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खमियाजा : बैंक ने गलती से 75 हजार ग्राहकों के खातों में डाल दिए 1303 करोड़, अब वसूलने के छूट रहे पसीने

सार

ब्रिटेन में भुगतान सिस्टम चलाने वाले पे-यूके ने सेंटेंडर के साथ वसूली पर बातचीत शुरू की है। बैंक प्रवक्ता के अनुसार वे बैंकिंग सेक्टर की निर्धारित प्रक्रिया के तहत ही वसूली करेंगे।

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ब्रिटेन में सेंटेंडर बैंक ने क्रिसमस पर अपने ग्राहकों के खातों में गलती से 13 करोड़ पौंड यानी करीब 1,303 करोड़ रुपए जमा कर दिए। यह पैसा करीब 75 हजार ग्राहकों के खातों में गया है। आशंका है कि इनमें से कई ने इसे क्रिसमस का बोनस समझकर खर्च कर डाला है। अब बैंक के लिए इतनी बड़ी रकम वापस वसूलना मुश्किल हो गया है।

सामने आया कि क्रिसमस पर सेंटेंडर बैंक 2,000 कंपनियों के इन ग्राहकों को नियमित भुगतान करने जा रहा था। गलती से यह भुगतान दो बार हो गया। पहली बार तो पैसा संबंधित कंपनियों के खातों से कटा, लेकिन दूसरी बार खुद सेंटेंडर के कोष से भुगतान हुए।

नहीं लौटाए तो 10 साल कैद
ब्रिटेन के चोरी अधिनियम 1968 के अनुसार किसी ग्राहक के खाते में गलती से आया पैसा बैंक वापस ले सकते हैं। ग्राहक पैसा नहीं लौटाते हैं तो उन्हें अधिकतम 10 साल तक की जेल हो सकती है। इस बैंक के करीब 1.40 करोड़ ग्राहक हैं।

दूसरे बैंकों के खातों से वसूली मुश्किल
बैंक को आशंका है कि कई ग्राहक दूसरी बार खातों में आया पैसा खर्च कर चुके हैं। चूंकि यह क्रिसमस का समय है, संभव है कि लोगों ने इसे कंपनी से मिला क्रिसमस भत्ता या बोनस मानकर खर्च कर दिया है। वहीं बहुत से ग्राहक दूसरे बैंकों से भी जुड़े हैं, इसलिए पैसा वसूलना मुश्किल हो सकता है।

पैसा पाने वालों की पहचान की कोशिश
ब्रिटेन में भुगतान सिस्टम चलाने वाले पे-यूके ने सेंटेंडर के साथ वसूली पर बातचीत शुरू की है। बैंक प्रवक्ता के अनुसार वे बैंकिंग सेक्टर की निर्धारित प्रक्रिया के तहत ही वसूली करेंगे। जिन खातों में दो बार रकम जमा हो गई, उनकी पहचान की जा रही है।

विस्तार

ब्रिटेन में सेंटेंडर बैंक ने क्रिसमस पर अपने ग्राहकों के खातों में गलती से 13 करोड़ पौंड यानी करीब 1,303 करोड़ रुपए जमा कर दिए। यह पैसा करीब 75 हजार ग्राहकों के खातों में गया है। आशंका है कि इनमें से कई ने इसे क्रिसमस का बोनस समझकर खर्च कर डाला है। अब बैंक के लिए इतनी बड़ी रकम वापस वसूलना मुश्किल हो गया है।

सामने आया कि क्रिसमस पर सेंटेंडर बैंक 2,000 कंपनियों के इन ग्राहकों को नियमित भुगतान करने जा रहा था। गलती से यह भुगतान दो बार हो गया। पहली बार तो पैसा संबंधित कंपनियों के खातों से कटा, लेकिन दूसरी बार खुद सेंटेंडर के कोष से भुगतान हुए।

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