इसके साथ ही प्रदेश सरकार ने सभी तरह की रैलियों और प्रदर्शनों के आयोजन और भाषण देने व पोस्टर आदि लगाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। विवाद के बीच 16 फरवरी से कर्नाटक में सभी प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज और अन्य संस्थान खुलने हैं। इसे देखते हुए कई शहरों में स्कूलों के आस-पास पुलिस बल की तैनाती करने का फैसला भी किया गया है।
जिन जिलों में अब तक धारा 144 लागू की जा चुकी है वह बेंगलुरु, उडुपी, बगलकोट, चिकबलपुर, गडक, शिवमोग्गा, मैसूर और दक्षिण कर्नाटक और टुमकुरु हैं। यह आदेश सभी शिक्षण संस्थानों से 200 मीटर की दूरी पर लागू होगा। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई सभी से शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील कर रहे हैं। प्रदेश में फिलहाल स्थित गंभीर बनी है।
भाजपा ने साझा कर दी छात्राओं की निजी जानकारी
भाजपा की कर्नाटक इकाई ने कथित तौर पर उडुपी की उन छात्राओं की आवासीय जानकारी समेत निजी जानकारियां साझा की हैं, जिन्होंने शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। हालांकि, आलोचना का सामना करने के बाद पार्टी ने अंग्रेजी और कन्नड़ में किया गया ट्वीट डिलीट कर दिया है।
इस ट्वीट में भाजपा ने लिखा था, ‘हिजाब विवाद में शामिल पांच छात्राएं नाबालिग हैं। क्या सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी जैसे कांग्रेस नेताओं राजनीति में बने रहने के लिए नाबालिग लड़कियों का इस्तेमाल करने के लिए शर्म नहीं महसूस होती है? चुनाव जीतने के लिए वह और कितना नीचे गिरेंगे? क्या ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ का मतलब यही है?’
इस ट्वीट के साथ ही पार्टी ने उडुपी की इन लड़कियों की निजी जानकारी भी साझा की जिन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना सासंद प्रियंका चतुर्वेदी ने एक ट्वीट में कहा कि कर्नाटक भाजपा ने विपक्ष पर हमला करने के लिए नाबालिक लड़कियों के पते ट्वीट कर दिए। यह शर्मनाक और बेहद असंवेदनशील है।
कुछ जगह छात्राओं ने किया परीक्षाओं का बहिष्कार
इस विवाद के बीच राज्य में कुछ स्थानों पर लड़कियों ने प्री परीक्षा का बहिष्कार कर दिया है। कुछ स्थानों पर अभिभावक ही बच्चों को स्कूल भेजने से कतराने लगे हैं। शिवमोग्गा शहर के कर्नाटक पब्लिक स्कूल में कई छात्राओं ने कक्षा 10वीं की प्रारंभिक परीक्षा का बहिष्कार कर दिया है। स्कूल की एक छात्रा हिना कौसर ने बताया कि मुझे स्कूल में प्रवेश करने से पहले हिजाब हटाने के लिए कहा गया था। इसलिए मैंने परीक्षा में शामिल नहीं होने का फैसला किया है।
दरअसल, कर्नाटक सरकार ने फरवरी की शुरुआत में कर्नाटक शिक्षा अधिनियम 1983 की धारा 133(2) लागू कर दी थी। इसके अनुसार सभी छात्र-छात्राओं के लिए कॉलेज में तय यूनिफॉर्म पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। यह आदेश सरकारी और निजी, दोनों कॉलेजों पर लागू किया गया। मुस्लिम छात्राओं के साथ-साथ कई राजनीतिक दलों ने भी राज्य सरकार के इस फैसले की आलोचना की है। फिलहाल इस मामले पर कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई की जा रही है।