न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूज सर्विस, काबुल
Published by: देव कश्यप
Updated Thu, 01 Jul 2021 01:47 AM IST
अमेरिकी सेना (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : सोशल मीडिया
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बता दें कि तालिबान ने अफगानिस्तान के राज्यों की राजधानियों के पास वाले शहरों तक अपना कब्जा कर लिया है जिससे चिंताएं बढ़ गई हैं। इस रिपोर्ट के बाद अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से भी मुलाकात कर चुके हैं। इन घटनाक्रमों के बाद काबुल में अमेरिकी कमांडर का बयान उन देशों के लिए चिंता का कारण बन सकता है जो अफगानिस्तान के साथ जुड़े हुए हैं। जनरल मिलर ने कहा, कि तालिबान धीरे-धीरे राजधानी काबुल की तरफ बढ़ रहा है और ऐसे में आने वाला समय अफगान सरकार के लिए बहुत मुश्किल भरा हो सकता है। अमेरिकी कमांडर ने कहा, अफगानिस्तान में हालात ठीक नहीं लग रहे हैं। गृह युद्ध का खतरा सिर पर है और यदि तालिबान इसी तरह बढ़ता रहा, तो हालात काबू से बाहर हो सकते हैं।
अमेरिकी हवाई हमले जारी
अमेरिकी कमांडर जनरल स्कॉट मिलर ने इस बात से इनकार नहीं किया कि अमेरिका अब भी तालिबान पर हवाई हमले कर रहा है। उन्होंने कहा, मैं चाहूंगा कि हमें हवाई हमले देखने को ना मिलें। लेकिन पहले हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कहीं हिंसा भी नहीं हो। तालिबान को यह सब बंद करना होगा।
जर्मनी सेना का 20 साल लंबा अभियान खत्म
जर्मनी की रक्षामंत्री एनेग्रेट क्रेम्प-कैरेनबाउर ने बताया कि उनके सैनिकों की अंतिम टुकड़ी भी अफगानिस्तान से रवाना हो गई है। उन्होंने कहा, करीब 20 साल से वहां तैनात रहे जर्मनी के अंतिम बचे सैनिक भी सुरक्षित तरीके से रवाना हो गए हैं। 2001 से अब तक अफगानिस्तान में तैनात रहे 1,50,000 सैनिकों का एनेग्रेट ने आभार जताते हुए कहा कि ‘वे इस मिशन पर गर्व कर सकते हैं।’ सैन्य रवानगी के बीच, 120 वाहन और छह हेलीकॉप्टर समेत उपकरणों से भरे करीब 750 कंटेनर समुद्री मार्ग और जमीन के रास्ते जर्मनी भेजे गए हैं।
आसान होगा अफगान दुभाषियों का अमेरिका प्रवेश
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने एक विधेयक पारित किया जो नाटो या अमेरिकी सेना के लिए काम कर चुके अफगानिस्तान के नागरिकों के लिए अमेरिका आना आसान बनाएगा। विधेयक के मुताबिक, पूर्व दुभाषियों, वाहन चालकों और युद्ध को समर्थन देने वाले अन्य लोगों को विशेष आव्रजन वीजा की आवेदन प्रक्रिया के तहत अफगानिस्तान में मेडिकल जांच की भी जरूरत नहीं होगी। उन्हें अमेरिका आने के 30 दिनों में यह जांच करानी होगी। विधेयक को द्विपक्षीय समर्थन मिला और इसके पक्ष में 366 और विरोध में 46 मत पड़े। यह अब सीनेट में भेजा जाएगा।
