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कोरोना के दो साल: दक्षिणी राज्यों नजर आया सबसे ज्यादा संक्रमण, महाराष्ट्र में हुईं 28.9% मौतें 

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव
Updated Sun, 30 Jan 2022 08:48 AM IST

सार

महाराष्ट्र में भारत की 9.3 प्रतिशत आबादी रहती है। यह राज्य देश में कोरोना से 28.9 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार है। वहीं केरल में केरल में भारत की 2.8 प्रतिशत आबादी रहती है। यहां 14.3 प्रतिशत लोग कोरोना से संक्रमित हुए। यह राज्य 10.6 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार रहा। 

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भारत में कोरोना संक्रमण को करीब दो साल पूरे हो गए हैं। आज के ही दिन इस संक्रमण का पहला मामला सामने आया था। इसके बाद से अब तक कोरोना के तीन वैरिएंट सामने आ चुके हैं, जिसमें डेल्टा ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई थी। यह वैरिएंट अभी भी लोगों को संक्रमित कर रहा है, तो वहीं ओमिक्रॉन वैरिंएट भी तेजी से फैल रहा है। इस सबके बीच यह देखने को मिला है कि महाराष्ट्र के अलावा दक्षिणी राज्यों में कोरोना वायरस का प्रकोप ज्यादा देखने को महिला है। विशेष तौर पर उत्तरी राज्यों की तुलना में, जहां संक्रमण भी कम रहा और मृत्युदर भी। 

महाराष्ट्र ने सबसे ज्यादा डराया
महाराष्ट्र में भारत की 9.3 प्रतिशत आबादी रहती है। यहां पर 18.8 प्रतिशत लोग कोरोना से संक्रमित हुए। जबकि, कोरोना से हुई 28.9 प्रतिशत मौतों के लिए यह राज्य जिम्मेदार है। इसी तरह केरल में भारत की 2.8 प्रतिशत आबादी रहती है। यहां 14.3 प्रतिशत लोग कोरोना से संक्रमित भी हुए। यह राज्य 10.6 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार रहा। 

उचित प्रबंधन ने कम की मृत्यु दर 
कोरोना संक्रमण के बीच उचित प्रबंधन ने भी बहुत से लोगों को मरने से बचा लिया। उत्तर प्रदेश में देश की कुल 16.5 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है। यहां पर सिर्फ 4.9 प्रतिशत लोग ही कोरोना से संक्रमित हुए और 4.7 प्रतिशत मौतें हुईं। इससे अच्छी स्थिति बिहार की रही, जहां देश की आबादी की 8.6 प्रतिशत जनसंख्या होने के बावजूद दो प्रतिशत लोग संक्रमित हुए और 2.5 प्रतिशत मौतें हुईं। 

क्या कहते हैं विशेषज्ञ 
कोरोना मामलों पर शोध कर रहे विशेषज्ञ का कहना है कि दो सालों में कोरोना संक्रमण ने कई राज्यों में तबाही मचाई है, लेकिन आंकड़ों को देखकर यह लगता है कि कई राज्यों में संक्रमण दर काफी ज्यादा रही, लेकिन बेहतरीन रिपोर्टिंग प्रणाली से वहां पर कई लोगों की जान बचाई जा सकी। 

विस्तार

भारत में कोरोना संक्रमण को करीब दो साल पूरे हो गए हैं। आज के ही दिन इस संक्रमण का पहला मामला सामने आया था। इसके बाद से अब तक कोरोना के तीन वैरिएंट सामने आ चुके हैं, जिसमें डेल्टा ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई थी। यह वैरिएंट अभी भी लोगों को संक्रमित कर रहा है, तो वहीं ओमिक्रॉन वैरिंएट भी तेजी से फैल रहा है। इस सबके बीच यह देखने को मिला है कि महाराष्ट्र के अलावा दक्षिणी राज्यों में कोरोना वायरस का प्रकोप ज्यादा देखने को महिला है। विशेष तौर पर उत्तरी राज्यों की तुलना में, जहां संक्रमण भी कम रहा और मृत्युदर भी। 

महाराष्ट्र ने सबसे ज्यादा डराया

महाराष्ट्र में भारत की 9.3 प्रतिशत आबादी रहती है। यहां पर 18.8 प्रतिशत लोग कोरोना से संक्रमित हुए। जबकि, कोरोना से हुई 28.9 प्रतिशत मौतों के लिए यह राज्य जिम्मेदार है। इसी तरह केरल में भारत की 2.8 प्रतिशत आबादी रहती है। यहां 14.3 प्रतिशत लोग कोरोना से संक्रमित भी हुए। यह राज्य 10.6 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार रहा। 

उचित प्रबंधन ने कम की मृत्यु दर 

कोरोना संक्रमण के बीच उचित प्रबंधन ने भी बहुत से लोगों को मरने से बचा लिया। उत्तर प्रदेश में देश की कुल 16.5 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है। यहां पर सिर्फ 4.9 प्रतिशत लोग ही कोरोना से संक्रमित हुए और 4.7 प्रतिशत मौतें हुईं। इससे अच्छी स्थिति बिहार की रही, जहां देश की आबादी की 8.6 प्रतिशत जनसंख्या होने के बावजूद दो प्रतिशत लोग संक्रमित हुए और 2.5 प्रतिशत मौतें हुईं। 

क्या कहते हैं विशेषज्ञ 

कोरोना मामलों पर शोध कर रहे विशेषज्ञ का कहना है कि दो सालों में कोरोना संक्रमण ने कई राज्यों में तबाही मचाई है, लेकिन आंकड़ों को देखकर यह लगता है कि कई राज्यों में संक्रमण दर काफी ज्यादा रही, लेकिन बेहतरीन रिपोर्टिंग प्रणाली से वहां पर कई लोगों की जान बचाई जा सकी। 

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