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आईसीएमआर अध्ययन: कोविड के कारण प्री-टर्म डिलीवरी और उच्च रक्तचाप से ग्रस्त विकार की शिकार हुईं गर्भवती महिलाएं

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक अध्ययन में कहा गया है कि कोरोना वायरस उच्च अनुपात में गर्भवती महिलाओं को संक्रमित कर सकता है और इसके कारण उन्हें मध्यम से गंभीर बीमारी हो सकती है। अध्ययन में ऐसी महिलाओं को तत्काल चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है। 

‘प्रेग्कोविड रजिस्ट्री’ के तहत महाराष्ट्र के 19 मेडिकल कॉलेजों में कोरोना वायरस से संक्रमित गर्भवती एवं प्रसवोत्तर महिलाओं की जानकारी एकत्र की गई। महामारी की पहली लहर (मार्च 2020-जनवरी 2021) के दौरान एकत्र किए गए 4,203 गर्भवती महिलाओं के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। ‘इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च’ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, गर्भावस्था में सबसे आम जटिलता समय से पहले प्रसव और उच्च रक्तचाप जैसे विकार रहे।

अध्ययन में पाया गया कि 3,213 शिशुओं का जन्म हुआ जबकि गर्भपात के 77 मामले आए। प्रसव का इंतजार और गर्भ गिरने के मामलों का अनुपात छह फीसदी रहा। इसी तरह, 534 महिलाओं (13 फीसदी) में कोविड-19 बीमारी के लक्षण दिखे, जिनमें से 382 महिलाएं (72 फीसदी) को हल्का संक्रमण, 112 महिलाओं (21 फीसदी) को मध्यम संक्रमण जबकि 40 महिलाओं को गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ा। 

अध्ययन के निष्कर्षों में कहा गया है कि सबसे आम जटिलता 528 महिलाओं में समय पूर्व प्रसव (16.3 फीसदी) और 328 महिलाओं में गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप से ग्रस्त विकार (10.1 फीसदी) थी। जबकि 158 (3.8 फीसदी) गर्भवती और प्रसवोत्तर महिलाओं को गहन चिकित्सा देखभाल की जरूरत पड़ी जिनमें से 152 महिलाओं को कोविड-19 संबंधी जटिलताओं के कारण गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ा।

इन सभी मामलों में मृत्यु दर (सीएफआर) 0.8 प्रतिशत थी। जिसमें सबसे ज्यादा सीएफआर पुणे (9/853, 1.1 फीसदी) और मराठवाड़ा (4/351, 1.1 फीसदी) में दर्ज की गई। इसकी तुलना में विदर्भ (9/1155, 0.8 फीसदी), मुंबई मेट्रोपॉलिटन (11/1684, 0.7 फीसदी) और खानदेश क्षेत्र में (1/160, 0.6 फीसदी) सीएफआर देखा गया। 

अध्ययन में कहा गया है कि ‘इस प्रकार, हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि सार्स-सीओवी-2 गर्भवती महिलाओं के उच्च अनुपात को संक्रमित कर सकता है, और एक बड़े अनुपात में इन महिलाओं में मध्यम से गंभीर बीमारियां विकसित हो सकती है। इसलिए, भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में कोविड-19 से संक्रमित गर्भवती महिलाओं को तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है।

अध्ययन में कहा गया है कि एनीमिया, तपेदिक और मधुमेह जैसी अन्य बीमारियां भी गर्भवती और बच्चे को जन्म दे चुकी कोरोना वायरस से संक्रमित महिलाओं में मौत के बढ़ते जोखिम का कारण बनीं। अध्ध्यन के दौरान महाराष्ट्र में महामारी की पहली लहर के दौरान कोविड-19 से पीड़ित महिलाओं की क्लिनिकल प्रेजेंटेशन और गर्भावस्था के परिणामों और मातृ मृत्यु पर व्यवस्थित रूप से एकत्र, बहुकेंद्रीय डाटा काा बड़े पैमाने पर विश्लेषण किया गया। यह विश्लेषण ‘प्रेग्कोविड रजिस्ट्री’ के आंकड़ों पर आधारित था, जोकि कोविड-19 से उबरने वाली गर्भवती महिलाओं और प्रसव के बाद वाली महिलाओं पर आधारित अध्ययन है।

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