एजेंसी, नई दिल्ली
Published by: देव कश्यप
Updated Wed, 13 Apr 2022 06:33 AM IST
सार
ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन के कार्यक्रम में सीईए ने कहा कि सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योगों (एमएसएमई) को बैंक कर्ज ज्यादा दे रहे हैं। इसलिए ऐसा लगता है कि दूसरी छमाही के अंत से निजी निवेश में तेजी आएगी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को सार्वजनिक निवेश के माध्यम से रफ्तार देने के लिए 2022-23 के बजट में खर्च 35.4 फीसदी बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया है।
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विस्तार
ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन के कार्यक्रम में सीईए ने कहा कि सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योगों (एमएसएमई) को बैंक कर्ज ज्यादा दे रहे हैं। इसलिए ऐसा लगता है कि दूसरी छमाही के अंत से निजी निवेश में तेजी आएगी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को सार्वजनिक निवेश के माध्यम से रफ्तार देने के लिए 2022-23 के बजट में खर्च 35.4 फीसदी बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। एक साल पहले यह 5.5 लाख करोड़ रुपये था।
- 7.50 लाख करोड़ है 2022-23 में खर्च करने का लक्ष्य
- एक साल पहले यह 5.5 लाख करोड़ था
उद्योगों की क्षमता बढ़कर 74 फीसदी
नागेश्वरन ने आरबीआई के एक सर्वे का हवाला देते हुए कहा कि उद्योगों की क्षमता 68 फीसदी से बढ़कर 74 फीसदी हो गई है। विभिन्न क्षेत्रों की चार शीर्ष कंपनियों की क्षमता अब 80% तक पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि दो प्रमुख चीजों पर विशेष ध्यान देना होगा। इसमें पहला संपत्तियों को बेचना और दूसरा सरकारी कंपनियों का निजीकरण करना है। सरकार की नजर एलआईसी पर है, जिसका आईपीओ अगले माह तक आ सकता है।
गरीबों को मुफ्त अनाज देने की अवधि 6 माह बढ़ी
मुख्य आर्थिक सलाहकार का कहना है कि सरकार ने गरीबों को राहत देने के लिए मुफ्त अनाज उपलब्ध कराने की योजना 6 महीने के लिए बढ़ा दी गई है। इस पर 80 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा जो कि देश की जीडीपी का 0.65 फीसदी है। इस योजना के तहत सरकार ने देश के 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त राशन दिया है।