सार
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के ग्रॉसमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन ने यह दावा न्यूयॉर्क शहर में 1179 महिलाओं पर सर्वे के बाद किया है।
कोरोना महामारी से पहले दोबारा मां बनने की योजना बना रही महिलाओं ने अपनी योजना को टाल दिया है। जामा नेटवर्क जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार न्यूयॉर्क में दोबारा मां बनने की इच्छा रखने वाली माएं महामारी की भयावह स्थिति देख दोबारा गर्भधारण से कतरा रही हैं।
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के ग्रॉसमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन ने ये दावा न्यूयॉर्क शहर में 1179 महिलाओं पर सर्वे के बाद किया है। इस अनुसार एक तिहाई महिलाएं महामारी से पहले दोबारा मां बनने की योजना बना रही थीं, लेकिन वायरस की दस्तक के बाद उन्होंने इसे टाल दिया है। महामारी रोग विशेषज्ञ और प्रमुख शोधकर्ता डॉ. लिंडा कां का कहना है कि महिलाएं महामारी के बीच गर्भधारण के खतरों के बारे में जान गई हैं। इस दौरा में गर्भधारण जच्चा-बच्चा दोनों के लिए खतरनाक है। अस्पतालों में संक्रमण का खतरा है। इसलिए महिलाएं इस दौर में गर्भधारण से बच रही है और ये बेहतर फैसला है।
कोरोना टीके और माहवारी के बीच के संबंधों को समझना होगालंदन। कोरोना टीकाकरण के बाद महिलाओं की माहवारी में किसी तरह की तकलीफ होने पर तत्त्काल जांच की जरूरत है। ब्रिटिश मेडिकल जनरल ने अपने संपादकीय में ये बात इंपीरियल कॉलेज लंदन की रिप्रोडक्टिव विशेषज्ञ डॉ. विक्टोरिया माले ने लिखी है। उन्होंने लिखा है कि ब्रिटेन की मेडिसिन एंड हेल्थ केयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी के सामने अब तक 30 हजार मामले सामने आए हैं जिसमें महिलाओं ने टीकाकरण के बाद माहवारी में दिक्कत या अधिक रक्तस्राव की शिकायत की है।
महिलाओं को लेकर सतर्कता जरूरी
डॉ. माले का कहना है कि टीके से प्रजनन क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ने का अब तक कोई संकेत नहीं मिला है। हां महिलाओं की शिकायत पर सतर्क होने की जरूरत है। संपादकीय में ये भी स्पष्ट लिखा है कि टीके के बाद माहवारी में अनियमितता देखी गई है।
विस्तार
कोरोना महामारी से पहले दोबारा मां बनने की योजना बना रही महिलाओं ने अपनी योजना को टाल दिया है। जामा नेटवर्क जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार न्यूयॉर्क में दोबारा मां बनने की इच्छा रखने वाली माएं महामारी की भयावह स्थिति देख दोबारा गर्भधारण से कतरा रही हैं।
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के ग्रॉसमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन ने ये दावा न्यूयॉर्क शहर में 1179 महिलाओं पर सर्वे के बाद किया है। इस अनुसार एक तिहाई महिलाएं महामारी से पहले दोबारा मां बनने की योजना बना रही थीं, लेकिन वायरस की दस्तक के बाद उन्होंने इसे टाल दिया है। महामारी रोग विशेषज्ञ और प्रमुख शोधकर्ता डॉ. लिंडा कां का कहना है कि महिलाएं महामारी के बीच गर्भधारण के खतरों के बारे में जान गई हैं। इस दौरा में गर्भधारण जच्चा-बच्चा दोनों के लिए खतरनाक है। अस्पतालों में संक्रमण का खतरा है। इसलिए महिलाएं इस दौर में गर्भधारण से बच रही है और ये बेहतर फैसला है।
कोरोना टीके और माहवारी के बीच के संबंधों को समझना होगालंदन। कोरोना टीकाकरण के बाद महिलाओं की माहवारी में किसी तरह की तकलीफ होने पर तत्त्काल जांच की जरूरत है। ब्रिटिश मेडिकल जनरल ने अपने संपादकीय में ये बात इंपीरियल कॉलेज लंदन की रिप्रोडक्टिव विशेषज्ञ डॉ. विक्टोरिया माले ने लिखी है। उन्होंने लिखा है कि ब्रिटेन की मेडिसिन एंड हेल्थ केयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी के सामने अब तक 30 हजार मामले सामने आए हैं जिसमें महिलाओं ने टीकाकरण के बाद माहवारी में दिक्कत या अधिक रक्तस्राव की शिकायत की है।
महिलाओं को लेकर सतर्कता जरूरी
डॉ. माले का कहना है कि टीके से प्रजनन क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ने का अब तक कोई संकेत नहीं मिला है। हां महिलाओं की शिकायत पर सतर्क होने की जरूरत है। संपादकीय में ये भी स्पष्ट लिखा है कि टीके के बाद माहवारी में अनियमितता देखी गई है।
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