अमर उजाला रिसर्च टीम, बंगलूरू
Published by: Kuldeep Singh
Updated Mon, 09 Aug 2021 06:12 AM IST
कोरोना का नमूना लेता स्वास्थ्यकर्मी
– फोटो : अमर उजाला
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कर्नाटक के कोविड-19 जीनोम सीक्वेंसिंग कमेटी के चेयरमैन डॉ रवि का कहना है कि इटा वैरिएंट का यह कोई पहला केस नहीं है। अप्रैल 2020 में 2 सैंपल में ये वैरिएंट मिला था।
अन्य वैरिएंट से कैसे अलग
वैज्ञानिकों का कहना है कि इटा वैरिएंट अल्फा, बीटा, गामा में मिलने वाले म्यूटेशन एन501वाई को लेकर नहीं चलता है। हालांकि गामा, जेटा और बीटा वैरिएंट में मिलने वाले ई483के म्यूटेशन का पता इस वैरिएंट में पता चला है, जिसको लेकर सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि यह घातक हो सकता है।
अन्य से अलग
डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि इटा वैरिएंट कोरोना के मौजूदा सभी वैरिएंट से अलग है। ई484के म्यूटेशन के साथ इसमें एफ888एल म्यूटेशन देखा गया है। वायरस अपने समय एस2 डोमेन यानी स्पाइक प्रोटीन में बदलाव कर ले। अगर ऐसा होता है तो वायरस अन्य की तुलना में अधिक संक्रामक हो सकता है।
ब्रिटेन की इस वैरिएंट पर पैनी नजर
कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट से जूझ रहा ब्रिटेन इटा वैरिएंट पर भी नजर बनाए हुए है। ब्रिटिश वैज्ञानिकों का कहना है कि संभव है कि आने वाले समय में वायरस का यह वैरिएंट चिंता का कारण बन जाए। वैज्ञानिकों की एक पूरी टीम वायरस के इस रूप को समझने में जुटी हुई है।