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इतिहास भविष्य का दर्पण: धर्मेंद्र प्रधान बोले- सरकार तथ्यों से नहीं करेगी छेड़छाड़, सच्चाई लाएगी सामने

एक पुस्तक के लोकार्पण के दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सरकार न तो इतिहास बदलेगी और न ही इसे फिर से लिखेगी बल्कि सभी ऐतिहासिक सच्चाईयों को सामने लाएगी और  गुमनाम नायकों और भूले-बिसरे नेताओं के बारे में बताएगी।

इतिहास को कर दिया 3-4 परिवारों तक सीमित
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सदियों बाद लाखों लोगों ने देश की सभ्यता के संरक्षण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया लेकिन यह हमारे इतिहास का हिस्सा नहीं बना। साथ ही कहा कि भारत की आजादी के बाद, इसके इतिहास को 3-4 परिवारों तक सीमित करने का प्रयास किया गया, जबकि भारत का इतिहास के कम से कम 2,500 वर्षों का है।

महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, चाणक्य उनके बारे पढ़ने की जरूरत
उन्होंने कहा कि देश का समृद्ध और गौरवशाली इतिहास केवल अंग्रेजों के खिलाफ उसके स्वतंत्रता संग्राम तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह बुद्ध और चंद्रगुप्त मौर्य के समय से भी आगे जाता है, जिससे भारत दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता बन गया है। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, बीरबल, टोडरमल और चाणक्य उनके बारे में भी पढ़ने की जरूरत है।

उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा से आज जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, ऐसे में आजादी के इतिहास को पढ़ते-लिखते समय केवल सीमित कालखंड के प्रवास तक केंद्रित न होकर हमें अपने दृष्टिकोण और दायरे को और अधिक व्यापक और उदार बनाने की जरूरत है।

इतिहास को हम बदलना नहीं चाहते
शिक्षा मंत्री ने कहा किसी को छोटा करने की जरूरत नहीं है। इतिहास को हम बदलना नहीं चाहते। मैं यहां इस मंच पर पूरी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं। हम इतिहास को फिर से नहीं लिखेंगे। हम इतिहास नहीं बदलेंगे। हम सभी ऐतिहासिक सत्य को सबके सामने लाएंगे। हम एक बड़ी रेखा खींचेंगे। 

भारत की आजादी में क्रांतिकारियों की शहादत पुस्तक का विमोचन
धर्मेंद्र प्रधान सुरेश भैयाजी जोशी, जस्टिस आदर्श गोयल, श्गजेन्द्र सिंह संधू के साथ पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एस एन अग्रवाल द्वारा लिखित पुस्तक ‘भारत की आजादी में क्रांतिकारियों की शहादत’ के लोकार्पण के दौरान अपनी बात रख रहे थे। 

गरुड़ प्रकाशन द्वारा प्रकाशित, पुस्तक भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कई क्रांतिकारियों के निस्वार्थ योगदान पर प्रकाश डालती है। यह चापेकर ब्रदर्स, श्यामजी कृष्ण वर्मा, लाला हरदयाल से लेकर वी डी सावरकर तक कई बहादुर देशभक्तों की दास्तां बताती है। लेखक ने कहा कि सभी धर्मों, क्षेत्रों और समाज के वर्गों के हमारे क्रांतिकारियों ने 1857 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम लड़ा था।

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