एजेंसी, विएना
Published by: Kuldeep Singh
Updated Tue, 30 Nov 2021 01:56 AM IST
सार
भारतीय समयानुसार सोमवार-मंगलवार की दरम्यानी रात शुरू होने वाली यह बातचीत गत जून में सकारात्मक नोट पर खत्म हुई थी जिसमें इस बार ईरान में अति रूढ़िवादी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के सत्ता में आने के बाद के हालात पर दुनिया भर के ताकतवर देशों की नजर बनी हुई है।
ईरान परमाणु समझौते पर ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय वार्ता के लिए वार्ताकार जुट गए हैं। भारतीय समयानुसार सोमवार-मंगलवार की दरम्यानी रात शुरू होने वाली यह बातचीत गत जून में सकारात्मक नोट पर खत्म हुई थी जिसमें इस बार ईरान में अति रूढ़िवादी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के सत्ता में आने के बाद के हालात पर दुनिया भर के ताकतवर देशों की नजर बनी हुई है।
विश्लेषकों ने कहा, 2015 का समझौता फिर लागू होने में कई बाधाएं
विश्लेषकों का मानना है कि नवंबर में शुरू होने वाली बातचीत के दौरान 2015 के परमाणु समझौते के फिर से लागू होने में कई बाधाएं हैं। ईरान अपने एटमी कार्यक्रम की क्षमताएं मजबूत करते हुए कई माह तक वार्ता को दोबारा शुरू करने के लिए पश्चिमी देशों की अपील नजरअंदाज करता रहा है। जबकि ठीक दो दिन पूर्व उसने स्पष्ट कर दिया कि वह ईरान से पाबंदियां हटाने की शर्त पर ही वार्ता में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएगा।
उधर, ईरान के लिए अमेरिका के विशेष दूत रॉब माइले ने कहा है कि तेहरान का रवैया वार्ता के लिए अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा, यदि वे एटमी कार्यक्रम को लागू करने के बहुत करीब पहुंचने लगते हैं तो हम भी आराम से बैठने वाले नहीं हैं। इस बीच, 2018 में परमाणु समझौते से अमेरिका के बाहर होने के बाद ईरान और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) में भी सहमति नहीं बन पाई है।
ईरान को एटमी शक्ति बनने से रोकने काम करेंगे इस्राइल-ब्रिटेन
ब्रिटिश विदेश मंत्री लिज ट्रस और इस्राइल के विदेश मंत्री याइर लापिद ने कहा है कि वे ईरान को परमाणु ताकत बनने से रोकने के लिए कुछ भी करेंगे। दोनों नेताओं ने सोमवार को द डेली टेलीग्राफ के लिए एक संयुक्त लेख में लिखा कि हम ईरानी शासन को एटमी ताकत बनने से रोकने के लिए दिन रात काम करेंगे। उन्होंने कहा, तेहरान की महत्वाकांक्षाओं को नाकाम क रने के लिए हम भागीदारों और मित्र देशों के साथ घनिष्ठ संपर्क बढ़ाएंगे।
विस्तार
ईरान परमाणु समझौते पर ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय वार्ता के लिए वार्ताकार जुट गए हैं। भारतीय समयानुसार सोमवार-मंगलवार की दरम्यानी रात शुरू होने वाली यह बातचीत गत जून में सकारात्मक नोट पर खत्म हुई थी जिसमें इस बार ईरान में अति रूढ़िवादी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के सत्ता में आने के बाद के हालात पर दुनिया भर के ताकतवर देशों की नजर बनी हुई है।
विश्लेषकों ने कहा, 2015 का समझौता फिर लागू होने में कई बाधाएं
विश्लेषकों का मानना है कि नवंबर में शुरू होने वाली बातचीत के दौरान 2015 के परमाणु समझौते के फिर से लागू होने में कई बाधाएं हैं। ईरान अपने एटमी कार्यक्रम की क्षमताएं मजबूत करते हुए कई माह तक वार्ता को दोबारा शुरू करने के लिए पश्चिमी देशों की अपील नजरअंदाज करता रहा है। जबकि ठीक दो दिन पूर्व उसने स्पष्ट कर दिया कि वह ईरान से पाबंदियां हटाने की शर्त पर ही वार्ता में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएगा।
उधर, ईरान के लिए अमेरिका के विशेष दूत रॉब माइले ने कहा है कि तेहरान का रवैया वार्ता के लिए अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा, यदि वे एटमी कार्यक्रम को लागू करने के बहुत करीब पहुंचने लगते हैं तो हम भी आराम से बैठने वाले नहीं हैं। इस बीच, 2018 में परमाणु समझौते से अमेरिका के बाहर होने के बाद ईरान और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) में भी सहमति नहीं बन पाई है।
ईरान को एटमी शक्ति बनने से रोकने काम करेंगे इस्राइल-ब्रिटेन
ब्रिटिश विदेश मंत्री लिज ट्रस और इस्राइल के विदेश मंत्री याइर लापिद ने कहा है कि वे ईरान को परमाणु ताकत बनने से रोकने के लिए कुछ भी करेंगे। दोनों नेताओं ने सोमवार को द डेली टेलीग्राफ के लिए एक संयुक्त लेख में लिखा कि हम ईरानी शासन को एटमी ताकत बनने से रोकने के लिए दिन रात काम करेंगे। उन्होंने कहा, तेहरान की महत्वाकांक्षाओं को नाकाम क रने के लिए हम भागीदारों और मित्र देशों के साथ घनिष्ठ संपर्क बढ़ाएंगे।
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