न्यूज डेस्क अमर उजाला, दिसपुर
Published by: शिव शरण शुक्ला
Updated Fri, 25 Feb 2022 11:23 PM IST
सार
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और उनकी पत्नी रिंकी भुयान पर कामरूप मैट्रोपॉलिटन के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने दो हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। दरअसल, 2019 में आचार संहिता उल्लघंन के मामले की सुनवाई के दौरान वह उपस्थित नहीं हुए थे। जिसको लेकर उन पर यह कार्रवाई की गई।
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विस्तार
दोनों की संयुक्त अर्जी स्वीकार करने से पहले अदालत कक्ष में थोड़ा ड्रामा भी हुआ। दरअसल, तय समय पर मामले की सुनवाई के लिए न तो हिमंता बिसवा सरमा पहुंचे न ही उनकी पत्नी। इतना ही 10 बजकर 55 मिनट तक उनके वकील भी सुनवाई के लिए नहीं पहुंचे। इस पर कामरूप के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) ए के बरुआ ने सरमा एवं उनकी पत्नी के विरूद्ध 1000-1000 रूपये का जमानती वारंट जारी कर दिय।
हालंकि कुछ देर बाद दोनों के वकील 11 बजे अदालत कक्ष पहुंचे और उन्होंने उनकी ओर से याचिकाएं पेश कीं। पहली याचिका में सरमा एवं उनकी पत्नी ने और समय देने के लिए स्थगन का अनुरोध किया और उन दस्तावेजों की प्रतियां देने का आग्रह किया जो शिकायतकर्ता से अबतक नहीं मिले हैं। दूसरी याचिका वारंट वापस लेने के लिए थी।उनके वकील ने कहा कि मुख्यमंत्री असम में राष्ट्रपति की यात्रा को लेकर व्यस्त हैं और उनकी पत्नी के पहले से निर्धारित कार्यक्रम हैं।
सुनवाई के बाद अदालत ने आदेश दिया कि चार सप्ताह तक पेशी से छूट के लिए स्थगन की अनुमति देने संबंधी आरोपियों की प्रार्थना आंशिक रूप से इस शर्त पर स्वीकार की जाती है कि 2000 रूपये का हर्जाना भरा जाए। साथ ही न्यायाधीश ने इस शर्त पर वारंट भी वापस ले लिया कि दोनों आरोपी अगली तारीख पर इस अदालत में पेश होंगे। अदालत ने इस मामले की सुनवाई के लिए 21 मार्च की तारीख तय की है।
इससे पहले कामरूप मेट्रोपॉलिटनके मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एके बरुआ ने एक आदेश में दोनों को 25 फरवरी को अदालत में पेश होने को कहा था। गौरतलब है कि मई 2019 में अतिरिक्त मुख्य चुनाव अधिकारी ने सरमा और न्यूज लाइव टीवी चैनल के विरूद्ध 2019 के लोकसभा चुनाव में आदर्श आचार संहिता का कथित रूप से उल्लंघन को लेकर मामला दर्ज कराया गया था। सरमा की पत्नी रिंकी इस चैनल की अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक थी।
चुनाव अधिकारी में सरमा को एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना था। चुनाव विभाग ने 10 अप्रैल 2019 को असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष और महासचिव से शिकायत मिलने के बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था।