एजेंसी, नई दिल्ली
Published by: देव कश्यप
Updated Sun, 24 Oct 2021 06:41 AM IST
सार
एनटीसीए ने मोरघट्टी व पखरो फॉरेस्ट रेस्ट हाउस (एफआरएच) परिसरों में तमाम अवैध निर्माणों को तुरंत ध्वस्त करने और वहां पारिस्थितिकी बहाली का काम शुरू करने की सिफारिश की है।
कॉर्बेट नेशनल पार्क
– फोटो : अमर उजाला
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) समिति ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माणों को प्रशासनिक और प्रबंधकीय विफलता का बदतर उदाहरण करार दिया है। समिति के अनुसार कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध सड़कों और भवनों के निर्माण की इजाजत देने के लिए वन अधिकारियों ने सरकारी रिकॉर्डों में फर्जीवाड़ा किया है।
समिति ने मोरघट्टी व पखरो फॉरेस्ट रेस्ट हाउस (एफआरएच) परिसरों में तमाम अवैध निर्माणों को तुरंत ध्वस्त करने और वहां पारिस्थितिकी बहाली का काम शुरू करने की सिफारिश की है। साथ ही इस कार्य में खर्च होने वाली राशि संबंधित अधिकारियों से वसूलने की सलाह दी है।
दिल्ली हाईकोर्ट में वकील गौरव कुमार बंसल की ओर से याचिका दाखिल करने के बाद एनटीसीए ने समिति बनाई थी। समिति ने हाल ही में राष्ट्रीय उद्यान का दौरा किया था। वहां का नजारा देखने के बाद उसने कहा कि दुनिया की सर्वाधिक घनत्व वाली बाघ निवास स्थली में चल रहे निर्माण को बिना किसी सक्षम मंजूरियों और वैधानिक प्रावधानों व अदालती आदेशों का उल्लंघन करके अंजाम दिया जा रहा है, जो अपने आप में बड़ी प्रशासनिक विफलता है।
विस्तार
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) समिति ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माणों को प्रशासनिक और प्रबंधकीय विफलता का बदतर उदाहरण करार दिया है। समिति के अनुसार कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध सड़कों और भवनों के निर्माण की इजाजत देने के लिए वन अधिकारियों ने सरकारी रिकॉर्डों में फर्जीवाड़ा किया है।
समिति ने मोरघट्टी व पखरो फॉरेस्ट रेस्ट हाउस (एफआरएच) परिसरों में तमाम अवैध निर्माणों को तुरंत ध्वस्त करने और वहां पारिस्थितिकी बहाली का काम शुरू करने की सिफारिश की है। साथ ही इस कार्य में खर्च होने वाली राशि संबंधित अधिकारियों से वसूलने की सलाह दी है।
दिल्ली हाईकोर्ट में वकील गौरव कुमार बंसल की ओर से याचिका दाखिल करने के बाद एनटीसीए ने समिति बनाई थी। समिति ने हाल ही में राष्ट्रीय उद्यान का दौरा किया था। वहां का नजारा देखने के बाद उसने कहा कि दुनिया की सर्वाधिक घनत्व वाली बाघ निवास स्थली में चल रहे निर्माण को बिना किसी सक्षम मंजूरियों और वैधानिक प्रावधानों व अदालती आदेशों का उल्लंघन करके अंजाम दिया जा रहा है, जो अपने आप में बड़ी प्रशासनिक विफलता है।
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