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अध्ययन: लंबे समय तक कोरोना रहने से सिकुड़ने लगते हैं मस्तिष्क के ऊतक

कोरोना वायरस: जांच कराता युवक
– फोटो : अमर उजाला

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लंबे समय तक कोरोना के लक्षण रहने से मस्तिष्क के ऊतकों पर भी असर पड़ता है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अध्ययन के बाद यह दावा किया है।

अध्ययन के मुताबिक सूंघने की शक्ति पर नियंत्रण करने वाले दिमाग के हिस्से में कोरोना का असर देखने को मिला है। इसमें जिन गंभीर मरीजों में लंबे समय तक कोरोना के लक्षण रहे उनके दिमाग के इस हिस्से के ऊतक सिकुड़ गए। 

शोध में 40 हजार लोगों के मस्तिष्क के स्कैन की बारीकी से जांच की गई। इनमें 728 को दो समूहों में बांटा गया। 394 वे जिन्हें मार्च 2020 से अप्रैल 2021 के बीच कोरोना हुआ और महामारी के लक्षण अलग-अलग समय अंतराल तक उनके शरीर में पाये गए।

वहीं 388 लोग ऐसे जिन्हें कभी कोरोना नहीं हुआ। वैज्ञानिकों ने इनके मस्तिष्क के स्कैन की तुलना की तो पाया कि जिन लोगों में अधिक समय तक कोरोना के लक्षण पाये गए थे उनके मस्तिष्क के एक हिस्से के ऊतकों का आकार अन्य लोगों की तुलना में छोटा पाया गया। इनमें जिन मरीजों की सूंघने की क्षमता अधिक समय तक गायब रही उनके ऊतक काफी छोटे हो चुके थे।

वहीं कोरोना से बचे रहे लोगों में स्थिति सामान्य थी। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि वायरस नाक के रास्ते इन मरीजों के दिमाग तक पहुंचा होगा।

विस्तार

लंबे समय तक कोरोना के लक्षण रहने से मस्तिष्क के ऊतकों पर भी असर पड़ता है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अध्ययन के बाद यह दावा किया है।

अध्ययन के मुताबिक सूंघने की शक्ति पर नियंत्रण करने वाले दिमाग के हिस्से में कोरोना का असर देखने को मिला है। इसमें जिन गंभीर मरीजों में लंबे समय तक कोरोना के लक्षण रहे उनके दिमाग के इस हिस्से के ऊतक सिकुड़ गए। 

शोध में 40 हजार लोगों के मस्तिष्क के स्कैन की बारीकी से जांच की गई। इनमें 728 को दो समूहों में बांटा गया। 394 वे जिन्हें मार्च 2020 से अप्रैल 2021 के बीच कोरोना हुआ और महामारी के लक्षण अलग-अलग समय अंतराल तक उनके शरीर में पाये गए।

वहीं 388 लोग ऐसे जिन्हें कभी कोरोना नहीं हुआ। वैज्ञानिकों ने इनके मस्तिष्क के स्कैन की तुलना की तो पाया कि जिन लोगों में अधिक समय तक कोरोना के लक्षण पाये गए थे उनके मस्तिष्क के एक हिस्से के ऊतकों का आकार अन्य लोगों की तुलना में छोटा पाया गया। इनमें जिन मरीजों की सूंघने की क्षमता अधिक समय तक गायब रही उनके ऊतक काफी छोटे हो चुके थे।

वहीं कोरोना से बचे रहे लोगों में स्थिति सामान्य थी। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि वायरस नाक के रास्ते इन मरीजों के दिमाग तक पहुंचा होगा।

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