एजेंसी, पोर्टलैंड।
Published by: देव कश्यप
Updated Tue, 05 Apr 2022 05:23 AM IST
सार
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच जारी रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में इस बाजार का आकार 7,300 करोड़ डॉलर था। कोविड के दौरान पूरे रक्षा क्षेत्र पर असर हुआ और मंदी आई। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। उत्तरी अमेरिकी देश 2020 में आधे बाजार की खरीद करते थे। यहां भी अब बदलाव होंगे और भारत, पाकिस्तान व चीन प्रमुख खरीदार बन सकते हैं।
परमाणु मिसाइलों और बमों का अंतरराष्ट्रीय बाजार 2030 तक 73 प्रतिशत बढ़ सकता है। भारत, पाकिस्तान और चीन अपने परमाणु आयुध भंडार को बढ़ाएंगे, जिससे यह वृद्धि तेज हो सकती है। इस वजह से बाजार का आकार 12,600 करोड़ डॉलर के पार जा सकता है। यह दावे अमेरिकी संस्था अलाइड मार्केट रिसर्च की रिपोर्ट में सोमवार को किए गए।
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच जारी रिपोर्ट के अनुसार 2020 में इस बाजार का आकार 7,300 करोड़ डॉलर था। कोविड के दौरान पूरे रक्षा क्षेत्र पर असर हुआ और मंदी आई। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। उत्तरी अमेरिकी देश 2020 में आधे बाजार की खरीद करते थे। यहां भी अब बदलाव होंगे और भारत, पाकिस्तान व चीन प्रमुख खरीदार बन सकते हैं। उन्हें अपने परमाणु आयुध भंडार में वृद्धि की जरूरत महसूस होने लगी है।
5.4 प्रतिशत की दर से बढ़ेंगे रक्षा बजट
वैश्विक टकरावों की वजह से 2030 तक सालाना रक्षा बजट में 5.4 प्रतिशत वृद्धि हो सकती है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने बीते सप्ताह ही रिकॉर्ड शांतिकालीन राष्ट्रीय रक्षा बजट की मांग अमेरिका में की थी। इसका लक्ष्य भी परमाणु मिसाइलों, सबमरीन, बॉम्बर विमानों आदि का आधुनिकीकरण है। अनुमान हैं कि ज्यादातर खरीद छोटी मिसाइलों की होगी जो परमाणु बम ले जाने की क्षमता से युक्त हों। इन्हें विमान से लेकर जमीन से भी प्रक्षेपित किया जा सकता है। इससे पहले 2020 तक हो रही खरीद में सबमरीन से दागी जा सकने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों का हिस्सा 25 प्रतिशत था।
विस्तार
परमाणु मिसाइलों और बमों का अंतरराष्ट्रीय बाजार 2030 तक 73 प्रतिशत बढ़ सकता है। भारत, पाकिस्तान और चीन अपने परमाणु आयुध भंडार को बढ़ाएंगे, जिससे यह वृद्धि तेज हो सकती है। इस वजह से बाजार का आकार 12,600 करोड़ डॉलर के पार जा सकता है। यह दावे अमेरिकी संस्था अलाइड मार्केट रिसर्च की रिपोर्ट में सोमवार को किए गए।
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच जारी रिपोर्ट के अनुसार 2020 में इस बाजार का आकार 7,300 करोड़ डॉलर था। कोविड के दौरान पूरे रक्षा क्षेत्र पर असर हुआ और मंदी आई। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। उत्तरी अमेरिकी देश 2020 में आधे बाजार की खरीद करते थे। यहां भी अब बदलाव होंगे और भारत, पाकिस्तान व चीन प्रमुख खरीदार बन सकते हैं। उन्हें अपने परमाणु आयुध भंडार में वृद्धि की जरूरत महसूस होने लगी है।
5.4 प्रतिशत की दर से बढ़ेंगे रक्षा बजट
वैश्विक टकरावों की वजह से 2030 तक सालाना रक्षा बजट में 5.4 प्रतिशत वृद्धि हो सकती है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने बीते सप्ताह ही रिकॉर्ड शांतिकालीन राष्ट्रीय रक्षा बजट की मांग अमेरिका में की थी। इसका लक्ष्य भी परमाणु मिसाइलों, सबमरीन, बॉम्बर विमानों आदि का आधुनिकीकरण है। अनुमान हैं कि ज्यादातर खरीद छोटी मिसाइलों की होगी जो परमाणु बम ले जाने की क्षमता से युक्त हों। इन्हें विमान से लेकर जमीन से भी प्रक्षेपित किया जा सकता है। इससे पहले 2020 तक हो रही खरीद में सबमरीन से दागी जा सकने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों का हिस्सा 25 प्रतिशत था।
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