पश्चिम बंगाल दौरे के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, जब तक स्थानीय पुलिस का सहयोग नहीं मिलता, तब तक सटीक चौकसी संभव नहीं है। भारत और बांग्लादेश का सीमा क्षेत्र भौगोलिक रूप से बहुत कठिन है। कई सारी नदियां हैं, नाले हैं, ऊंची-नीची पहाड़ी चोटियां हैं। ऐसे जब तक स्थानीय प्रशासन का सहयोग नहीं मिलता, अकेली बीएसएफ ज्यादा कुछ नहीं कर सकती। वजह, बीएसएफ का दायरा सीमित है। घुसपैठ तो एक अंतरराष्ट्रीय षडयंत्र है। ऐसे षडयंत्र में जो लोग शामिल हैं, उनके खिलाफ राज्य प्रशासन को ही सख्त कदम उठाना पड़ेगा।
बीएसएफ ने स्थानीय प्रशासन को कई बार सूचना दी है, लेकिन समय रहते उपयुक्त कदम नहीं उठाया गया। शाह ने कहा, इसका मतलब है कि उन्हें संरक्षण प्राप्त है। बता दें कि बांग्लादेश की करीब 2216.70 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा पश्चिम बंगाल से लगती है। यहां पर 1638.047 किलोमीटर लंबी सीमा पर कंटीली तार लगी है, जबकि 578 किलोमीटर लंबे बॉर्डर क्षेत्र में कोई फेंसिंग नहीं है। इस साल में अगस्त तक 464 घुसपैठिये इस सीमा पर पकड़े गए हैं।
बीएसएफ अधिकारी का कहना है कि बॉर्डर तक वह सब सामान क्यों पहुंचने दिया जाता है। ये सामान लाने वाले तस्करों से निपटने के लिए हमारे जवानों को दिन-रात ड्यूटी देनी पड़ रही है। विभिन्न राज्यों से लाखों पशु बॉर्डर पर पहुंचते रहे हैं, यह बात किसी से छिपी नहीं है। गायों को केले के तने से बांध कर नदी में फेंक दिया जाता है। बीएसएफ अपनी जान पर खेल कर गायों को बचाती है। इस प्रयास में तस्कर बीएसएफ जवानों पर हमला करते हैं।
बीएसएफ ने पिछले साल दूसरे राष्ट्रों की करेंसी, 174 वाहन और 815 मोबाइल फोन जब्त किए थे, इसका मतलब है कि ये सामान वहां तक पहुंचना कितना आसान है। पिछले साल बांग्लादेश की तरफ जाने वाले करीब 2638 लोगों को पकड़ा गया था। इनमें 1,900 पुरुष, 520 महिलाएं और 218 बच्चे थे। इसी तरह वहां से भारतीय सीमा में घुसने का प्रयास करने वाले 1351 लोग पकड़े गए हैं। कुल मिलाकर सालभर में करीब चार हजार लोगों को पकड़ा गया। इतना ही नहीं, घुसपैठियों के कब्जे से 15704.185 किलोग्राम गांजा, 250 किलोग्राम हेरोइन, दवाओं की 28,12,181 बोतल, नशे वाली 7,32,771 याबा टेबलेट और 3,08,789 फेंसिड्रिल की बोतलें जब्त की गई थी।
अधिकारी के मुताबिक, विभिन्न सीमाओं पर बीएसएफ ने तस्करों के कब्जे से 17,688 पक्षी, बेटल नट ‘सुपारी’ के 12,03,655 बंडल और 1,54,004 किलोग्राम दाल बरामद की गई। विलुप्त प्रजाति के 157 कछुए, 14,998 किलोग्राम मछली, बीड़ी के 9,04,574 पैकेट, साइकिल 381, खाने-पीने का 3,92,552 किग्रा सामान, 9 किलो सोना, बाइक 251, मोबाइल फोन 3,613, दाल 1,54,004 किलो, चाय 1,10,196 किलो, 735 बर्तन, और 63,766 किलो सब्जी जब्त की गई हैं।
दिक्कत की बात यह है कि विभिन्न राज्यों के पुलिस नाकों पर पशुओं से भरे ट्रक कैसे पार हो जाते हैं। वे किस तरह बंगाल में पहुंचते हैं। यहां आने के बाद वे आसानी से बॉर्डर तक चले जाते हैं। रास्ते में कितने थाने और चौकियां लगती हैं, लेकिन कहीं कुछ नहीं पकड़ा जाता। बीएसएफ जब पशुओं को पकड़ती है तो उन्हें रखने के लिए कोई जगह नहीं होती।