डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Fri, 19 Nov 2021 12:27 PM IST
सार
अमर उजाला से बातचीत करते हुए सतपाल मलिक ने एक शांतिपूर्ण आंदोलन चलाने के लिए किसान नेताओं को भी बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन लगभग एक साल से चल रहा है, लेकिन इस पूरे आंदोलन के दौरान कहीं कोई हिंसा नहीं होने पाई और पूरा आंदोलन बेहद अनुशासित तरीके से आगे बढ़ता रहा…
सत्यपाल मलिक
– फोटो : अमर उजाला (फाइल फोटो)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों विवादित कृषि कानूनों की वापसी का एलान कर दिया है। 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद सत्र में कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। प्रधानमंत्री की इस घोषणा पर टिप्पणी करते हुए मेघालय के राज्यपाल सतपाल मलिक ने कहा है कि लोकतंत्र में सरकारें जनता की आवाज सुनकर ही फैसले लेती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता के मन की बात सुनते हुए कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय किया है। इसका स्वागत किया जाना चाहिए। सतपाल मलिक लंबे समय से केंद्र सरकार से किसानों से बातचीत कर इस मामले का एक शांतिपूर्ण समाधान खोजने की बात कहते आ रहे थे।
अमर उजाला से बातचीत करते हुए सतपाल मलिक ने एक शांतिपूर्ण आंदोलन चलाने के लिए किसान नेताओं को भी बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन लगभग एक साल से चल रहा है, लेकिन इस पूरे आंदोलन के दौरान कहीं कोई हिंसा नहीं होने पाई और पूरा आंदोलन बेहद अनुशासित तरीके से आगे बढ़ता रहा। इसके लिए किसान नेताओं और किसान संगठनों को बधाई दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बेहद अनुशासित तरीके से इतने बड़े आंदोलन को चलाने के लिए इसे इतिहास में सदैव याद रखा जाएगा।
सतपाल मलिक लंबे समय से किसान आंदोलन का शांतिपूर्ण समाधान निकालने के पक्ष में थे। वे केंद्र सरकार से भी लगातार किसानों से बातचीत करने के लिए दबाव डाल रहे थे। उन्होंने इस मसले पर स्वयं भी किसान नेताओं से बातचीत की थी। उन्होंने कहा था कि सरकार को किसानों की बात सुननी चाहिए और कृषि कानूनों पर पुनर्विचार करना चाहिए।
विस्तार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों विवादित कृषि कानूनों की वापसी का एलान कर दिया है। 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद सत्र में कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। प्रधानमंत्री की इस घोषणा पर टिप्पणी करते हुए मेघालय के राज्यपाल सतपाल मलिक ने कहा है कि लोकतंत्र में सरकारें जनता की आवाज सुनकर ही फैसले लेती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता के मन की बात सुनते हुए कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय किया है। इसका स्वागत किया जाना चाहिए। सतपाल मलिक लंबे समय से केंद्र सरकार से किसानों से बातचीत कर इस मामले का एक शांतिपूर्ण समाधान खोजने की बात कहते आ रहे थे।
अमर उजाला से बातचीत करते हुए सतपाल मलिक ने एक शांतिपूर्ण आंदोलन चलाने के लिए किसान नेताओं को भी बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन लगभग एक साल से चल रहा है, लेकिन इस पूरे आंदोलन के दौरान कहीं कोई हिंसा नहीं होने पाई और पूरा आंदोलन बेहद अनुशासित तरीके से आगे बढ़ता रहा। इसके लिए किसान नेताओं और किसान संगठनों को बधाई दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बेहद अनुशासित तरीके से इतने बड़े आंदोलन को चलाने के लिए इसे इतिहास में सदैव याद रखा जाएगा।
सतपाल मलिक लंबे समय से किसान आंदोलन का शांतिपूर्ण समाधान निकालने के पक्ष में थे। वे केंद्र सरकार से भी लगातार किसानों से बातचीत करने के लिए दबाव डाल रहे थे। उन्होंने इस मसले पर स्वयं भी किसान नेताओं से बातचीत की थी। उन्होंने कहा था कि सरकार को किसानों की बात सुननी चाहिए और कृषि कानूनों पर पुनर्विचार करना चाहिए।
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