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अमेरिका के ईरानी वेबसाइटों को ब्लॉक करने के बाद उठा इंटरनेट की आजादी का सवाल

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, तेहरान
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Thu, 24 Jun 2021 05:02 PM IST

सार

विश्लेषकों का कहना है कि राष्ट्रपति बराक ओबामा के दौर में जब व्हिसलब्लोअर एडवर्ड स्नोडेन ने दस्तावेजों को लीक कर ये खुलासा किया था कि इंटरनेट पर मौजूद दुनियाभर का सारा डाटा कंपनियां अमेरिका सरकार को सौंप देती हैं, तब ये मांग थी कि इंटरनेट पर अंतरराष्ट्रीय स्वामित्व की व्यवस्था की जाए…

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जिस रोज चीनी अधिकारियों के दबाव के कारण हांगकांग के अखबार एपल डेली के बंद होने की खबर आई, उसी रोज अमेरिकी अधिकारियों ने ईरान की कई समाचार वेबसाइटों को बंद करने का कदम उठाया। इससे अमेरिका के विरोधियों को अभिव्यक्ति की आजादी का समर्थक होने के उसके दावे पर सवाल उठाने का मौका मिला है। ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद खातिबजादेह ने दुख जताया कि अमेरिका ने ईरान के स्वतंत्र मीडिया की अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि इससे अमेरिका का ‘शर्मनाक दोमुंहापन’ सबके सामने आ गया है।

ईरान ने एलान किया है कि वह इसका जवाब इस रूप में देगा, जिससे अमेरिका को दोगुना नुकसान होगा। ईरानी पर्यवेक्षकों का कहना है कि अमेरिका के इस कदम से ईरान परमाणु वार्ता को फिर से जिंदा करने की चल रही वार्ता में नए पेच पैदा हो जाएंगे। खातिबजादेह ने कहा कि जो बाइडन प्रशासन पूर्व ट्रंप प्रशासन की राह पर ही चल रहा है। लेकिन इससे अमेरिका को ‘दोहरी हार’ का सामना करना पड़ेगा।

बुधवार को ये खबर आई कि अमेरिका ने ईरान और ईरान से जुड़े मीडिया घरानों की कई वेबसाइट्स के डोमेन को ब्लॉक कर दिया है। जिन मीडिया घरानों पर ये कार्रवाई की गई, उनमें प्रेस टीवी, अल-आलम, यमन का टीवी चैनल अल-मसिराह और ईराक का एक शिया सैटेलाइट चैनल शामिल हैं। अमेरिका ने आरोप लगाया कि ये समाचार संगठन अमेरिका को निशाना बना रहे थे और बदनीयती से दुष्प्रचार फैलाने के काम में जुटे थे।

ये कदम उस समय उठाया गया है, जब वियना शहर में ईरान परमाणु डील को पुनर्जीवित करने के लिए अमेरिका और ईरान के बीच सीधी बातचीत चल रही है। ये करार 2015 में हुआ था, जिसका मकसद ईरान को परमाणु बम बनाने से रोकना था। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद इस समझौते से अमेरिका को निकाल लिया। ट्रंप प्रशासन ने ईरान पर सख्त प्रतिबंध भी लगा दिए। तब से दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण हैं।

अमेरिकी टीवी चैनल एनबीसी की एक खबर के मुताबिक अमेरिका ने ईरान से संबंधित कुल 36 न्यूज वेबसाइटों के डोमेन को ब्लॉक किया है। उनमें 33 डोमेन नेम ईरान के इस्लामिक रेडियो और टेलीविजन यूनियन के नाम पर रजिस्टर्ड थे। ये डोमेन नेम एक अमेरिकी कंपनी के पास रजिस्टर कराए गए थे। गौरतलब है कि इंटरनेट के डोमेन एलॉट करने वाली लगभग तमाम कंपनियां अमेरिकी हैं। वे अमेरिकी कानून के दायरे में आती हैं। इसलिए अमेरिका जब चाहे किसी भी वेबसाइट को ब्लॉक कर सकता है। ईरान की समाचार एजेंसी ईरना ने इस अमेरिकी कदम को गैर कानूनी बताया है। उसने इसे स्वतंत्र मीडिया के खिलाफ अमेरिका की ‘आतंकवादी नीति’ से प्रेरित भी कहा है।

विश्लेषकों का कहना है कि इस अमेरिकी कदम के बाद इंटरनेट पर स्वामित्व से जुड़ी बहस फिर खड़ी होगी। राष्ट्रपति बराक ओबामा के दौर में जब व्हिसलब्लोअर एडवर्ड स्नोडेन ने दस्तावेजों को लीक कर ये खुलासा किया था कि इंटरनेट पर मौजूद दुनियाभर का सारा डाटा कंपनियां अमेरिका सरकार को सौंप देती हैं, तब ये मांग थी कि इंटरनेट पर अंतरराष्ट्रीय स्वामित्व की व्यवस्था की जाए। उस पर बात आगे नहीं बढ़ी। हाल में खबर आई थी कि रूस अपना इंटरनेट विकसित कर रहा है। ताजा घटना से ऐसी चर्चाएं और आगे बढ़ेंगी।

विस्तार

जिस रोज चीनी अधिकारियों के दबाव के कारण हांगकांग के अखबार एपल डेली के बंद होने की खबर आई, उसी रोज अमेरिकी अधिकारियों ने ईरान की कई समाचार वेबसाइटों को बंद करने का कदम उठाया। इससे अमेरिका के विरोधियों को अभिव्यक्ति की आजादी का समर्थक होने के उसके दावे पर सवाल उठाने का मौका मिला है। ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद खातिबजादेह ने दुख जताया कि अमेरिका ने ईरान के स्वतंत्र मीडिया की अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि इससे अमेरिका का ‘शर्मनाक दोमुंहापन’ सबके सामने आ गया है।

ईरान ने एलान किया है कि वह इसका जवाब इस रूप में देगा, जिससे अमेरिका को दोगुना नुकसान होगा। ईरानी पर्यवेक्षकों का कहना है कि अमेरिका के इस कदम से ईरान परमाणु वार्ता को फिर से जिंदा करने की चल रही वार्ता में नए पेच पैदा हो जाएंगे। खातिबजादेह ने कहा कि जो बाइडन प्रशासन पूर्व ट्रंप प्रशासन की राह पर ही चल रहा है। लेकिन इससे अमेरिका को ‘दोहरी हार’ का सामना करना पड़ेगा।

बुधवार को ये खबर आई कि अमेरिका ने ईरान और ईरान से जुड़े मीडिया घरानों की कई वेबसाइट्स के डोमेन को ब्लॉक कर दिया है। जिन मीडिया घरानों पर ये कार्रवाई की गई, उनमें प्रेस टीवी, अल-आलम, यमन का टीवी चैनल अल-मसिराह और ईराक का एक शिया सैटेलाइट चैनल शामिल हैं। अमेरिका ने आरोप लगाया कि ये समाचार संगठन अमेरिका को निशाना बना रहे थे और बदनीयती से दुष्प्रचार फैलाने के काम में जुटे थे।

ये कदम उस समय उठाया गया है, जब वियना शहर में ईरान परमाणु डील को पुनर्जीवित करने के लिए अमेरिका और ईरान के बीच सीधी बातचीत चल रही है। ये करार 2015 में हुआ था, जिसका मकसद ईरान को परमाणु बम बनाने से रोकना था। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद इस समझौते से अमेरिका को निकाल लिया। ट्रंप प्रशासन ने ईरान पर सख्त प्रतिबंध भी लगा दिए। तब से दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण हैं।

अमेरिकी टीवी चैनल एनबीसी की एक खबर के मुताबिक अमेरिका ने ईरान से संबंधित कुल 36 न्यूज वेबसाइटों के डोमेन को ब्लॉक किया है। उनमें 33 डोमेन नेम ईरान के इस्लामिक रेडियो और टेलीविजन यूनियन के नाम पर रजिस्टर्ड थे। ये डोमेन नेम एक अमेरिकी कंपनी के पास रजिस्टर कराए गए थे। गौरतलब है कि इंटरनेट के डोमेन एलॉट करने वाली लगभग तमाम कंपनियां अमेरिकी हैं। वे अमेरिकी कानून के दायरे में आती हैं। इसलिए अमेरिका जब चाहे किसी भी वेबसाइट को ब्लॉक कर सकता है। ईरान की समाचार एजेंसी ईरना ने इस अमेरिकी कदम को गैर कानूनी बताया है। उसने इसे स्वतंत्र मीडिया के खिलाफ अमेरिका की ‘आतंकवादी नीति’ से प्रेरित भी कहा है।

विश्लेषकों का कहना है कि इस अमेरिकी कदम के बाद इंटरनेट पर स्वामित्व से जुड़ी बहस फिर खड़ी होगी। राष्ट्रपति बराक ओबामा के दौर में जब व्हिसलब्लोअर एडवर्ड स्नोडेन ने दस्तावेजों को लीक कर ये खुलासा किया था कि इंटरनेट पर मौजूद दुनियाभर का सारा डाटा कंपनियां अमेरिका सरकार को सौंप देती हैं, तब ये मांग थी कि इंटरनेट पर अंतरराष्ट्रीय स्वामित्व की व्यवस्था की जाए। उस पर बात आगे नहीं बढ़ी। हाल में खबर आई थी कि रूस अपना इंटरनेट विकसित कर रहा है। ताजा घटना से ऐसी चर्चाएं और आगे बढ़ेंगी।

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