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आपातकाल की 46वीं बरसी: पीएम मोदी ने किया ट्वीट, 'काले दिनों' को भुलाया नहीं जा सकता

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: प्रशांत कुमार
Updated Fri, 25 Jun 2021 10:55 AM IST

सार

देश में 25 जून 1975 का दिन काले अध्याय के तौर पर जाना जाता है। भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में इसे देश का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण दिन की संज्ञा दी गई है। 46 साल पहले आपातकाल की घोषणा की गई थी। भाजपा नेताओं की ओर से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।

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25 जून 1975 का दिन काले अध्याय के तौर पर जाना जाता है। भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में इसे सबसे दुर्भाग्यपूर्ण दिन की संज्ञा दी गई है। 46 साल पहले आज के ही दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की थी। आपातकाल में इस दौरान बहुत कुछ ऐसा हुआ था, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। आज के इस दिन पर नेताओं की प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा ‘काले दिनों’ को भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि इस तरह कांग्रेस ने हमारे लोकतंत्र को कुचला। आपातकाल यानी 1975-77 तक देश में संस्थानों का विनाश देखा गया। 

प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट में आगे लिखा की हम भारत की लोकतांत्रिक भावना को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास करने का संकल्प लें और हमारे संविधान में निहित मूल्यों पर खरा उतरने की कोशिश करें। हम उन सभी महानुभावों को याद करते हैं, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा की।  

भारतीय लोकतंत्र की रक्षा करने और आपातकाल का विरोध करने वालों को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने भाजपा की ओर से सोशल मीडिया के मंच इंस्टाग्राम पर जारी किए गए पोस्ट के एक लिंक को भी साझा किया जिसमें जिक्र किया गया है कि आपातकाल के दौर में भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद पर बनी फिल्मों, किशोर कुमार के गानों, महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ टैगोर के उद्धरणों तक पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इस प्रकार से कांग्रेस ने हमारे लोकतंत्र को कुचल दिया था।’
 

गृहमंत्री ने कांग्रेस पर कसा तंज
वहीं गृहमंत्री अमित शाह ने भी आपातकाल की 46वीं बरसी पर कांग्रेस को आड़े हाथ लिया। गृहमंत्री ने अपने ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया ‘1975 में आज ही के दिन कांग्रेस ने सत्ता के स्वार्थ व अंहकार में देश पर आपातकाल थोपकर विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की हत्या कर दी। असंख्य सत्याग्रहियों को रातों रात जेल की कालकोठरी में कैदकर प्रेस पर ताले जड़ दिए। नागरिकों के मौलिक अधिकार छीनकर संसद व न्यायालय को मूकदर्शक बना दिया।’ शाह ने आगे लिखा कि एक परिवार के विरोध में उठी आवाज को कुचलने के लिए थोपा गया आपातकाल आजाद भारत के इतिहास का एक काला अध्याय है। 
 

 

विस्तार

25 जून 1975 का दिन काले अध्याय के तौर पर जाना जाता है। भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में इसे सबसे दुर्भाग्यपूर्ण दिन की संज्ञा दी गई है। 46 साल पहले आज के ही दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की थी। आपातकाल में इस दौरान बहुत कुछ ऐसा हुआ था, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। आज के इस दिन पर नेताओं की प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा ‘काले दिनों’ को भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि इस तरह कांग्रेस ने हमारे लोकतंत्र को कुचला। आपातकाल यानी 1975-77 तक देश में संस्थानों का विनाश देखा गया। 

प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट में आगे लिखा की हम भारत की लोकतांत्रिक भावना को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास करने का संकल्प लें और हमारे संविधान में निहित मूल्यों पर खरा उतरने की कोशिश करें। हम उन सभी महानुभावों को याद करते हैं, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा की।  

भारतीय लोकतंत्र की रक्षा करने और आपातकाल का विरोध करने वालों को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने भाजपा की ओर से सोशल मीडिया के मंच इंस्टाग्राम पर जारी किए गए पोस्ट के एक लिंक को भी साझा किया जिसमें जिक्र किया गया है कि आपातकाल के दौर में भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद पर बनी फिल्मों, किशोर कुमार के गानों, महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ टैगोर के उद्धरणों तक पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इस प्रकार से कांग्रेस ने हमारे लोकतंत्र को कुचल दिया था।’

 

गृहमंत्री ने कांग्रेस पर कसा तंज

वहीं गृहमंत्री अमित शाह ने भी आपातकाल की 46वीं बरसी पर कांग्रेस को आड़े हाथ लिया। गृहमंत्री ने अपने ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया ‘1975 में आज ही के दिन कांग्रेस ने सत्ता के स्वार्थ व अंहकार में देश पर आपातकाल थोपकर विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की हत्या कर दी। असंख्य सत्याग्रहियों को रातों रात जेल की कालकोठरी में कैदकर प्रेस पर ताले जड़ दिए। नागरिकों के मौलिक अधिकार छीनकर संसद व न्यायालय को मूकदर्शक बना दिया।’ शाह ने आगे लिखा कि एक परिवार के विरोध में उठी आवाज को कुचलने के लिए थोपा गया आपातकाल आजाद भारत के इतिहास का एक काला अध्याय है। 

 

 

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