न्यूज डेस्क, अमर उजाला, तवांग
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Sun, 24 Oct 2021 06:34 PM IST
सार
तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा के चयन में चीन की कोई भूमिका नहीं हो सकती है और तिब्बत के लोग अगले दलाई लामा के चयन में चीन का दखल किसी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे। यह बात दुनिया के दूसरे सबसे पुराने मठ, तवांग मठ के प्रमुख ने कही। इसके साथ ही उन्होंने अन्य देशों से तिब्बत की मदद के लिए आगे आने का भी आह्वान किया।
अगले दलाई लामा का चयन करने की प्रक्रिया में चीन को शामिल होने का कोई अधिकार नहीं है। यह बात अरुणाचल प्रदेश में स्थित तवांग मठ के प्रमुख ग्यांगबुंग रिंपोचे ने रविवार को कही। उन्होंने कहा कि चीन की सरकार धर्म में विश्वास नहीं करती है और अगले दलाई लामा का चयन तिब्बती लोगों के लिए पूरी तरह से एक आध्यात्मिक मामला है।
समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत और चीन की सीमा के पास स्थित इस लगभग 350 साल पुराने मठ के प्रमुख रिंपोचे ने यह भी कहा कि चीन की विस्तारवाद की नीति का मुकाबला करना आवश्यक है और भारत को अपने पड़ोसी देश के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर कड़ी निगरानी लगातार बनाए रखनी चाहिए।
रिंपोचे ने कहा कि केवल वर्तमान दलाई लामा और तिब्बती लोगों को यह फैसला लेने का अधिकार है कि अगला तिब्बती आध्यात्मिक नेता कौन होगा और चीन इस मामले में कोई भूमिका नहीं निभा सकता है। तिब्बत के ल्हासा में स्थित पोटला पैलेस के बाद दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मठ के प्रमुख का यह बयान दोनों देशों में बढ़े तनाव के बीच आया है।
दलाई लामा का चयन राजनीतिक मामला नहीं
उन्होंने कहा, ‘चीन की सरकार धर्म में विश्वास नहीं रखती है। एक ऐसी सरकार जो धर्म में आस्था नहीं रखती, वह इस बात का निर्धारण कैसे कर सकती है कि अगला दलाई लामा कौन होगा। उत्तराधिकार की योजना धर्म और आस्था से जुड़ा हुआ है, यह कोई राजनीतिक मसला नहीं है। चीन के पास इस प्रक्रिया में शामिल होने का कोई अधिकार नहीं है।’
‘भारत जैसे देश तिब्बत की मदद को आगे आएं’
रिपोंचे ने कहा कि तिब्बती लोग इस मामले में चीन के किसी भी आदेश को स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि इसमें शामिल होने के लिए चीन की कोशिश तिब्बत की धरोहर पर कब्जा करने के लिए और यहां के लोगों पर नियंत्रण हासिल करने के लिए है। चीन ने यहां काफी प्रतिबंध लगा रखे हैं, यह जरूरी है कि भारत जैसे देश तिब्बत का सहयोग करें।
विस्तार
अगले दलाई लामा का चयन करने की प्रक्रिया में चीन को शामिल होने का कोई अधिकार नहीं है। यह बात अरुणाचल प्रदेश में स्थित तवांग मठ के प्रमुख ग्यांगबुंग रिंपोचे ने रविवार को कही। उन्होंने कहा कि चीन की सरकार धर्म में विश्वास नहीं करती है और अगले दलाई लामा का चयन तिब्बती लोगों के लिए पूरी तरह से एक आध्यात्मिक मामला है।
समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत और चीन की सीमा के पास स्थित इस लगभग 350 साल पुराने मठ के प्रमुख रिंपोचे ने यह भी कहा कि चीन की विस्तारवाद की नीति का मुकाबला करना आवश्यक है और भारत को अपने पड़ोसी देश के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर कड़ी निगरानी लगातार बनाए रखनी चाहिए।
रिंपोचे ने कहा कि केवल वर्तमान दलाई लामा और तिब्बती लोगों को यह फैसला लेने का अधिकार है कि अगला तिब्बती आध्यात्मिक नेता कौन होगा और चीन इस मामले में कोई भूमिका नहीं निभा सकता है। तिब्बत के ल्हासा में स्थित पोटला पैलेस के बाद दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मठ के प्रमुख का यह बयान दोनों देशों में बढ़े तनाव के बीच आया है।
दलाई लामा का चयन राजनीतिक मामला नहीं
उन्होंने कहा, ‘चीन की सरकार धर्म में विश्वास नहीं रखती है। एक ऐसी सरकार जो धर्म में आस्था नहीं रखती, वह इस बात का निर्धारण कैसे कर सकती है कि अगला दलाई लामा कौन होगा। उत्तराधिकार की योजना धर्म और आस्था से जुड़ा हुआ है, यह कोई राजनीतिक मसला नहीं है। चीन के पास इस प्रक्रिया में शामिल होने का कोई अधिकार नहीं है।’
‘भारत जैसे देश तिब्बत की मदद को आगे आएं’
रिपोंचे ने कहा कि तिब्बती लोग इस मामले में चीन के किसी भी आदेश को स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि इसमें शामिल होने के लिए चीन की कोशिश तिब्बत की धरोहर पर कब्जा करने के लिए और यहां के लोगों पर नियंत्रण हासिल करने के लिए है। चीन ने यहां काफी प्रतिबंध लगा रखे हैं, यह जरूरी है कि भारत जैसे देश तिब्बत का सहयोग करें।
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