न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु मिश्रा
Updated Wed, 03 Nov 2021 06:08 PM IST
सार
भारत में अभी ज्यादातर कोवाक्सिन और कोविशील्ड के डोज लगाए जा रहे हैं। शुरूआत में ही सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार की गई कोविशील्ड को डब्ल्यूएचओ ने मान्यता दे दी थी, अब कोवाक्सिन को भी मिल गई है।
डब्ल्यूएचओ ने कोवाक्सिन को इमरजेंसी यूज के लिए मंजूरी दे दी है।
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विस्तार
भारत की स्वदेशी कोरोना वैक्सीन ‘कोवाक्सिन’ को विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने इमरजेंसी यूज के लिए मंजूरी दे दी है। इसी के साथ दुनिया में अब आठ वैक्सीन हो चुकी हैं, जिसे डब्ल्यूएचओ ने मान्यत दे दी है। वैश्विक स्तर पर कोवाक्सिन को मंजूरी मिलने के कई फायदो होंगे। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
इन आठ वैक्सीन को मिली है डब्ल्यूएचओ की मंजूरी
1. मॉर्डना
2. फाइजर-बायोएनटेक
3. जॉनसन एंड जॉनसन
4. ऑक्सफोर्ड एस्ट्रेजेनिका
5. कोविशील्ड
6. सीनोफार्म
7. कोरोनावैक्स
भारत में यूज होने वाली दोनों वैक्सीन को डब्ल्यूएचओ की मंजूरी
भारत में अभी ज्यादातर कोवाक्सिन और कोविशील्ड के डोज लगाए जा रहे हैं। शुरूआत में ही सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार की गई कोविशील्ड को डब्ल्यूएचओ ने मान्यता दे दी थी, अब कोवाक्सिन को भी मिल गई है।
क्या फायदे होंगे?
1. बड़े पैमाने पर भारत बायोटेक द्वारा तैयार की गई कोवाक्सिन की सप्लाई दुनियाभर में हो सकेगी। आर्थिक तौर पर भारत को फायदा मिल सकेगा।
2. आम लोगों को विदेश की यात्रा करने में अब कोई दिक्कत नहीं होगी। अभी तक कोवाक्सिन लगवाने वालों को कई देशों में क्वारैंटाइन रहना पड़ता था। दो डोज लगवाने के बाद भी कई देशों में दोबारा डब्ल्यूएचओ से मान्यता प्राप्त वैक्सीन लगवाना पड़ता था। अब ऐसा नहीं करना होगा।
3. कोवाक्सिन का विदेशों में भी अब ट्रायल संभव हो सकेगा।
4. विदेशी निर्माताओं की मदद से कोवाक्सिन के उत्पादन में तेजी आएगी। कोविशील्ड की तरह बड़े पैमाने पर अब कोवाक्सिन का भी उत्पादन हो पाएगा।
5. भारतीय वैक्सीन की डिमांड दुनिया के कई देशों में बढ़ जाएगी। इसका भारत के विदेश नीतियों पर भी अच्छा प्रभाव पड़ेगा।
