंपिक में भारत का अब तक का यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। भारत सात पदकों (एक गोल्ड, दो सिल्वर और चार ब्रॉन्ज) के साथ अंकतालिका में 48वें स्थान पर रहा। भारतीय खिलाड़ियों ने हॉकी, भाला फेंक, गोल्फ, कुश्ती और मुक्केबाजी जैसे खेलों में जिस तरह का बेहतरीन प्रदर्शन किया है वो काबिले तारीफ है। अगर पिछले दो ओलंपिक पर एक नजर डालें तो 2012 लंदन ओलंपिक में भारत ने कुल छह पदक जीते थे, जिसमें दो सिल्वर और चार ब्रॉन्ज शामिल था। वहीं, 2016 के रियो ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा था। हिंदुस्तान की झोली में केवल दो पदक (एक सिल्वर, एक ब्रॉन्ज) ही आए थे। वहीं, टोक्यो में भारतीय खिलाड़ियों ने जिस तरह का प्रदर्शन किया वह इतिहास बन गया। ऐसे में आइए हम आपको बताते हैं कि भविष्य में देश को इन खेलों से क्या उम्मीदें हैं?

इसमें कोई शक नहीं है टोक्यो के बाद लोगों का रुझान अन्य खेलों की तरफ बढ़ रहा है और आने समय में और बढ़ेगा। टोक्यो ओलंपिक को खत्म हुए अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं। मगर खिलाड़ियों का ध्यान अभी से ही पेरिस ओलंपिक पर लग चुका है। इसके लिए वो अभी से ही तैयारियों में जुट गए हैं। टोक्यो में कई ऐसे खिलाड़ी थे जिन्हें गोल्ड की आस थी, लेकिन सिल्वर से संतोष करना पड़ा, जिसकी टीस उन्हें अभी भी है। उन खिलाड़ियों का पूरा ध्यान अभी से ही पेरिस पर है। देश को भविष्य में भी इन खेलों से काफी उम्मीदें हैं। खेलों को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी तरह से तत्पर हैं। हाल ही में उन्होंने टोक्यो ओलंपिक और पैरा ओलंपिक खिलाड़ियों से बातचीत में कहा था कि हमें भारत में खेल संस्कृति को विकसित करने के लिए अपने तरीकों और प्रणाली में सुधार करते रहना होगा। 

 

पीएम मोदी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय खेलों को बढ़ावा देने के साथ-साथ पारंपरिक खेलों को नई पहचान मिल रही है। उन्होंने कहा कि ‘सुगम्य भारत अभियान’ इस नई सोच का सबसे बड़ा उदाहरण है। बता दें कि मोदी सरकार खेलो इंडिया और फिट इंडिया जैसी पहल से न सिर्फ खेलों को बढ़ावा दे रही है, बल्कि युवा प्रतिभाओं को निखारने के लिए प्रतिबद्ध भी है। हाल ही में प्रधानमंत्री ने पैरा एथलीटों से बात करते हुए कहा था कि चाहे वे किसी भी खेल का प्रतिनिधित्व करते हों, वे एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को मजबूत करते हैं। उन्होंने कहा, आप जिस भी राज्य, क्षेत्र से ताल्लुक रखते हों, जो भी भाषा बोलते हों, उन सबसे ऊपर, आज आप ‘टीम इंडिया’ हैं। यह भावना हमारे समाज के हर क्षेत्र में होनी चाहिए, हर स्तर पर दिखनी चाहिए।’ पीएम मोदी के इस बयान से साफ जाहिर होता है कि सरकार खिलाड़ियों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है। आइए एक नजर डालते हैं टोक्यो सहित पिछले दो ओलंपिक में खिलाड़ियों के प्रदर्शन, पदक और मेडल के रंग पर?

2020 टोक्यो ओलंपिक 
टोक्यो ओलंपिक में भारत का अब तक सबसे बड़ा दल शामिल हुआ था। 18 खेलों में 126 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था। भारत सात पदकों के साथ अंकतालिका में 48वें स्थान पर रहा। भाला फेंक इवेंट में नीरज चोपड़ा ने 87.58 मीटर का थ्रो कर इतिहास रच दिया। उन्होंने भारत का एथलेटिक्स में ओलंपिक पदक जीतने का पिछले 121 साल का इंतजार खत्म किया। नीरज ओलंपिक में ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले देश के पहले और व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बन गए। इससे पहले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग ओलंपिक 2008 में पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीता था। इसके अलावा भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने 41 साल बाद पदक जीता। वहीं, महिला हॉकी पहली बार सेमीफाइनल तक पहुंची। उधर, गोल्फ में अदिती अशोक ने हारकर भी इतिहास रच दिया। वह मामूली अंतर से पदक से चूक गईं। उन्होंने अपने दूसरे ओलंपिक में चौथा स्थान हासिल किया। अदिती खराब मौसम से प्रभावित चौथे दौर में तीन अंडर 68 का स्कोर करके चौथे स्थान पर रहीं। अदिति का कुल स्कोर 15 अंडर 269 रहा और वह दो स्ट्रोक्स से चूक गईं। 

किस इवेंट में कौन सा मेडल
इवेंट                        खिलाड़ी                         पदक
भाला पेंक              नीरज चोपड़ा                        गोल्ड
वेटलिफ्टिंग            मीराबाई चान                      सिल्वर
कुश्ती                   रवि कुमार दहिया                सिल्वर
बेडमिंटन               पीवी सिंधु                            ब्रॉन्ज
मुक्केबाजी             लवलीना बोरगोहेन                ब्रॉन्ज
हॉकी                    पुरुष टीम                            ब्रॉन्ज
कुश्ती                   बजरंग पूनिया                       ब्रॉन्ज

 
2016 रियो ओलंपिक
2016 के रियो ओलंपिक में 15 खेलों में 117 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था। मगर देश की झोली में केवल दो ही पदक (एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज) आए। बैडमिंटन में भारतीय स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु ने रजत पदक जीता था। वहीं, कुश्ती में साक्षी मलिक ने महिलाओं की फ्रीस्टाइल (58 किग्रा) स्पर्धा में कांस्य पदक अपने नाम किया था। मुक्केबाजी में केवल तीन खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था लेकिन पदक नहीं जीत पाए। वहीं, भाला फेंक इवेंट में भारतीय खिलाड़ियों ने हिस्सा नहीं लिया था। कुश्ती में चार पुरुष और तीन महिला पहलवानों ने हिस्सा लिया था, जिसमें केवल एक पदक आया। एथलेटिक्स में भारतीय दल ने निराश किया था। 34 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था लेकिन पदक जीतने में नामाक रहे।

किस इवेंट में कौन सा मेडल
इवेंट                    खिलाड़ी                           पदक

बैडमिंटन              पीवी सिंधु                          सिल्वर
कुश्ती                  साक्षी मलिक                      कांस्य  

2012 लंदन ओलंपिक
2012 के लंदन ओलंपिक में 13 खेलों में 83 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था। भारत की झोली में दो सिल्वर सहित कुल छह पदक आए थे।

किस इवेंट में कौन सा मेडल
इवेंट                            खिलाड़ी                        पदक
निशानेबाजी                  विजय कुमार                   सिल्वर
कुश्ती                          सुशील कुमार                  सिल्वर
निशानेबाजी                  गगन नारंग                        ब्रॉन्ज
बेडमिंटन                     साइना नेहवाल                    ब्रॉन्ज
मुक्केबाजी                    मैरी कॉम                          ब्रॉन्ज
कुश्ती                          योगेश्वर दत्त                        ब्रॉन्ज

 

विस्तार

हॉकी के इस देश में पिछले कई वर्षों से क्रिकेट का बोलबाला रहा है। मगर टोक्यो ओलंपिक के बाद से लोगों का ध्यान अन्य खेलों की तरफ भी बढ़ रहा है, जिनमें हॉकी, भाला फेंक, गोल्फ, कुश्ती और मुक्केबाजी जैसे खेल शामिल हैं। इसका मुख्य कारण है ‘खेलों के महाकुंभ’ में भारतीय खिलाड़ियों का जोरदार प्रदर्शन। जापान की राजधानी टोक्यो में ओलंपिक में भारत का अब तक का यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। भारत सात पदकों (एक गोल्ड, दो सिल्वर और चार ब्रॉन्ज) के साथ अंकतालिका में 48वें स्थान पर रहा। भारतीय खिलाड़ियों ने हॉकी, भाला फेंक, गोल्फ, कुश्ती और मुक्केबाजी जैसे खेलों में जिस तरह का बेहतरीन प्रदर्शन किया है वो काबिले तारीफ है। अगर पिछले दो ओलंपिक पर एक नजर डालें तो 2012 लंदन ओलंपिक में भारत ने कुल छह पदक जीते थे, जिसमें दो सिल्वर और चार ब्रॉन्ज शामिल था। वहीं, 2016 के रियो ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा था। हिंदुस्तान की झोली में केवल दो पदक (एक सिल्वर, एक ब्रॉन्ज) ही आए थे। वहीं, टोक्यो में भारतीय खिलाड़ियों ने जिस तरह का प्रदर्शन किया वह इतिहास बन गया। ऐसे में आइए हम आपको बताते हैं कि भविष्य में देश को इन खेलों से क्या उम्मीदें हैं?

इसमें कोई शक नहीं है टोक्यो के बाद लोगों का रुझान अन्य खेलों की तरफ बढ़ रहा है और आने समय में और बढ़ेगा। टोक्यो ओलंपिक को खत्म हुए अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं। मगर खिलाड़ियों का ध्यान अभी से ही पेरिस ओलंपिक पर लग चुका है। इसके लिए वो अभी से ही तैयारियों में जुट गए हैं। टोक्यो में कई ऐसे खिलाड़ी थे जिन्हें गोल्ड की आस थी, लेकिन सिल्वर से संतोष करना पड़ा, जिसकी टीस उन्हें अभी भी है। उन खिलाड़ियों का पूरा ध्यान अभी से ही पेरिस पर है। देश को भविष्य में भी इन खेलों से काफी उम्मीदें हैं। खेलों को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी तरह से तत्पर हैं। हाल ही में उन्होंने टोक्यो ओलंपिक और पैरा ओलंपिक खिलाड़ियों से बातचीत में कहा था कि हमें भारत में खेल संस्कृति को विकसित करने के लिए अपने तरीकों और प्रणाली में सुधार करते रहना होगा। 

 

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