एजेंसी, नई दिल्ली
Published by: देव कश्यप
Updated Fri, 01 Oct 2021 03:09 AM IST
सार
इससे पहले रिपोर्ट आई थी कि अमेजन ने भारत में कानूनी मामलों में सहूलियत पाने के लिए अधिकारियों को बड़ी मात्रा में रिश्वत खिलाई है। सूत्रों के अनुसार, अमेजन ने 28 सितंबर को वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को लिखे पत्र में बताया कि कानूनी शुल्क में 8,546 करोड़ खर्च किए जाने की रिपोर्ट सही नहीं है और इसमें कई गलतफहमियां हैं।
अमेजन (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
इससे पहले रिपोर्ट आई थी कि अमेजन ने भारत में कानूनी मामलों में सहूलियत पाने के लिए अधिकारियों को बड़ी मात्रा में रिश्वत खिलाई है। सूत्रों के अनुसार, अमेजन ने 28 सितंबर को वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को लिखे पत्र में बताया कि कानूनी शुल्क में 8,546 करोड़ खर्च किए जाने की रिपोर्ट सही नहीं है और इसमें कई गलतफहमियां हैं।
यह राशि कानूनी और पेशेवर शुल्क के रूप में खर्च की गई। गौरतलब है कि रिश्वत मामले में अमेजन आंतरिक जांच भी करा रहा है और मामले का खुलासा होेने के बाद उसने अपने मुख्य कानूनी सलाहकार को छुट्टी पर भी भेज दिया था।
ऐसे खुला था मामला
रिश्वतखोरी का मामला द मॉर्निंग कांटेक्स्ट समाचार पत्र की रिपोर्ट के बाद चर्चा में आया था। इस रिपोर्ट में अमेजन के वकीलों की तरफ से देश में कंपनी के कानूनी मुद्दे सुलझाने के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने का दावा किया गया था। इसके बाद अमेजन ने इस मामले में तत्काल जांच शुरू करने की घोषणा की थी। कंपनी ने कहा था कि वह इन आरोपों को गंभीरता से ले रही है और जांच रिपोर्ट के आधार पर अपनी भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के तहत उचित कार्रवाई करेगी। अमेजन से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, कंपनी ने जांच शुरू करते हुए अपनी कानूनी टीम के एक वरिष्ठ कारपोरेट वकील को छुट्टी पर भेज दिया है और बाहर से सेवाएं दे रहे एक अन्य वकील को हटा दिया है।
क्यों दी गई रकम, इसकी हो सीबीआई जांच : कैट
कैट ने इस पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने के लिए केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा था। साथ ही अमेरिकी सिक्युरिटीज व एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) को भी पत्र लिखकर जांच कराने का आग्रह किया था। कैट महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि इस बात की जांच होनी चाहिए कि कहीं इस कथित रिश्वतखेरी का अमेजन के खिलाफ चल रही कई तरह की सरकारी जांच से तो कोई संबंध नहीं है। भारतीय ई-कॉमर्स बाजार और खुदरा व्यापार को अनुचित प्रभाव, ताकत के दुरुपयोग और सरकारी अधिकारियों के साथ मिलीभगत से बचाने के लिए यह कदम उठाए जाना चाहिए।
लगातार विवादों में ई-कॉमर्स कंपनी
बाजार में एकाधिकार बनाने के लिए अमेजन निष्पक्ष व्यापार नियामक और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की जांच का सामना कर रही है। अमेजन फ्यूचर ग्रुप और रिलायंस रिटेल वेंचर्स के बीच करीब 24 हजार करोड़ के प्रस्तावित सौदे के खिलाफ भी अदालत में गई थी।